हिंदुस्तान की महिला पहलवान रितिका फोगाट की ख़ुदकुशी करने से मृत्यु हो गई. बताया जा रहा है कि टूर्नामेंट में मिली हार से निराश होकर रितिका ने ज़िंदगी ख़त्म करने का फ़ैसला लिया.

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रिपोर्ट के मुताबिक, रितिका ने 12 से 14 मार्च के बीच चले स्टेट लेवल सब जूनियर टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था, लेकिन वो फ़ाइनल में बाज़ी हार गई. बस इससे दुखी होकर उन्होंने गांव बलाली में इतना बड़ा क़दम उठा लिया. महज़ 17 साल की उम्र में रितिका का ये क़दम हर किसी के लिये किसी बड़े सदमे जैसा है.

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पहलवानी में अपना करियर बनाने वाली रितिका लगभग 5 साल से अपने फूफा महाबीर फोगाट से पहलवानी की ट्रेनिंग ले रही थीं. कहा जा रहा है कि उन्होंने टूर्नामेंट के लिये काफ़ी प्रैक्टिस की थी और उन्हें जीतने की पूरी उम्मीद थी. रितिका को पूरा विश्वास था कि फूफा से ट्रेनिंग लेने के बाद वो जीत कर ही घर लौटेंगी. टूर्नामेंट में मौजूद महावीर फोगाट ने भी कभी ये नहीं सोचा होगा कि वो रितिका का आखिरी टूर्नामेंट देख रहे हैं.

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हार के बाद घर लौटी रितिका ने 15 मार्च को दुप्प्टे से फांसी लगाई. रितिका फोगाट ने स्टेट लेवल सब जूनियर टूर्नामेंट में 53 किलोग्राम भारवर्ग में भाग लिया था, जिसमें वो महज़ एक प्वाइंट से हार गईं. एक ओर जहां गीता और बबीता फोगाट पहलवानी में इतिहास रच चुकी हैं. वहीं रितिका का कम उम्र में दुनिया को अलविदा कहना खेल जगत को निराशा दे गया.  

रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेट लेवल चैंपियनशिप का फ़ाइनल मैच भरतपुर में खेला गया. फिलहाल पुलिस ने उनका शव परिजनों को दे दिया और पुलिस मामले की जांच कर रही है. कहा जा रहा है कि रितिका भी अपनी बहनों गीता और बबीता फोगाट की तरह पहलवानी में मेडल जीतने का ख़्वाब देख रही थीं, लेकिन ऐसा हो न सका.  

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दुखद है कि रितिका ने एक हार के बाद अपनी ज़िंदगी गंवा दी. बेहतर होता कि वो पहलवानी के मैदान में लड़कर ख़ुद को साबित करतीं. याद रखिये एक हार या जीत आपकी क़िस्मत का फ़ैसला नहीं करती है.