ये आम जनता है कुछ भी समझ सकती है. ताज़ा मामला मध्यप्रदेश के भिंड ज़िले से सामने आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक शख़्स ने मोदी जी के बयानों को काफ़ी दिल से लगा लिया. इतना दिल से कि किसी दूसरे कमाई को SBI बैंक से ख़ुद के पैसे समझ कर निकालता रहा. 

क्या है पूरा किस्सा? 

ये मामला रूरई गांव के रहने वाले हुकुम सिंह और रोनी गांव के रहने वाले हुकुम सिंह से जुड़ा हुआ है. इन दोनों ही लोगों ने आलमपुर ब्रांच में अकाउंट खुलवाया था. अब हुआ ये है कि बैंक के किसी अधिकारी ने पासबुक में इनकी फ़ोटो तो अलग-अलग लगा दी, पर पता और ख़ाता नबंर एक ही छाप दिया. बस मामला यहीं गड़बड़ा गया. बैंक रिकॉर्ड के मुताबिक, एक ही खाते के दो दावदारे बन गये थे. 

ख़ाता खुलवाने के बाद एक तरफ़ जहां हुकुम सिंह कुशवाहा हरियाणा जा कर मेहनत की कमाई बैंक में जमा करवा रहे थे. वहीं दूसरी ओर रोनी गांव के हुकुम सिंह ये समझ कर बैंक से पैसे निकलते रहे कि ये रक़म उनके लिये मोदी जी भेज रहे हैं. पैसे जमा करने और निकालने का ये सिलसिला पूरे 6 महीने तक चलता रहा. इस तरह से एक हुकूम सिंह ने हरियाणा वाले हुकूम सिंह के अकाउंट से करीब 89 हज़ार रुपये निकाल डाले. 

कैसे हुआ ख़ुलासा? 

इस बात का पता तब चला जब रूरई गांव वाले हुकुम सिंह ज़मीन ख़रीदने के लिये 16 अक्टूबर को बैंक से पैसे निकालने पहुंचे. बैंक पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उनके ख़ाते में सिर्फ़ 35 हज़ार 400 रुपये बचे हैं, जबकि होने 1 लाख 40 हज़ार चाहिये. 

इस वाक़ये से हुकूम सिंह घबरा गये और फ़ौरन उन्होंने बैंक अधिकारियों से इसकी शिकायत की. हुकूम सिंह ने बैंक अधिकारियों पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया है. 

बताओ ज़रा मेहनत किसी ने की और महीनों तक ज़िंदगी के मज़े कोई और लेता रहा. ये तो बहुत ही ग़लत हुआ बाबा. 

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