पेड़ों का महत्व हमारे जीवन में बहुत है. अगर ये नहीं होंगे तो हमारा सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा. इसके लिए जगंलों का होना ज़रूरी है और जगंलों के होने के लिए बाघ का होना. इसी संदेश के साथ वेस्ट बंगाल के रथींद्र दास ने 15 फरवरी 2019 को अपनी पत्नी गीतांजली के साथ एक यात्रा शुरू की, जिसको नाम दिया ‘Journey For Tigers’. 

इसके तहत ये दंपत्ति अबतक 28 राज्यों और 5 केंद्रशासित प्रदेशों तक पहुंच चुके हैं और लोगों को जागरुक कर चुके हैं. इनका अगला लक्ष्य ओडिशा के मयूरभंज स्थित सिमलीपाल नेशनल पार्क है.

रथींद्र दास ने अपनी यात्रा के बारे में ANI को बताया,

15 फरवरी, 2019 को पश्चिम बंगाल से शुरू हुई ‘Journey For Tigers’ में अभी तक हम मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, मिज़ोरम, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और भारत के कई और राज्यों तक पहुंच चुके हैं. 35 हज़ार किलोमीटर की इस यात्रा में हमने 26 हज़ार लोगों को अपने इस अभियान के तहत जागरुक करने का प्रयास किया है. 
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उन्होंने आगे बताया,

इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ़ शहरी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरुक करना है. इसके तहत हमने ओडिशा के सतकोसिया बाघ अभ्यारण्य में प्रवेश किया है. हमें इस अभियान में सोशल मीडिया से जुड़े फ़्रेंड्स भी हमारी मदद कर रहे हैं.
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अगर जंगली जानवरों और पौधों में व्यापार पर काम करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन TRAFFIC द्वारा जारी एक रिपोर्ट की मानें, तो 2000 और 2018 के बीच औसतन 124 बाघ मारे गए. पिछले 18 वर्षों में, दुनिया भर के 32 देशों और क्षेत्रों से 2,359 बाघों के बॉडी पार्ट्स को ज़ब्त किया गया था. सबसे ज़्यादा बाघ भारत में ज़ब्त किए गए थे. 

दोनों पति पत्नी ने उनके बारे में सोचा है, जो अपनी तकलीफ़ बयां नहीं कर सकते हैं. उनकी तकलीफ़ इन्होंने समझी है. इसलिए इनका साथ सभी को देना चाहिए.

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