कहीं बाहर खाना खाते हुए अगर आपको रेस्टोरेंट या होटल की सेवा पसंद नहीं आई, तो सेवा शुल्क या सर्विस चार्ज देना अब ज़रूरी नहीं है. केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय साफ किया है कि कोई भी होटल या रेस्टोरेंट ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज नहीं ले सकता. मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वे इस तरह के सभी प्रतिष्ठानों को इस बारे में सचेत कर दें.

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आपको बता दें कि यह प्रावधान पहले से ही था कि बिल में ज़रूरी टैक्स के अलावा लगाया जाने वाला सर्विस चार्ज चुकाना वैकल्पिक है. यानी इसे देना या न देना ग्राहक की मर्ज़ी पर है. लेकिन मंत्रालय को जबरन सर्विस चार्ज वसूले जाने की शिकायतें मिल रहीं थी. इसलिए उसने स्पष्टीकरण जारी करने का फैसला किया.

सर्विस टैक्स वो टैक्स है, जो सरकार सर्विस देने के लिए लगाती है और ये पैसा सरकार के पास जाता है, जबकि सर्विस चार्ज रेस्टोरेंट्स या होटल खुद लगाते हैं और ये उनकी जेब में जाता है. सरकार के सर्विस टैक्स की दर 6 फीसदी है, जबकि सर्विस चार्ज 5 से 20 फीसदी तक लगाया जाता है.

ये तो हुई ख़बर की बात, लेकिन ये एक ऐसा मामला है, जिसमें सरकारी आदेश के बाद हर दिन ग्राहकों को सर्विस चार्ज के लिए होने वाली तू-तू, मैं-मैं से दो-चार होना पड़ सकता है. इस घोषणा को करके सरकार ने तो नए साल का तोहफ़ा लोगों को दे दिया, लेकिन अगली बार से होटल में खाने से पहले आपको विचित्र सा महसूस हो सकता है. अगर एक ग्राहक के नज़रिये से देखें तो खाने का बिल भरते समय वेटर को ‘टिप दी जाए या नहीं’ वाले संकोच में चार-चांद लग गए हैं. अब तो ये भी सोचना है कि सर्विस चार्ज दें या नहीं.

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आपके साथ कई बार हुआ होगा कि आपने वेटर को टिप के पैसे न दिए हों और आंखें चुराकर वहां से खिसक लिए हों. कई लोगों के साथ ऐसा हो सकता है और कई लोग ऐसा जानकर करते हैं. पर इस फ़ैसले के बाद उपभोक्ताओं को आए दिन ऐसे ही आंखें चुराने की ज़रुरत तो नहीं पड़ेगी? क्योंकि रेस्टोरेंट वाले तो चाहेंगे कि आप उन्हें सर्विस चार्ज दें और इसके लिए आपको कई बार अजीब हालातों का सामना करना पड़ सकता है. ये चार्ज कहीं वैसे ही तो नहीं लिया जाएगा, जैसे कुछ वेटर्स टिप लेते हैं. जिसे टिप देनी हो उससे भी और जिसे नहीं देनी हो उससे भी. ये कुछ शर्मिंदा कर देने वाला मामला नज़र नहीं आता क्या? सोचिए अगर आपने सर्विस चार्ज नहीं दिया और होटल मालिक आपको रोककर कहे कि आप तो बड़े बेकार इन्सान हैं, आपने सर्विस चार्ज तक नहीं दिया, तो कैसा लगेगा? बड़ी जहमत का काम है सर्विस चार्ज देना, उस वक्त ऐसा ही सोचेंगे आप. शायद वापस अपनी तथाकथित महसूस हुई इन्सल्ट के कारण उस जगह दोबारा जाने से बचें भी.

अब National Restaurant Association of India (NRAI) की बातों को ही देखिए. ये वो बॉडी है, जो सभी रेस्टोरेंट्स की तरफ से बोल रही है, उसी तरह जैसे मेडिकल एसोसिएशन या कोई अन्य. इन्होंने तो घोर बेइज़्ज़ती पहले ही कर दी. इनका कहना है कि अगर आप सर्विस चार्ज नहीं देना चाहते, तो होटल में खाना ही मत खाइए. 

इनके बयान से तो लगता है कि नए नियम के बाद सर्विस चार्ज न देने वाले ग्राहकों को शर्मिंदा भी करने की कोशिश की जा सकती है.

NRAI के अध्यक्ष रियाज़ अमलानी ने कहा है कि हम लोग वही सर्विस चार्ज लेते हैं, जो हमने अपने मेन्यू कार्ड पर लिखा होता है. ये उसी तरह से एक बिल है, जैसे होटल्स VAT देते हैं और आम लोग इनकम टैक्स देते हैं.

लेकिन सरकार इस मामले का कोई मानक तय कर देती तो बेहतर होता. पता चला कि सर्विस चार्ज नहीं देने का बदला ग्राहकों से लिया जा रहा है. उन्हें खाना परोसने के बजाय बस दे दिया जा रहा है. कुछ वैसे ही, जैसे अपनी बालकनी से फेंककर आप गली के जानवर को रोटी देते हैं.

आने वाले समय में सर्विस चार्ज न देने पर होटल में कोई स्टाफ आपको तंज कस सकता है, कोई आंखें तैश में दिखा सकता है तो कोई हंस भी सकता है. सोचिए क्या गुजरेगी खाने वालों पर. फ़िलहाल हर स्थिति का सामना करने को ग्राहक को तैयार रहना होगा, आखिर इज़्ज़त भी कोई चीज़ है. खैर सरकार का फैसला है और NRAI को इससे समस्या है. दोनों मिलकर जो ‘हल’ निकालेंगे, उसे हम ग्राहक लोग जोतेंगे.

आइए दुनिया के कुछ शहरों में इस मामले में क्या हाल है, जानते हैं:

न्यूयॉर्क में ज्यादातर होटल बिल पर 15-25% ग्रेच्युटी लेते हैं, जिसे देना ग्राहक के लिए ज़रूरी होता है. कुछ आउटलेट्स जो टूरिस्ट्स को खाना खिलाते हैं, वे अकसर ग्रेच्युटी के ऊपर सर्विस चार्ज लगाते हैं. यूएस में अधिकतर लोग टिप देते हैं. ये स्टाफ यानि रूम सर्विस, वेटर या टैक्सी ड्राइवर के लिए होता है, जिसका रेट लगभग 5%-20% होता है.

लन्दन में रेस्टोरेंट्स 12.5% चार्ज लेते हैं, कहकर उस समय जब आने वालों में ज़्यादा लोगों का ग्रुप होता है. अपनी मर्ज़ी है कि कस्टमर या तो बिल दे या फिर नार्मल टिप दे.

पेरिस में सभी रेस्टोरेंट्स अपने ग्राहकों से 15% सर्विस चार्ज लेते हैं. हालांकि यहां वेटर या टैक्सी ड्राइवर को टिप देने पर तारीफ़ की जाती है.

हॉन्गकॉन्ग में ज़्यादातर रेस्टोरेंट्स में 10% सर्विस चार्ज लिया जाता है. अगर मेन्यू में सर्विस चार्ज देना ज़रुई हैं, ऐसा लिखा है तो फिर देना ही होगा. हालांकि आजकल कई रेस्टोरेंट्स बिना सर्विस चार्ज कहना खिलाने में यकीन करते हैं.