यूं तो देश में कई पुलिसवाले ईमानदारी से अपनी ड्यूटी को निभाने में यकीन रखते हैं, लेकिन वहीं इन महकमों में कई ऐसे लोग भी हैं जो रिश्वतखोरी से लेकर भ्रष्टाचार तक तमाम अपराधों में भी लिप्त रहते हैं, जिससे पुलिस विभाग अकसर संदेह के घेरे में रहता है.

ताज़ा मामले में पुलिस उस समय फिर से सवालों के घेरे में आ गई, जब दहेज़ हत्या केस में सज़ा काट रही एक महिला जेल में मृत पाई गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जेलर ने महिला के ‘प्राइवेट पार्ट’ में लाठी डाल दी, जो महिला की मौत की वजह बनी.

मंजुला नाम की महिला अपनी ननद की हत्या के जुर्म में उम्रक़ैद की सज़ा काट रही थीं. मंजुला की मां गोदावरी को भी इसी मामले में सजा सुनाई गई थी, लेकिन केस की सुनवाई के दौरान ही मंजुला की मां की मृत्यु हो गई थी.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, 4 जनवरी 1996 को मंजुला ने अपनी भाभी विद्या शेट्टी के ऊपर मिट्टी का तेल छिड़का था और मंजुला की मां ने उसके ऊपर जलता हुआ स्टोव फेंक दिया था. इस घटनाक्रम में विद्या की मौत हो गई और उसकी हत्या के जुर्म में अदालत ने मंजुला और उसकी मां गोदावरी को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.

मंजुला के जेल में किए गए अच्छे व्यवहार के कारण उसे उसकी बैरक का वॉर्डन बना दिया गया. 23 जून, जिस दिन घटना हुई उस दिन राशन में से 2 अंडे और 5 वड़ा पाव कम हो गए. जिसके बाद मंजुला को जेल अधिकारी मनीषा पोखकरल के रूम में बुलाया गया. एक चश्मदीद गवाह ने बताया कि जेल अधिकारी के कमरे में जाने के बाद उसने मंजुला के दर्द से चीखने की आवाज़ें सुनी. मंजुला जब वहां से बाहर आई, तो काफ़ी ज़्यादा दर्द में थी.

गवाह ने बताया कि उसके थोड़ी देर बाद फिर कुछ पुलिस वाले आए और उन्होंने फिर से मंजुला को मारा. गवाह ने मंजुला को मारने वाले महिला पुलिस कॉन्सटेबल्स की पहचान बिंदू नायकडे, वासीमा शेख़, शीतल शेगांवकर, सुरेखा गुल्वे और आरती शिंगने के रूप में की. गवाह ने बताया कि सुरेखा और बिंदू ने मंजुला के पैरों को पकड़ा था, जबकि वसीमा शेख़ उसके प्राइवेट पार्ट में लाठी डाल रही थी.

सज़ा होने के बाद मंजुला को यरवदा जेल भेज दिया गया और वहां से तीन महीने पहले ही उसे Byculla जेल में लाया गया था. इसी जेल में मंजुला के साथ ये घटना हुई. गवाह का कहना है कि बैरक में मंजुला के मुंह से खून बह रहा था, लेकिन पुलिस वालों ने उसकी कोई मदद नहीं की. जब मंजुला बेहोशी की हालत में बाथरूम में मिली, तो पुलिस वाले उसे लेकर अस्पताल गए. जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

इस घटना से जेल में बंद कैदियों में ख़ासा आक्रोश है. उन्होंने इसके विरोध में प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया है. 200 कैदियों ने इसके विरोध में हिंसक प्रदर्शन भी किया. इस प्रदर्शन में अपनी बेटी की हत्या के जुर्म में सज़ा काट रही चर्चित मीडिया हस्ती, इन्द्राणी मुखर्जी भी शामिल थीं.

इसमें कोई शक नहीं कि मंजुला अपराधी थी, लेकिन वो कानून द्वारा दी गई सजा को भुगत रही थी. ऐसे में जेलर का यह कृत्य बर्बरता से कम नहीं है. ये घटना समाज में पुलिस की उसी छवि को और मज़बूत करेगी, जिसकी वजह से वर्षों से लोग पुलिस को लेकर खौफ़ खाते रहे हैं.

Article Source: Hindustantimes