उत्तरी केन्या के सांबुरू में लगभग 500 सालों से पितृसत्तात्मक समाज था. मगर 3 दशकों पहले ये स्थिति बदल गई. इसे बदलने वाली महिला का नाम था रेबेका लोलोसोली (Rebecca Lolosoli). इन्होंने ख़ुद के दर्द के साथ-साथ दूसरी महिलाओं के दर्द को समझा और महिलाओं का एक गांव बना डाला.
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इस गांव का नाम उमोजा है. 30 साल पहले 1990 में 15 पीड़ित महिलाओं के लिए रेबेका ने ये गांव बसाया था. ये वो महिलाएं थीं, जो ब्रिटिश सैनिकों द्वारा यौन उत्पीड़न और बलात्कार से बच गई थीं. इन सभी महिलाओं को उनका हक़ दिलाने के लिए रेबेका के साथ कुछ पुरूषों ने मारपीट की थी. इस गांव को बसाने पर रेबेका को कई तरह की धमकियों का भी सामना करना पड़ा था.
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Outlook India की रिपोर्ट के अनुसार, उमोजा में अब घरेलू हिंसा, Genital Mutilation और बाल-विवाह जैसी यातनाओं का शिकार हुई महिलाओं को भी आसरा दिया जाता है.
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इस गांव में एक भी पुरूष नहीं हैं और महिलाएं इस बात से ख़ुश हैं वो नहीं चाहतीं एक पितृसत्तात्मक समाज में रहना. उनकी यातनाएं बर्दाश्त करना.
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यहां पर सारा काम महिलाएं ख़ुद करती हैं. अपनी जीविका के लिए वो पर्यटकों को सस्ते दामों पर उमोजा की सैर कराती हैं.
इस गांव ने आस-पास के गांवों की महिलाओं को पितृसत्तात्मक समाज का बहिष्कार करने के लिए प्रोत्साहित किया और एक महिला होने के नाते अपने अधिकारों और हक़ों को समझने पर ज़ोर दिया.
आपको बताे दें, साल 2015 में इस गांव में 47 महिलाएं थीं.
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