एक आदिवासी कपल ने पिता की तेरहवीं में पानी की समस्या को देखते हुए 15 दिन में 35 फ़ीट गहरा कुआं खोद डाला. कुआं खोदने के लिये दंपती ने सब्बल, गेंती, और फावड़ा का इस्तेमाल किया था.
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ये घटना पिपरौदा गांव की है. कुछ महीने पहले गांव के कलेक्टर के पिता का निधन हो गया था. वहीं पिता की तेरहवीं पर उन्हें पानी की काफ़ी समस्या हुई. पानी लेने के लिये उन्हें 200 मीटर लगे हैंडपंप पर जाना पड़ता, तब जाकर पानी की ज़रूरत पूरी हो पाती. इसी मुसीबत को देखते हुए उन्हें कुआं खोदने का आईडिया आया और पत्नी के मिल कर उन्होंने असभंव काम को संभव बना दिया.
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कलेक्टर के घर के आंगन में 4 फ़ीट चौड़ा और 35 फ़ीट गहरा कुआं है. कमाल की बात ये है कि दंपति की ये मेहनत पड़ोसियों के काम भी आई और उनकी भी पानी क़िल्लत दूर हो गई. कलेक्टर और उनकी पत्नी के काम से प्रेरित होकर दो आदिवासी परिवार भी कुआं खोदने में जुटे हैं, ताकि गांव के किसी भी सदस्य को पानी के लिये न रोना पड़े.
मेहनत और दिमाग़ लगा कर हर काम किया जा सकता है.
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