ज़िंदगी जितनी आसान लगती है उतनी होती नहीं है, लेकिन हम इसे जज़्बों और हौसलों से आसान बना ज़रूर सकते हैं. इसकी हर परीक्षा को अव्वल नम्बर से पास कर सकते हैं. परीक्षा ज़िंदगी की हो या पढ़ाई की दोनों ही हर सामान्य इंसान को मुश्किल ही लगती है, लेकिन जब ख़ुद संघर्ष से जूझ रहे हो फिर परीक्षा में अव्वल आने की ज़िद हो तो कुछ वैसा ही करो जैसा, उत्तरप्रदेश के बरेली की रहने वाली 16 साल की सफ़िया जावेद ने किया.

दरअसल, सफ़िया 5 सालों से ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) की बीमारी से लड़ रही हैं. इसके चलते उसे सांस लेने में समस्या होती है इसलिए वो ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल करती है. सफ़िया 10वीं की स्टूडेंट है और उसने अपनी बीमारी को अपनी पढ़ाई के बीच नहीं आने दिया और एक योद्धा की तरह इससे लड़ते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर परीक्षा दी.
कहते हैं हिम्मत-ए-मर्दा, ते मदद-ए-ख़ुदा, ये बात सफ़िया की सच साबित हुई. रिज़ल्ट आने के बाद साफ़िया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. सफ़िया की मेहनत रंग लाई है उन्होंने 69 प्रतिशत मार्क्स के साथ फ़र्स्ट डिवीज़न से बोर्ड परीक्षा पास की है. सफ़िया के आर्ट में 82, इंग्लिश में 77 और सामाजिक विज्ञान में 68 नंबर आए हैं.

Times Of India के अनुसार, सफ़िया ने कहा,
मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझ पर विश्वास जताया. मैं आज बहुत ख़ुश हूं कि मैं अपने पेरेंट्स की उम्मीदों पर खरी उतरी.
वहीं, सफ़िया के पिता सरवर जावेद, जो नोएडा की एक प्राइवेट फ़र्म में काम करते हैं उन्होंने सफ़िया के जज़्बे को देखकर नौकरी से छुट्टी ली और उसे परीक्षा दिलाने ले गए.
उन्होंने कहा,
मेरी बेटी का पढ़ाई का जज़्बा ही है जिसने उसे इस बीमारी क बाद भी परीक्षा देने की हिम्मत दी. गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद ही उसकी काफ़ी तबियत बिगड़ने लगी थी, फिर उसे टीबी की शिकायत हुई, हालांकि प्राइवेट अस्पताल में इलाज होने के चलते उसकी स्थिति सुधर गई थी. मगर फिर उसे पल्मोनरी टीबी हो गया, जिसकी वजह से उसके फेफड़ों में अक्सर पानी भर जाता है. इसके लिए उसे ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल करना पड़ता है.

सफ़िया जैसी हिम्मत और हौसला सब में होना चाहिए और कभी ये हौसला डगमगाए तो हरिवंश राय बच्चन की जी की वो कविता ज़रूर याद कर लेना, ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’.
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