वक़्त कितना भी बदल जाए, लेकिन एक चीज़ कभी नहीं बदलेगी वो है इस समाज की सोच. जो दो प्यार करने वालों को सिर्फ़ जाति की वजह से एक नहीं होने देती. उन्हें इंसानों से ज़्यादा जाति की फ़िक्र होती है. मगर इसी समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो प्यार करने वालों को समझते हैं और उन्हें पनाह भी देना चाहते हैं.
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ये फ़ैसला किसी और का नहीं, बल्कि केरल सरकार का है वो दूसरी जाति में शादी करने वाले लोगों को ‘सुरक्षित घर’ देने की तैयारी कर रही है. यहां के सामाजिक न्याय विभाग ने सभी ज़िलों में इस अनोखी पहल को लागू करने की शुरुआत की है.
सामाजिक न्याय मंत्री के. के. शैलजा ने राज्य विधानसभा में कहा,
‘सुरक्षित घर’ का उद्देश्य ऐसे कपल्स की सुरक्षा करना है, जिन्होंने जाति के बाहर शादी की हो. इस घर में वो शादी के बाद एक साल तक रह सकते हैं. इस पहल की शुरुआत स्वयंसेवी संगठनों की मदद से की जा रही है.
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इसके तहत, विभाग ऐसे सामान्य जाति के कपल्स हैं, जिनकी सालाना आय 1 लाख से कम उन्हें स्वरोजगार के लिए 30,000 रुपये और अनुसूचित जाति वालों को 75,000 रुपये की सहायता देगा.
इस पहल की शुरुआत हाल में देश के कई हिस्सों में सामने आए अंतर्जातीय और अंतर-धार्मिक जोड़ों के ख़िलाफ़ सामाजिक बहिष्कार और हमलों की घटनाओं के चलते की गई है.
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इसमें सबसे चौंकाने वाली घटना, 2018 में केरल के कोट्टायम ज़िले में हुई थी, जहां एक 23 साल के दलित ईसाई युवक को उसकी पत्नी के रिश्तेदारों ने अपहरण कर मार डाला था क्योंकि इसकी पत्नी ऊंची जाति की थी.
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