दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया कांड की पीड़िता के माता-पिता ने सिविक अथॉरिटीज़ से मिलकर निर्भया साइंस म्यूज़ियम का नाम उनकी बेटी के वास्तविक नाम पर रखने का अनुरोध किया है. उनका कहना है कि ऐसा करने से महिला सुरक्षा की दिशा में समाज को सार्थक संदेश जाएगा.

बुधवार को पीड़िता के माता-पिता आशा देवी और बद्रीनाथ सिंह ने दक्षिणी दिल्ली के मेयर श्याम शर्मा से दिल्ली के सिविक सेंटर पर मुलाक़ात की और इस संबंध में उन्हें एक अनुरोध पत्र सौंपा.

महापौर ने कहा कि वह उनके अनुरोध पर विचार करेंगे और अगर कोई क़ानूनी अड़चन हुई, तो उसे दूर करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे.

गौरतलब है कि आर.के. पुरम स्थित सांइस म्यूज़ियम के नाम में वर्ष 2013 में निर्भया शब्द जोड़कर उस 23 वर्षीय फिज़ियोथेरेपी छात्रा को श्रद्धांजलि दी गयी थी.

पीड़िता के पिता ने पीटीआई से कहा, हमें क्यों अपनी बेटी का नाम छुपाना चाहिए? इसमें मेरी बेटी की गलती नहीं थी और अपराध को छुपाकर हम अपराध को और बढ़ावा देते हैं. देश की आत्मा को झकझोर देने वाली इस घटना के बाद क्या समाज महिलाओं के लिए सुरक्षित हो गया है? ऐसा करने वालों को अपना नाम छुपाना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा, मेरी बेटी निर्भया के रूप में अमर हो गई, मगर फिर भी हम चाहते हैं कि समाज उस लड़की को जाने, जिसकी हमने परवरिश की, जिसकी इज़्ज़त को इन शैतानों ने तार-तार कर दिया. उसकी यादें बहुत दुखद हैं, मगर उसका नाम समाज को ये याद दिलाता रहेगा कि अब कभी भी हमारे समाज में ऐसा कुछ नहीं होने देना है.

दिल को झकझोर देने वाली ये घटना महिला सुरक्षा के लिए एक बड़ा बदलाव था. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख़्त क़ानून की मांग को लेकर महीनों तक लोग सड़कों पर उतरे रहे.

मुलाकात के दौरान शर्मा ने कहा, म्यूज़ियम के नाम को लेकर एक बोर्ड गठित किया गया है और इस सेंटर को उपयोगी और लर्निंग बनाने के लिए सारे कदम उठाये गये हैं.

पिता सिंह के मुताबिक, युवा लड़के-लड़कियां या फिर मर्द और पुरुष जब भी इस म्यूज़ियम को देखने जायेंगे, तो उन्हें हमारे देश में महिलाओं की स्थिति का ख़्याल ज़रूर आएगा. तब शायद वो ईमानदारी से सोच पाएंगे और यह हमारे समाज के लिए बेहतर होगा.

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर साइंस म्यूज़ियम का निर्भया के बदले वास्तविक नाम रखने में कोई क़ानूनी अड़चन है, तो हम कम से कम उसकी तस्वीर ही लगाने की मांग कर रहे हैं.

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