रोज़ की तरह क्या कवर करना है क्या नहीं पर चर्चा हो रही थी. मेरी एडिटर ने एक ट्वीट भेजा और कहा इसे देखो. ट्वीट किसी Jim Varona का था. तो Jim का विचार कुछ यूं था,


‘रात में घूमना बेस्ट थेरेपी है.’  

Video Blocks

हां तो श्री श्री 1008 Jim… अरे भई, जो भाव उन्होंने रखे उसके बाद 1010 बार श्री लगाना बनता है. हां तो श्री श्री 1008 Jim जी ने 20 अगस्त, 2019 को ये ऐतिहासिक ट्वीट किया. सोशल मीडिया की लाल किताब में ये वचन अजर और अमर हो गया.


ज़ाहिर सी बात है Jim (अब 50 बार श्री श्री नहीं लिख सकती, अपने आप लगा लो) ने हवाबाज़ी में ये बात ट्वीट कर दी. या फिर ये भी हो सकता है कि Jim जी को वायरल होने का रामबाण उपाय का परम ज्ञान मिल गया होगा.   

Off D Hook

कुछ बातें एकदम सलीके के साथ 

Jim जी ने ये निष्कर्ष बिना किसी महिला से बात-चीत के ही निकाल लिया होगा. अगर उन्होंने ये सवाल किसी महिला से पूछा होता तब उन्हें पता हक़ीक़त का पता चलती. जनाब Jim को शायद ये मालूम नहीं कि पूरा बदन ढंकने वाली टी-शर्ट पहनने के बाद भी उसमें से दिखने वाली कुछ इंच गर्दन भी पुरुषों की घूरती नज़रों का शिकार हो जाती है. श्रीमान् Jim इस बात से अनजान हैं कि छोटे-छोटे बच्चों की टांगें देखकर आकर्षित होने वाले मर्द इस धरती पर अवतार ले चुके हैं और उनकी संख्या भी दिनों दिन बढ़ती जा रही है.


Jim अगर अपने घर पर ही ये सवाल अपनी मां, बहन, दूर की चाची-बुआ से सलीके से पूछते तो उन्हें इस कहानी का दूसरा पहलू पता चलता. उन्हें पता चलता कि भरी दोपहरी में सब्ज़ी मसाला लेने निकली लड़की का दुपट्टा खींचने वाले लोग हैं.  

Mumbai Live

Jim विदेशी हैं, नाम और ट्विटर हैंडल से यही लगा. पर इस बात से मैं सोलह आने सहमत हूं कि जो हमारे देश की लड़कियां झेलती हैं वो दुनियाभर की लड़कियां झेलती हैं.


जिस दुनिया में दिन-दहाड़े छेड़छाड़, सेक्सुअल असॉल्ट की घटना घटती हों उस दुनिया में Jim का इस तरह की बात करना ठीक नहीं है. क्योंकि वो सिर्फ़ एक तरफ़ की बात कर रहे हैं और इस धरती पर आज भी महिलाएं चाहकर भी रात में आराम से नहीं घूम सकतीं.  

कुछ बातें बद्तमीज़ों वाली 

Jim तुमने जो बात कही है न उसके बाद तुम्हें 5 मील भगाना चाहिए, 100 दंड लगवाने चाहिए और 100 Push ups भी. जी में आ रहा है अपना Gym Trainer तुम पर छोड़ दूं. मतलब ये पता था कि दुनिया में कोई किसी के बारे में नहीं सोचता. अरे आदमी, एक दफ़ा दुनिया की औरतों का तो सोचा होता जो रात में तो क्या दिन में भी टेंशन फ़्री होकर कहीं आ-जा नहीं सकती.

Local The Onion

सुनो रे Jim! मैं उस समाज का हिस्सा हूं जिसमें सुबह 6:30 बजे वॉक पर निकलने पर 15-16 के लड़के दौड़ाने लगते हैं.  

मैं उस समाज का हिस्सा हूं जहां शाम में ब्रेड-अंडा लेने लड़की के गले पर ई-रिक्शा से कूदते बच्चे दांत काट जाते हैं.  

मैं उस समाज का हिस्सा हूं जहां परिचित पुरुषों की भी बात करते हुए चेहरे के बजाए ब्रेस्ट पर नज़र जाती है. 

तुमने कैसे एक तबके को यूं ही नज़रअंदाज़ कर दिया? एक बार भी नहीं सोचा कि हमें कैसा लगेगा? भैया जी हम शाम में हेडफ़ोन लेकर मौसम का मज़ा लेने अकेले नहीं निकल सकते, तुम रात की क्या बात करते हो? 

जो ‘रात दी गेड़ी’ वाली फ़ील दिलजीत दोसांझ के गाने सुनते-सुनते पुरुष ले लेते हैं, वो फ़ील महिलाएं नहीं ले सकतीं. रात में हिम्मत करके निकल भी गए तो दिमाग़ आइंसटाइन हो जाता है और सिर उल्लू. बार-बार पीछे मुड़कर, अगल-बगल देखना पड़ता क्योंकि किसी का भरोसा नहीं किया जा सकता. डर का आलम तो ये होता है कि छोटा चाकू, कंपस, मिर्ची स्प्रे BFF बन जाते हैं.


Jim साहब इस पर ये भी तुक दे सकते हैं कि ये तुम्हारे यहां होता होगा. नहीं सर जी, ये सीन हर एक देश का है, अपने कुएं के मेंढक वाले विचार को ज़रा साइड में करिए.   

सिर्फ़ एक प्रश्न, आख़िर में जिस बात का फ़ील का ज़िक्र Jim ने किया वो फ़ील हम क्यों नहीं ले सकते?