प्रवासी मज़दूरों के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलाई तो गई हैं लेकिन उनमें उन्हें सीट मिल जाए, ऐसा ज़रूरी नहीं है. और जिन्हें सीट मिल गई है वो अपने घर सही सलामत पहुंच जाएं इसकी भी कोई गारंटी नहीं है. रोज़ श्रमिकों से जुड़ी ऐसी ख़बरें सुनने को मिलती ही रहती हैं. अब एक मज़दूर ने श्रमिक ट्रेन में जगह नहीं मिलने की वजह से जो किया वो सुनकर चौंक जाएंगे. इनका नाम लल्लन है और ये उत्तरप्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में पेंटर के तौर पर काम करते हैं.    

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दरअसल, लल्लन, गोरखपुर के रहने वाले हैं. लॉकडाउन के दौरान ही वो अपने घर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन नहीं जा पाए. इसी बीच सरकार द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन ने बाकी प्रवासी मज़दूरों की तरह लल्लन के दिल में भी एक उम्मीद जगा दी.

इसके चलते वो अपने पूरे परिवार का टिकट कराने के लिए स्टेशन गए, लेकिन 3 दिन के लंबे इंतज़ार के बाद भी उन्हें टिकट नहीं मिला. लल्लन ने इस बात से परेशान होकर घर जाने के लिए जो तरीक़ा अपनाया वो एक मज़दूर के लिए सोच पाना भी असंभव है, लेकिन परिस्थितियों ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया.

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News18 की रिपोर्ट के अनुसार,

3 दिन के बाद भी जब टिकट नहीं मिला तो लल्लन चौथे दिन बैंक गए और अपनी ज़िंदगी भर की जमा पूंजी 1 लाख 90 हज़ार निकाल लाए. उन पैसों को लेकर वो सेकेंड हैंड कार मार्केट में गए और डेढ़ लाख रुपये में कार ख़रीदी. उसी कार से वो अपने पूरे परिवार को लेकर अपने गांव गोरखपुर के पीपी गंज के कथोलिया गांव लौट आए. इस संघर्ष से गुज़रने के बाद लल्लन ने अब दोबारा शहर जाने से तौबा कर ली है. 
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लल्लन ने बताया,

श्रमिक स्पेशल ट्रेन में टिकट नहीं मिलने पर बस से आने की इसलिए नहीं सोची क्योंकि बस में भीड़ बहुत थी. इस वजह से परिवार को संक्रमित होने का ख़तरा ज़्यादा था. इसलिए मैंने कार ख़रीदी और अपने घर वापस आ गया.
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उन्होंने आगे कहा,

मुझे पता है कि मैंने अपनी पूरी जमा पूंजी इस कार में लगा दी है, लेकिन ये सब मैंने अपने परिवार के लिए किया है. उन्हें घर सुरक्षित पहुंचा कर मैं बहुत ख़ुश हूं. 

फ़िलहाल लल्लन और उसके परिवार वालों को क्वारंटीन कर दिया गया है. उन्होंने कहा,

सब ठीक होने के बाद गोरखपुर में ही काम ढूंढूंगा, लेकिन ग़ाज़ियाबाद अब वापस नहीं जाऊंगा. 

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