अक़्सर ही अख़बारों में नौकरी के विज्ञापन देखने को मिलते हैं. इस बार विज्ञापन बृंदावन फ़ूड प्रोडक्ट्स कंपनी की तरफ़ से छापा गया था. फ़ूड प्रोडक्ट्स की ये कंपनी RK एसोसिएट्स के लिये काम करती है. RK एसोसिएट्स रेलवे के लिए लोगों को हॉस्पिटैलिटी देने का काम करता है. यानि वो रेलवे हॉस्पिटैलिटी कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक हैं. 

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चलिये अब इन सब बातों से आगे बढ़ कर नौकरी के विज्ञापन पर वापस आते हैं. इस विज्ञापन के मुताबिक़, बृंदावन फ़ूड प्रोडक्ट्स को 100 कर्मचारियों की ज़रूरत है. 100 कर्मचारियों की ये भर्ती इन्हें जल्द से जल्द करनी है. नौकरी की पहली शर्त है कि बंदा 12वीं पास होना चाहिये. दूसरी शर्त ये है कि कर्मचारी को काम के लिये देश के किसी भी कोने में भेजा जा सकता है. इसके अलावा तीसरी और अहम शर्त ये है कि कैंडिडेट्स को अग्रवाल-वैश्य समुदाय का होना चाहिये. इसके साथ ही वो अच्छी परिवार से भी होना चाहिये. 

मतलब अगर आप पहले दी गई दो शर्तों पर ख़रे उतरते हैं, तो भी आप नौकरी के लिये क़ाबिल नहीं हैं. यानि सिर्फ़ अग्रवाल-वैश्य समुदाय के लोग ही इस नौकरी पद का आवेदन कर सकते हैं. 

कंपनी की तीसरी शर्त को लेकर सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना भी हो रही है. होनी भी चाहिये, क्योंकि नौकरी देने का ये कौन सा लॉजिक है कि बंदा अग्रवाल-वैश्य समुदाय का होना चाहिये. मतलब अगर कोई 12वीं पास बंदा ज़रूरतमंद है और कंपनी की उम्मीदों पर ख़रा उतरता है, तो वो सिर्फ़ इसलिये जॉब के क़ाबिल नहीं है, क्योंकि वो अग्रवाल-वैश्य समुदाय का नहीं है. 

दूसरी चीज़ ये है कि अगर कोई कैंडिडेट इस समुदाय से आता है और अच्छी फ़ैमिली का है, तो वो ट्रेन में खाना परोसने का काम क्यों करेगा. या फिर सारे परिवारिक सुख छोड़ कर, देश के कोने-कोने में क्यों भटकेगा? 

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इस नौकरी को लेकर तमाम ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब मांगा जाना चाहिये और इस तरह के विज्ञापन की कड़ी निंदा भी होनी चाहिये. 

दिल्ली के ओखला में बृंदावन फू़ड प्रोडक्ट्स कंपनी में मौजूदा 5000 लोग काम करते हैं. ये कंपनी हॉस्पिटैलिटी और कैटरिंग में अपने 50 बरस भी पूरे कर चुकी है. पर अफ़सोस इतने सालों तक काम करने के बाद ये अपनी मानसिकता नहीं बदल पाये. 

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