आज हम सोशल मीडिया के युग में जी रहे है. इंटरनेट और सोशल मीडिया आज भारत के कई क्षेत्रों में अपने पैर पसार चुके हैं. यूं तो सोशल मीडिया हमारे लिए कई मायनों में सहायक साबित हुआ है, पर हम यह भी नकार नहीं सकते कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर ऑनलाइन क्राइम भी बढ़े हैं. इंटरनेट पर साइबर क्राइम के अलावा एक और समस्या है, जो अब विकराल रुप धारण करती जा रही है. हंसी मज़ाक और टांग खींचने से शुरु हुआ ट्रोलिंग, अब इंटरनेट के बदलते स्वरूप के चलते Character Assassination जैसी गंभीर समस्या बनता जा रहा है.

आख़िर ये Troll क्या है?
नार्थ यूरोप (स्कैंडेनेविया) की लोक-कथाओं में एक ऐसे बदशक्ल और भयानक जीव का ज़िक्र आता है, जिसका नाम ट्रोल था. इस जीव से लोग डरकर अपनी यात्रा नहीं कर पाते थे. लोक-कथाओं के राहगीरों की तरह फ़ेसबुक या ट्विटर के यात्रियों का सफर भी ट्रोल की वजह से अधूरा रह जाता है, क्योंकि उनकी बात जिस दिशा में जानी थी वहां न जाकर पूरी तरह भटक जाती है. इंटरनेट ट्रोलिंग में किसी व्यक्ति का मकसद, सोशल मीडिया के किसी प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए (मसलन Whatsapp, स्नैपचैट, ब्लॉग, फ़ेसबुक, ट्विटर) लोगों को उकसाना, भड़काना, और विषय सम्बंधित सामान्य चर्चा में गड़बड़ी फ़ैलाना होता है.
इंटरनेट की दुनिया में ट्रोल वो भी होते हैं, जो किसी भी मुद्दे पर चल रही चर्चा में कूदते हैं और आक्रामक बातों से विषय को भटका देते हैं. इसके अलावा ये लोग इंटरनेट पर दूसरों पर छींटाकशी, गालियों के अलावा बेवजह ऐसे मामले में घसीटते हैं, जिससे उन्हें मानसिक परेशानी होती है.

आख़िर क्यों करते हैं लोग ट्रोलिंग?
ट्रोलिंग करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. ट्रोलिंग फ़न के साथ-साथ किसी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है. सामान्यत: तीन तरह की ट्रोलिंग की जाती है.
Corporate Trolling

कॉर्पोरेट ट्रोलिंग में व्यवसायिक रूप से षड्यंत्र रचे जाते हैं, जैसे किसी कम्पनी के झूठी तरक्की का ज़िक्र किया जाता है, जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग कम्पनी से जुड़ सकें. किसी भी ऑर्गनाइज़ेशन का उद्देश्य लाभ कमाना होता है जिसके लिए वे ट्रोलिंग का प्रयोग करते हैं.
राजनीतिक ट्रोलिंग

राजनीतिक दल और सत्ता में बैठी सरकारें सोची-समझी रणनीति के तहत ट्रोल्स की फ़ौज खड़ी कर देती हैं ताकि उनके खिलाफ़ सोशल मीडिया में कोई निगेटिव राय न बन पाए. आमतौर पर देखा जाता है कि इन ट्रोल्स को मुद्दे से भटकाने और सरकार के समर्थन में हवा बनाने के लिए आर्थिक मदद भी की जाती है. ऐसे मामलों में उन प्रभावशाली लोगों पर बेहद छींटाकशी की जाती है, जो सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं.
Special Interest Sponsored या ऑर्गनाइज़्ड ट्रोलिंग

इस प्रकार की ट्रोलिंग में पहले से सोची समझी रणनीति के तहत लोगों, कम्पनियों या पार्टियों को ट्रोल किया जाता है. उदाहरण के तौर पर पिछले साल चीन में सोशल मीडिया पर 44 करोड़ पोस्ट सरकारी नीतियों के पक्ष में करवाए गए थे. ये पूरी तरह से प्रायोजित कार्यक्रम था और इसके लिए छुट्टी वाले दिन कर्मचारियों को काम पर लगाया गया ताकि माहौल सरकार के पक्ष में बना रहे. दुनिया पर ऑर्गनाइज़्ड ट्रोलिंग का सबसे ज़्यादा ख़तरा बना हुआ है.
ये हैं ट्रोलर्स..
आख़िर ट्रोलर्स कौन होते हैं और वे क्यों अपना सारा कामकाज छोड़कर औरों के पीछे पड़े होते हैं? इसका जवाब देना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि ऐसी कोई कम्पनी या ऐसा कोई विशिष्ट व्यक्ति नहीं होता है, जिनके बारे में जानकारी सार्वजनिक हो सके. ऐसे ट्रोलर्स अपना फ़ेक एकांउट बनाकर लोगों को परेशान करते हैं या गलत सूचनाएं फैलाते हैं. कई ट्रोलर्स का मकसद समाज में अटेंशन पाना होता है, तो वहीं कुछ समाज में फैली अव्यवस्था से परेशान होकर भी कई लोग ट्रोलिंग करते हैं.
ट्रोल के शिकार हुए लोग

हाल ही में 20 साल की गुरमेहर कौर ट्रोलिंग का शिकार बनीं थी. युद्ध का रचनात्मक ढंग से विरोध करने वाली गुरमेहर को ट्रोल का शिकार बनाया गया. अश्लील और अभद्र टिप्पणियां ही नहीं, गुरमेहर कौर को बलात्कार तक की धमकी भी दी गई. जिन लोगों ने गुरमेहर के समर्थन में पोस्ट किए, उनके फ़ेसबुक वॉल पर भी गालियों के अंबार लगे हैं. नतीजा ये हुआ कि गुरमेहर को ये कहना पड़ा कि अब वह ख़ुद को इस बहस से अलग कर रहीं हैं.

पिछले साल अनुष्का शर्मा को भी ख़ूब ट्रोल किया गया था. विराट कोहली को लेकर वो हमेशा लोगों के निशाने पर रही हैं. विराट के अच्छा न खेलने पर अनुष्का को ख़ूब ट्रोल किया गया था. तब विराट कोहली को कहना पड़ा था कि भगवान के लिए अनुष्का शर्मा को इसमें न घसीटो. इसके अलावा समय-समय पर भी कई पत्रकारों, राजनेताओं और ऐसी ही कई प्रभावशाली शख़्सियतें भी ट्रोलिंग का शिकार होती रही हैं.
सरकार लाएगी महिलाओं की मदद करने वाला ऐप

ट्रोलिंग के ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जिनसे लोगों को दो-चार होना पड़ता है. हाल में ही दंगल फ़िल्म में काम कर चुकी अदाकारा जायरा वसीम को इस हद तक ट्रोल किया गया कि उन्हें जान से मारने की धमकियां तक दी गईं. ट्रोलिंग अब दिन-प्रतिदिन समस्या इसीलिए बनती जा रहा है, क्योंकि ट्रोलिंग की आड़ में बहुत से ऑर्गनाइज़ेशन इसका फ़ायदा उठा रहे हैं. वहीं ये समस्या सोशल मीडिया के प्लेटफ़ॉर्म पर महिलाओं के लिए धमकी भरा प्लेटफॉ़र्म भी बनता जा रहा है. इसीलिए सरकार महिलाओं के लिए एक ऐप भी लांच करने वाली है, ‘I am Trolled’, जिससे धमकी या ट्रोल की शिकार महिलाएं मदद ले सकेंगी.