आज बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार कर रही थी, तो मैंने देखा कि एक लड़का एक लड़की को कुछ कमेंट पास करके गया. वहां पर बहुत लोग थे, तो वो लड़की थोड़ी असहज हो गई. मगर सब कुछ-कुछ समझ गए थे, तो बड़बड़ाने लगे कि यही सिखाते हैं इनके मां-बाप. रास्ते पर लड़कियों के साथ ये सब करो.

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इतना ही सुन पाई और बस आ गई तो मैं बस पर चढ़ गई, लेकिन टिकट लेने से बस स्टैंड आने तक मेरे दिमाग़ में एक सवाल घूमता रहा कि उस लड़के ने जो किया उसके लिए लोगों ने उसके मां-बाप को बिना सोचे समझे कितना कुछ कह दिया. और वो लड़का तो बोलकर हंसते हुए निकल गया.

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बस से उतरते ही मैंने अपने दोस्त को कॉल किया और उसको बताया जो वहां हुआ. वो सुन रहा था मेरी बात फिर वो अचानक से जो बोला उसने मुझे चौंका दिया. उसने कहा,

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यार, एक बात बता इसमें सब लड़कों की क्या ग़लती है? किसी एक ने उसके साथ ग़लत व्यवहार किया और सब लड़कों को लोग बोलने लगे. लड़कों को तो छोड़ो उनके मां-बाप तक पहुंच गए. लड़का मैं भी हूं मेरे भी मां-बाप हैं, तुझे पता है वो मुझे ये सब नहीं सिखा सकते हैं.

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यहां तक कि उन्हें पता चल जाए, तो वो मुझे घर से निकाल दें. मगर लोग कितनी आसानी से सब लड़कों के मां-बाप तक पहुंच गए. कभी-कभी उन लड़कों पर गुस्सा आता है, जिनकी वजह से हम सब फंसते हैं. मुझे तो लगता है काश! मैं लड़की होता, तो ये सब ज़िल्लत नहीं सहनी पड़ती.

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मेट्रो में किसी से धोखे से भी टच हो जाओ, तो लड़कियां मुझे ऐसे देखती हैं कि मैं मेट्रो में चढ़ा ही सिर्फ़ उन्हें छूने के लिए था. एक दिन तो मेरे साथ हद ही हो गई मेरी मम्मी की उम्र की एक आंटी थीं. मैं बस में चढ़ा और वो भी चढ़ीं तो उनको धक्का लग गया. धक्का इसलिए लगा था क्योंकि ड्राइवर ने ब्रेक बहुत झटके से लगाया था. मगर उन आंटी ने मुझे बहुत गंदे तरीके से घूरा. 

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ये सब चीज़ें अंदर तक परेशान कर देती हैं. कभी-कभी लगता है साला घर से ही न निकलो. क्योंकि कब, कौन आकर ये बोल जाए कि आपके लड़के ने ऐसा बोला? मैं तो वहीं मर जाऊंगा. इतना बोलकर वो रुआंसा हो गया.

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उस दिन पता चला कि जिन लड़कों का भद्दा कमेंट लड़कियों को इतना तोड़ देता है. उन लड़कों की वजह से दूसरी तरफ़ एक लड़का भी टूटकर बिखर जाता है. 

मैं भी बाहर निकलती हूं जब मेरे साथ ऐसा कोई अभद्र व्यवहार होता है तो मैं भी गुस्से में कुछ भी बोल देती हूं. क्योंकि उस वक़्त गुस्सा आ ही जाता है. मगर अपने दोस्त की बात सुनने के बाद पता चला कि लड़कों के लिए कितना कष्टदायी होता है? 

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ये सिर्फ़ एक लड़के का अनुभव है, जो इस बात से गुज़र कर पूरी तरह से टूटा हुआ महसूस करता है. मगर इसका ये मतलब नहीं है कि लड़के ऐसा नहीं करते हैं. अगर लड़के इस तरह के भद्दे कमेंट नहीं करते तो शायद मेरे दोस्त को इस दर्द से नहीं गुज़रना पड़ता.

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वो कहते हैं न कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है, ये बात लड़का और लड़की दोनों पर फ़िट बैठती है क्योंकि हर लड़का बुरा नहीं होता. 


अब मैं अपनी बात को इस प्रश्न पर ख़त्म कर रही हूं, कि ऐसा दिन कब आएगा जब लड़का हो या लड़की दोनों ही बेफ़िक्र घर पहुंचेंगे?