COVID-19 को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने के साथ-साथ कई नियम बनाए गए हैं. इसमें से एक यात्रा पर प्रतिबंध है. इस प्रतिबंध के चलते स्पेन की साइकलिस्ट Yesenia Herrera Febles भारत में क़रीब दो महीने से फंसी थीं. अब दो महीने बाद वो अपने घर वापस जाने में सफ़ल हुई हैं. Febles ने सोमवार को त्रिपुरा से दिल्ली के लिए एक स्पेशल ट्रेन ली. ये दिल्ली से 30 मई को अपने घर की फ़्लाइट लेंगी.

कैनरी द्वीप समूह की रहने वाली Febles पेशे से एक नर्स हैं. वो पिछले दो सालों से साइकिल यात्रा कर रही हैं और 18 देश घूम चुकी हैं, जिसमें एशिया और यूरोप के 18 देश शामिल हैं. जब 9 मार्च को वो बांग्लादेश से Akhaura Integrated Check Post के रास्ते त्रिपुरा पहुंचीं. फिर त्रिपुरा से 16 मार्च को तीन दिन तक साइकिल चलाते हुए त्रिपुरा-मिजोरम सीमा पहुंची, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते उन्हें बॉर्डर पार करने की अनुमति नहीं दी गई. उन्हें एम्बुलेंस में अपनी साइकिल के साथ अगरतला वापस जाने को कहा और 14 दिनों के लिए क्वारंटीन होने की सलाह दी.

Febles को वहां के अधिकारियों से बात करने में समस्या हो रही थी, क्योंकि Febles को सिर्फ़ इंग्लिश और स्पैनिश आती है. एक चर्च के पादरी Father Paul Pudussery ने Febles की मदद की और उन्हें अपने चैरिटी सेंटर में रहने के लिए मुफ़्त में जगह दी. वहां वो केरल के तीन अन्य साइकलिस्ट से मिलीं, जिनके नाम क्लिफ़िन फ़्रांसिस, डोना एना जैकब और हसीब एहसान थे, जो म्यांमार के रास्ते से टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने के लिए गए थे.

इस चैरिटी सेंटर का नाम Asha Holycross है. इसे अगरतला के बाहरी इलाके में होली क्रॉस और मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी द्वारा बनाया गया है. यहां रहते हुए Febles ने अपने नए दोस्तों के चैरिटी के कामों में हाथ बंटाना शुरू किया और वहां के लोगों के साथ मिलकर मास्क बनवाए. मार्च के आख़िरी हफ़्ते तक Asha Holycross ने ग्रामीणों को 20,000 से ज़्यादा मास्क मुफ़्त में बांटे.

The Times Of India के अनुसार, एक सामाजिक कार्यकर्ता Devid Debbarma ने कहा, Asha Holycross सिर्फ़ मास्क ही नहीं, बल्कि खाने-पीने के चीज़ें भी मुफ़्त में बांटते हैं.
Febles ने अपने घर जाने से पहले Asha Holycross में सिलाई के साथ-साथ रोटियां बनाना भी सीख लिया है.

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