इस समय आम आदमी हो या कोई सेलिब्रिटी सभी एक ही गुहार लगा रहे हैं कि कृपया घर पर रहें. अगर कोरोना से जीतना है, तो घर पर रहकर ही इसे हराना होगा. कोरोना वायरस सभी के लिये कितना ख़तरनाक है, ये जानते हुए भी कुछ लोग एहतियात नहीं बरत रहे. एक ओर जहां सभी लोग कोरोना से निपटने की जद्दोजहद में लगे हैं, वहीं शाहीन बाग में प्रदर्शकारी प्रदर्शन में लगे हुए थे.
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दिल्ली सीएम केजरीवाल लॉकडाउन की घोषणा कर चुके हैं. इसके बावजूद मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया. डीसीपी दक्षिण पूर्व आरपी मीणा का कहना है कि कोरोना के प्रकोप के चलते जब पुलिस उन्हें वहां से उठाने गई, तब प्रदर्शनकारियों ने वहां से हटने से मना कर दिया. यही नहीं, कुछ लोग हिंसा पर उतर आये, जिसके चलते उन्हें हिरासत में ले लिया गया. संयुक्त सीपी (दक्षिणी रेंज) देवेश श्रीवास्तव का कहना है कि पुलिस ने 6 महिलाओं सहित 9 लोगों को हिरासत में लिया है.
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इस बारे में एक स्वयंसेवक का कहना है कि मंगलवार सुबह धरनास्थल पर सिर्फ़ 8-10 महिलाएं थीं, जिन्हें पुलिस ने सुबह 7 बजे वहां से हटा दिया था. प्रकोप को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शनकारियों की संख्या सीमित कर दी गई थी. स्वयंसेवक का ये भी कहना है कि पुलिस ने वहां पहुंच कर तोड़-फोड़ की, पोस्टर हटाये, यहां तक कि भारत का नक्शा भी ध्वस्त कर दिया. पिछले हफ़्ते प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि प्रदर्शन में बुज़ुर्गों और बच्चों को शामिल नहीं किया जा रहा है. इसके साथ ही सभी लोग एक निश्चित दूरी पर बैठ कर धरना दे रहे हैं.
यही नहीं, रविवार को जनता कर्फ़्यू के दौरान शाहीन बाग विरोध स्थल पर अज्ञात लोगों द्वारा पेट्राल बम भी फेंका गया था. वहीं डीसीपी (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ने बयान जारी करते हुए कहा कि हौज़ रानी विरोध स्थल हटा दिया गया है. किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. मंगलवार सुबह जामिया, जाफ़राबाद और तुर्कमान गेट से प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया, साथ ही कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है.
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देशवासियों एक चीज़ समझ नहीं आती है. धरना-प्रदर्शन अपनी जगह है, लेकिन उससे पहले करोड़ों लोगों की जान बचाना हमारा धर्म है. हमारी और आपकी छोटी सी ग़लती कई ज़िंदगियों पर भारी पड़ सकती है. अपना विरोध तभी जता पाओगे, जब ज़िंदा बचोगे.
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