8 महीने की बच्ची का चचेरे भाई ने ही किया रेप’

‘सो रही 80 साल की बुज़ुर्ग महिला से बलात्कार’
‘रोहतक में भी निर्भया केस जैसी दरिंदगी, गैंगरेप के बाद युवती के साथ बर्बरता’

Scoop Whoop

काफ़ी ज़्यादा जानी-पहचानी लग रही होंगी न ये लाइनें? सफ़ेद अख़बार पर काले, बोल्ड अक्षरों में कई बार फ़्रंट पेज पर ऐसी लाइनें पढ़ी होंगी. हो सकता है 4 पल का अफ़सोस भी जताया हो और 5वें पल ‘इस देश का कुछ नहीं हो सकता’ भी कह दिया हो.


अच्छा, फिर क्या हुआ? अख़बार पुराना और उसके साथ रेप की घटना भी पुरानी हो गई. है न? 

टीवी न्यूज़ पर चिल्लाने वाले बार-बार बोलकर शायद 2 दिन के लिए किसी घटना को दिमाग़ से न भी निकलने दें, पर हमारे पास जीवन में इतना कुछ है की भूलना लाज़मी है! 

और रेप केस को कोई याद क्यों करें?

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NCRB के 2016 के डेटा के मुताबिक, हमारे देश में रोज़ाना 106 बलात्कार की घटनाएं होती हैं. अब इन घटनाओं को दिन, हफ़्ते, महीने और साल के हिसाब से गुना कर लीजिए. एक साल में 38690 बलात्कार की घटनाएं…  


इनमें से कितनी घटनाओं की सर्वाइवर/विक्टिम आपके ज़हन में हैं? या कितनों के लिए आपने एक पोस्ट, एक ट्वीट, काली डीपी या एक मोमबत्ती जलाई होगी? चलिए मान लेते हैं 10 महिलाओं/बच्चों के लिए आपके पोस्ट, पोस्टर, कैंडल निकल आए होंगे. और बाक़ी का क्या? क्या उनको न्याय की ज़रूरत नहीं या आपकी तरह उन्हें भी ये भूल जाना चाहिए कि उनका रेप हुआ है? 

मामला 1 

NDTV

ख़बरों में पढ़ा कि उत्तर प्रदेश की एक लड़की ने बीजेपी विधायक, कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था. पिछले साल सर्वाइवर ने मुख्यमंत्री आवास के सामने ख़ुद को जलाने की कोशिश की थी. विधायक के लोगों ने सर्वाइवर के पिता को पीटा और पुलिस ने भी कुछ 8-10 सेक्शन ठोककर सर्वाइवर के पिता को ही जेल में डाल दिया. पिता की पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई.


सालभर से ज़्यादा बीतने के बाद ख़बर आती है कि सर्वाइवर और उसके परिजन, वक़ील दुर्घटना का शिकार होते हैं. विडंबना देखिए, यूपी पुलिस ने सर्वाइवर को सिक्योरिटी भी दी थी और तब ये हुआ है. न्याय की भीख मांगते-मांगते वो लड़की आज ज़िन्दगी के हाशिए पर खड़ी है. 

जब केस के बारे में सबको पता चला था तब भी उन्नाव हैशटेग ट्रेन्ड कर रहा था और सर्वाइवर का ‘एक्सिडेंट’ होने के बाद भी उन्नाव हैशटैग ट्रेन्ड कर रहा है.  

मामला 2 

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ख़बर आई कि जयपुर में एक थाने में एक महिला ने ख़ुद को जला लिया. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, महिला मर गई तो कुछ के अनुसार ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रही है. महिला ने थाने में रेप की रिपोर्ट लिखवाई थी पर किसी की गिरफ़्तारी न होने, कोई कार्रवाई ने होने से दुखी, हताश होकर उसने ख़ुद को जला डाला. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, 75% जल चुकी महिला की मौत हो गई.

बीते 2 दिनों में सामने आए ये दो मामले. दोनों दो अलग-अलग राज्य की घटनाएं, पर घटना एक ही है- रेप. एक तरफ़ देश मंगल, चांद और सूरज तक पहुंचन के ख़्वाब सच कर रहा है, देख रहा है. दूसरी तरफ़ न्याय की उम्मीद कर रही महिलाओं की मौत हो रही हैं.


एक बीजेपी प्रशासित है और दूसरी कांग्रेस. सरकार को इन मामलों पर घेरने वाले और ये कहने वाले कि ‘बीजेपी के राज्य में ज़्यादा रेप होते हैं’ या फिर ‘कांग्रेस के राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं’ को अपने WhatsApp Forwards को ट्विटर और फ़ेसबुक पर डालना बंद कर देना चाहिए. 

बड़ी-बड़ी बातें कहने वाले, लंबे-लंबे आर्टिकल लिखने वालों को अपना सारा ज्ञान आग में डाल देना चाहिए. अपना सब पढ़ा-लिखा भूल जाना चाहिए. दुनिया के सबसे लंबे संविधान वाले सबसे बड़े प्रजातंत्र में जब रेप पीड़िता/सर्वाइवर के लिए ही कोई क़ानून मज़बूत नहीं तो क्या फ़ायदा ऐसी न्यायसंहिता का? क्या फ़ायदा ऐसे प्रजातंत्र का.   

दिल्ली-2012 के केस ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. पूरा देश सड़कों पर उतर आया था. पुलिस पर इतना दबाव बनाया गया कि सभी आरोपी पकड़ लिए गए. मैं पूछती हूं क्या इस देश के लोग सड़कों पर रेप की क्रूरता के आधार पर उतरते हैं? क्या शहर देखकर रेप सर्वाइवर के लिए न्याय मांगने के लिए मोमबत्तियां जलाई जाती हैं?

Dunya News

 पाकिस्तान से ख़ुद को बेहतर कहने वाले इस देश के लोगों को ये पता होना चाहिए कि 7 साल की ज़ैनब को न्याय दिलाने के लिए पूरा देश सड़कों पर आ गया था और हफ़्तेभर के अंदर आरोपी को सज़ा भी हुई थी. और यहां रेप सर्वाइवर्स न्याय की भीख मांगते-मांगते मौत के क़रीब पहुंच जाते हैं.


सोचिए, ये समस्या किसी नेता या पार्टी की इमेज नहीं बिगाड़ रही, ये पूरे देश की ही छवि बिगाड़ रही है.