बाथरूम जाना दुनिया की बेस्ट फ़ीलिंग्स में से एक है… तभी तो हिन्दी में कहते हैं, ‘हल्का होना’! ये फ़ीलिंग ख़ासकर तब और ज़्यादा पता चलती है जब आपको कहीं से घर जाना हो और रास्ते में प्रेशर आ जाए. उस वक़्त आपके दिमाग़ में बस एक ख़याल होता है कि कैसे जल्द से जल्द घर पहुंचा जाए.
पर लड़कियों के जी का जंजाल है पब्लिक टॉयलेट. लड़के तो कहीं भी खड़े होकर शुरू हो जाते हैं, पब्लिक टॉयलेट में भी. दिक्कत होती है लड़कियों को. चाहे वो ट्रैवल के दौरान हो या यूं ही ऑफ़िस से घर जाने के बीच कहीं.
पब्लिक टॉयलेट जाते हुए हर लड़की के दिमाग़ में ये विचार आते ही होंगे-
1. क्या ये लोग अपने घर में भी सूसू करके पानी नहीं डालते?
2. क्या विदेश के पब्लिक टॉयलेट भी ऐसे ही होते हैं?
3. फ़ेस, हेयर का ध्यान रखने वाली इन महिलाओं को टिश्यू सीधे डस्टबिन में डालने का सेंस कैसे नहीं आता?
4. Squats के आविष्कार के पीछे का असल लॉजिक पब्लिक टॉयलेट में ही समझ आता है.
5. पब्लिक टॉयलेट में भी कोई इतना टाइम कैसे लगा सकता है?
6. हे भगवान, फ़ार्ट करने से बचा लेना!
7. लड़कियां भी इतनी गंदगी फैला सकती हैं?
8. टॉयलेट में कोई पंचायती कैसे कर लेती है?
9. यहां पानी-पानी खेलते हैं क्या लोग या पूरे फ़र्श पर सूसू करते हैं, इतना गीला कैसे?
10. ये कौन औरत यहां नंबर छोड़कर गई है, कोई राहुल नहीं आ रहा यहां.
11. डेटॉल जो 1% किटाणु नहीं मार पाता वो पक्का यहीं बसते होंगे.
12. शायद इस जगह कि 2 जन्मों से सफ़ाई नहीं हुई.
13. ये दरवाज़ा ठीक से लगता क्यों नहीं?
14. गंदी जगह पर सूसू भी मैं करूं और पैसे भी मैं ही दूं?
यही कोशिश मैं हर बार करती हूं,
Feature Image Illustrated By: Muskaan