India Interstate Border Disputes : भारत में 1947 में मिली आज़ादी के बाद राज्यों का पुनर्गठन किया था. उस समय मांग की गई थी कि भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा हो. 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने सबसे पहले भाषा के आधार पर ही 14 राज्य और छह केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे, बाद में भाषा के आधार पर ही समय-समय पर इनका बंटवारा करने की मांग होती रही और 65 साल में ये राज्य 14 से 28 हो गए, केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या भी बढ़ गई. 

इसके बाद तेलंगाना 2 जून 2014 को भारत के 29वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, जिसने आंध्र प्रदेश से अलग राज्य बनाने के लिए इस क्षेत्र में दशकों पुराने संघर्ष को समाप्त कर दिया. फिर आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर को दिया गया पूर्ण राज्य का दर्ज़ा समाप्त कर दिया गया. मौजूदा समय में भारत में कुल 28 राज्य हैं.

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हालांकि, अभी भी कुछ राज्यों के बीच सीमा का विवाद सुलझा नहीं है. ऐसे कई राज्य हैं, जो अपनी सीमा से मिली ज़मीन पर अपना दावा ठोंकते आए हैं. आज हम आपको देश के ऐसे ही 7 अंतर्राज्यीय सीमा विवाद के बारे में बताएंगे.

India Interstate Border Disputes

1. असम-अरुणाचल प्रदेश

असम और अरुणाचल प्रदेश 804 किलोमीटर की लंबी सीमा साझा करते हैं. 1987 में बने राज्य अरुणाचल प्रदेश का दावा है कि कुछ ज़मीन जो उनके राज्य के निवासियों की थी, वो असम को दे दी गई है. अतीत में एक त्रिपक्षीय समिति ने सिफ़ारिश की थी कि असम के कुछ क्षेत्रों को अरुणाचल प्रदेश में शामिल कर दिया जाए. इसके बाद से असम ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा किया और मामला फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

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2. असम-मिज़ोरम 

औपनिवेशिक शासन के तहत मिज़ोरम को लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था और ये असम का एक हिस्सा था. इसके बाद 1972 में इसे संघ प्रशासित क्षेत्र बना दिया गया और 1978 में ये पूर्ण राज्य बन गया. इतिहास की वजह से स्थानीय लोगों के लिए काफ़ी दिनों तक सीमाओं से कोई फ़र्क नहीं पड़ा. मिज़ोरम की सीमा असम के कछार, हैलाकांडी और करीमगंज ज़िलों से छूती है. 

समय के साथ, दोनों राज्यों की अलग-अलग धारणा होने लगी कि सीमांकन कहां होना चाहिए. मिज़ोरम के लोग 1875 में जारी की गई उस अधिसूचना को मानते हैं, जिसने लुशाई हिल्स को कछार के मैदानों से अलग कर दिया गया था.  वहीं, असम चाहता है कि इसे बहुत बाद में तैयार की गई जिला सीमाओं के अनुसार सीमांकित किया जाए.

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3. असम-नागालैंड

असम और नागालैंड के बीच सीमा विवाद तब से है, जब से 1963 में नागालैंड का गठन हुआ था. दोनों राज्य असम के गोलाघाट जिले में बसे एक गांव मेरापनी पर अपना दावा ठोंकते हैं. 1960 से ही इस क्षेत्र में दोनों राज्यों के लोगों की तरफ़ से हुई हिंसा की कई रिपोर्ट्स आ चुकी हैं.

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4. असम-मेघालय

असम के सात ज़िले उत्तरी और पश्चिमी मेघालय के साथ सीमा साझा करते हैं. इन इलाकों में 12 जगह पर दोनों राज्य के गहरे सीमा विवाद हैं. मौजूदा समय में मुख्यमंत्री स्तर की हिमंत बिस्वा सरमा और कोनराड संगमा के बीच दूसरे चरण की बातचीत छह क्षेत्रों में विवाद को सुलझाने के लिए चल रही है. 

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5. महाराष्ट्र-कर्नाटक

देश का सबसे बड़ा सीमा विवाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच है, जो कि बेलगावी (बेलगाम) जिले पर है. बेलगावी (बेलगाम) में मराठी और कन्नड़ भाषी दोनों लोग रहते हैं. ब्रिटिश काल में ये जगह बॉम्बे प्रेजिडेंसी की थी, लेकिन 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद इसे कर्नाटक में शामिल किया गया. महाराष्ट्र का कहना है कि इस क्षेत्र में काफ़ी मराठी भाषी लोग हैं, इसलिए इस क्षेत्र का विलय महाराष्ट्र में कर दिया जाए. वहीं, 2012 में बेलगावी पर अपने दावे को मज़बूत करने के लिए कर्नाटक सरकार ने वहां एक नए विधानसभा भवन का उद्घाटन किया और अब कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र यहीं आयोजित किया जाता है.  

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6. हरियाणा-हिमाचल प्रदेश

इन दोनों उत्तरी राज्यों के बीच परवाणु में एक अंतर्राज्यीय सीमा विवाद है. ये क्षेत्र हरियाणा के पंचकुला जिले के समीप है. हरियाणा इलाके की एक बड़ी जमीन पर अपना दावा करता है. इसके साथ ही उसने पहाड़ी राज्य पर उसके कुछ हिस्से पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया है.

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7. केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख-हिमाचल प्रदेश

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल दोनों सरचू का दावा करते हैं, जो लेह-मनाली राजमार्ग से यात्रा करने वालों के लिए एक प्रमुख पड़ाव है. ये क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले और लद्दाख के लेह जिले के बीच स्थित है. सरचू में सीमा विवाद 2014 में शुरू हुआ, जब जम्मू और कश्मीर पुलिस ने वहां एक चौकी स्थापित की. हिमाचल प्रदेश ने इस मामले की जांच की और दावा किया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बनाई गई चौकी हिमाचल की सीमा से 14 किलोमीटर अंदर थी. तभी से ये विवाद चल रहा है. 

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