‘रोटी गोल न बनाने पर भाई ने बहन को मारी गोली, मौत’


‘रोटी गोल नहीं बनी, तो बाप-बेटे ने ले ली 13 साल की अनीका की जान’ 

मां ने नहीं दिया खाना तो शराबी बेटे ने बांस से पीट-पीटकर मार डाला’  

ये ‘क्रिएटिविटी’ दिखाने के लिए मनघड़ंत वाक्य नहीं, किसी की ख़त्म हो चुकी ज़िन्दगी की सूचना देती हुई ख़बरों की हेडलाइन है.  

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दिनभर काम-काज में लगी रहने वाली महिलाएं अगर किसी दिन ढंग का खाना नहीं बना पाई तो मर्दों की मर्दानगी को ऐसी ठेस पहुंच जाती है कि वो दानव बन जाते हैं.


काम में हाथ बंटाना तो दूर की बात है, गाली-गलौच मार-पीट, सामान उठाकर फेंकने तक को उतारू हो जाते हैं. समाज के एक बड़े तबके को ऐसा लगता है कि महिलाओं का जन्म ही हुआ है उनको बना-परोसकर खिलाने के लिए. इसके अलावा कुछ करना, कुछ सोचना पाप है. कुछ महानुभावों को तो ये भी लगता है कि इस पाप की सज़ा सिर्फ़ मौत है.   

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समझ नहीं आता कि ये हत्या करने की हिम्मत किसी में भी कहां से आ जाती है? क्या छोटी सी बात पर गुस्सा इतना ज़्यादा बढ़ जाता है कि एक पल को हत्यारा ये भी भूल जाता है कि सामने वाला भी इंसान है और उससे ‘ग़लतियां’ हो सकती हैं.


दूसरी बात ये रोटी बनाना, खाना बनाना या घर संभालना ये महिलाओं का परम धर्म है, ये किसने कह दिया? क्या ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो खाता है उसे ही अपने खाने का जुगाड़ करना चाहिए. अगर मां, पत्नी, बहन, प्रेमिका, बेटी कुछ पकाकर खिला रही है तो इसके लिए धन्यवाद देना चाहिए, भले ही वो जला हो या कच्चा हो. कोई भी अगर आपके लिए कुछ कर रहा है तो उसमें नुक्स निकालने का अधिकार आपको किसने दिया?   

मुझे शादी का ज़्यादा आईडिया तो नहीं पर उसमें ऐसा कोई ‘खाना पकाकर दूंगी’ वाला क्लॉज़ तो नहीं था. न ही हमारे संविधान में ऐसा कहीं लिखा है. तो फिर ये बात आई कहां से?

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लोग घर पर ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी Memes द्वारा दूसरों के खाना बनाने के स्किल्स पर कमेंटबाज़ी करते हैं. लव मैरिज करने पर जली रोटी खानी पड़ेगी और अरेंज मैरेज में फूली हुई रोटी ऐसे वाले जोक्स आपने सुने और शेयर भी किए होंगे.   

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भाई, रोटी बनाना बेसिक साइंस है. आटे में पानी की मात्रा से लेकर आंच तक, सब साइंस ही तो है. अगर तुम से न बन पा रहा यानी साइंस का कम ज्ञान है तुम्हें.   

Cell Code

बहुत से लोग ये भी कहेंगे ‘नॉट ऑल मैन’. मतलब ये कह भर देने से क्या आप दोषमुक्त हो जाते हैं? आपकी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाती है या आप ख़ुद में ये तसल्ली कर लेते हैं कि मैंने तो नहीं किया. अगर आप घर पर अपनी मां, बहन, पत्नी, प्रेमिका का हाथ बंटाते हैं तो आप कोई महान काम नहीं कर रहे, ये आपके कर्तव्यों की लिस्ट में ही शामिल है. हां, जिसके लिए आप कर रहे हैं उसे बहुत ख़ुशी होगी और वो आपको और भी ज़्यादा प्यार देगी. पर याद रखिए ऐसा करके आप महान नहीं बन रहे. जानवर भी अपने लोगों का साथ देते हैं, आप तो फिर भी इंसान हैं! 


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