ट्रिप का प्लान तैयार था, सारी तैयारियां महीनों पहले पूरी हो चुकी थीं. कोई ग्रुप गोआ जाने की तैयारी में था, तो किसी ग्रुप ने मनाली के लिए बैग पैक कर लिया था. आखिरी वक़्त में कोई बखेड़ा न खड़ा हो इसलिए सबने मम्मी-पापा से लिखित में रज़ामंदी ले ली थी. अब सब बस दिन गिन रहे थे. या यूं कहें कि पेपर्स गिन रहे थे. एक हो गया, चार बचे हैं, बस तीन और, लास्ट के दो रह गए, अब तो समझो ख़त्म ही है. लेकिन…

इतने में CBSE का पेपर लीक हो गया!

बड़ी मुश्कल से तो बच्चे जैसे-तैसे पेपर देने के लिए तैयार हुए थे, मुए CBSE ने आख़री मिनट के टॉपर को ज़ोर का झटका दे दिया। क़िस्मत ऐसी कि पेपर लीक हुआ भी तो किस का? Math का! लैंग्वेज का पेपर होता तो एक बार के लिए रटा जा सकता था. ये तो पेपरों का बाहुबली है और बच्चे भल्लालदेव.

आपको बताते हैं हुआ क्या, CBSE के दसवीं की परीक्षा चल रही थी और बारहवीं वालों की ख़त्म हो गई थी. जिस दिन दसवीं के छात्रों को मैथ का आखरी पेपर हुआ, ठीक उसके बाद CBSE की ओर से सूचना मिलती है कि दसवीं वालों की गणित की परीक्षा आज नहीं होगी और बारहवीं वालों को अर्थशास्त्र की परीक्षा दोबारा से देनी होगी. ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि दोनों विषयों के पेपर लीक हो गएं थे. ग़लती किसकी? CBSE की. भुगती किसने? छुट्टी का मूड बना चुके बच्चों ने (जिनको इंजीनियरिंग की तैयारी करनी है, उन्हें क्या ही फ़र्क पड़ा होगा). अब बच्चों को उन थ्योंरिज़ को फिर से रटना पड़ेगा, जिसे समझने में उन्हें पूरा एक साल लगा था. शातिर चीटरखोरों को फिर से फ़र्रे बनाने पड़ेंगे.

कुछ को गिटार क्लास जॉइन करनी थी. कोई जिम जाने वाला था. कोई अपनी पूरी छुट्टी प्लेस्टेशन के साथ बिताने वाला था. कितना कुछ होने वाला था देश में, सब धरा का धरा रह गया. अब जब तक दोबारा से परीक्षा होंगी, तब तक न जाने कितने सपने मर चुके होंगे और कितने सपने बदल चुके होंगे. अब समझ आया कि मोदी जी ने CBSE Exams से पहले बच्चों को Exam Warrior क्यों कहा था! उन्हें पता था कि इन फ़ौजियों को बिना बताये गणित की जंग में भेजा जाएगा.

सिर्फ़ बच्चें क्यों, घर वालों को भी तो परेशानी उठानी होगी. जिस परिवार में बच्चे का बोर्ड्स एग्ज़ाम होने वाला होता है. उस परिवार को साल भर के सभी प्लान ड्रॉप करने पड़ते हैं. घर में कुछ भी ऐसा नहीं होता जिससे मां-बाप को ये लगता हो कि इससे बच्चे का फ़ोकस बिगड़ जाएगा. बंद कमरे में बच्चा चाहे फ़ेसबुक में घुसा हुआ हो, पर बाहर लोग फुस-फुसाहट भरी आवाज़ में ही बात करते हैं. परीक्षा करीब आते-आते तक बच्चे की तैयारी जैसी भी हुई हो, घर का केबल कनेक्शन कट जाता है. पापा का न्यूज़ देखना बंद हो जाता है! इस कांड के बाद फिर से उन्हें अपना Exam Mode ऑन करना पड़ेगा

इस बीच ये भी ख़बर आ रही है कि बच्चों ने CBSE के इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है. इसका मतलब समझ रहे हैं आप? पंद्रह सोलह साल के बच्चे विरोध कर रहे हैं. देश में JNU का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे ही दो-तीन बार CBSE ने अपनी ग़लती दोहरा दी, तो बोर्ड की परीक्षाएं चुनावी मुद्दा बन जाएंगी.