मेहनत

काफ़ी मेहनत
मैथ्स में अच्छे मार्क्स लाने की मेहनत

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वो जिन्हें मैथ्स से बेइंतहा मोहब्बत होती है और एक वो जिन्हें मैथ्स से बेइंतहा नफ़रत होती है. और मैं इन दोनों में से किसी भी प्रजाति में फ़िट नहीं होती हूं.  

मैथ्स से नफ़रत करने वालों के लिए-

मैं पृथ्वी की शायद इकलौती प्राणी हूं जिसे मैथ्स से नफ़रत नहीं पर जिससे मैथ्स को नफ़रत हैं.


(ऊपर वाली लाइन 2 दफ़ा पढ़िए, लिखने में भी पूरे 63 सेकेंड लगे हैं.) 

अगर आपने आर्टिकल का इंट्रो लेवल पार कर लिया है तो उसके लिए शुक्रिया. अब मैं आपको मैथ्स की रुसवाई के बारे में बताती हूं. ये राज़ 14 मार्च, 2009 से मेरे दिल में क़ैद है और मम्मी-पापा को भी इसके बारे में पता नहीं.


14 मार्च, 2009 को मैथ्स ने मुझे हमेशा के लिए ख़ुद से क़ानूनी तौर पर अलग कर लिया. इस दिन मेरी 10वीं बोर्ड की मैथ्स की परीक्षा थी. उस दिन के बाद से मैथ्स ने मुझे न तो पुकारा न ही मुड़ के देखा. कभी-कभी उसका टेक्स्ट मैसेज आ जाता है. आई वोन्ट लाई, इट हर्ट्स अ लॉट!   

मुझे आज तक इस बात का पता नहीं चला कि आख़िर मैथ्स को मुझसे किस बात की ख़ुन्नस थी? जो-जो चीज़ किसी रिश्ते को मज़बूत करने के लिए देनी होती है, मैंने वो सब मैथ्स को दिया. वक़्त, एहसास, अहमियत… पर फिर भी उसने बेवफ़ाई की और ऐसी बेवफ़ाई कि उसकी जुड़वा बहन फ़िज़िक्स ने भी मुझ से रुसवाई का फ़ैसला कर लिया. ख़ैर वो दर्द की दास्तां किसी और दिन सुनाऊंगी.  

मैं मैथ्स को लेकर रातभर जागी पर उसे शायद मुझ से 1 नेनोमीटर भी मोहब्बत नहीं थी. जो छात्र मैथ्स को पूछते तक नहीं थे, मैथ्स उन्हीं पर मेहरबान था(मतलब उन्हें ज़्यादा नंबर आते थे). और मैं जो रात-रातभर जागकर उसे अपने सिर-आंखों पर बिठा कर रखती उसे सिर्फ़ पास मार्क्स से थोड़ा ज़्यादा 

मैं ही क्यों??? 

जैसे प्रेमी, प्रेम की कसौटी की वजह से परेशान, बीमार रहते हैं वैसा ही हाल मेरा मैथ्स की परिक्षा के आस-पास होता. बुख़ार, कंपकंपी, मानो मौत ने SMS भेज ही दिया हो.


मैं आपसे पूछती हूं, क्या दया नाम की कोई चीज़ नहीं होती? क्या मैथ्स मेरे से इत्तु सा प्यार नहीं कर सकता था? क्लास के 80% लोगों पर तो वो काफ़ी मेहरबान था. हालात कुछ यूं हो गए थे कि सभी विषयों में 90 से ऊपर अंक और मैथ्स में 50-60 भी रो-रोकर. भगवान भला करे स्टेप्स मार्किंग नियम बनाने वाले का.   

10वीं में एक अच्छे शिक्षक को ख़ासतौर पर ट्यूशन के लिए लगवाया गया. मैथ्स टीचर भी परेशान हो गए कि इतनी मेहनत के बावजूद ‘व्हेयर इज़ द रिज़ल्ट?’ प्रेप से लेकर 10वीं तक मैंने बड़ी शिद्दत से मैथ्स से मोहब्बत की और उसने उतनी ही शिद्दत से नफ़रत.


जब कुछ नहीं बचा तो मैथ्स ने मेरे दिमाग़ में 11वीं में ‘बायो’ लेने का बीज बो दिया और मुझे सदा के लिए छोड़ गया. ‘ब्रेकअप’ के इतने साल बाद भी कभी-कभी हिसाब-किताब के रूप में मैथ्स से मिलना हो जाता है.

आई कैन से डैट आई एम ओवर इट!