फरवरी को रामजस में हुई मारपीट की घटना अब एक लड़की को एंटी-नेशनल बताने में बदल गयी. एक कॉलेज में जिस तरह से डिसिप्लिन तोड़ कर स्टूडेंट्स और टीचर्स के साथ दुर्व्यवहार किया गया, वो ग़लत था. हालांकि इस बात से ध्यान हटाने के लिए एक लड़की को टारगेट किया गया, बिना किसी लॉजिक के राष्ट्रवाद को बीच में लाया गया और मामला जहां से शुरू हुआ था, वहां से कहीं और पहुंच गया.
नतीजा ये हुआ कि वो लड़की उसके खिलाफ़ खड़ी हुई एकतरफ़ा फ़ौज से हार बैठी और उसने अपना कैंपेन वापस ले लिया.
एक समाज के तौर पर हमसे यहीं एक बहुत बड़ी ग़लती हो गयी. ग़लती ये हुई कि जितने भी लोगों ने इस मामले में बयान दिए और साइड लीं, उनमें से अधिकतर को इस मामले के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता था. आरोप-प्रत्यारोप, सही-ग़लत से बड़ी बात ये जानना था कि असल में मुद्दा था क्या!
इससे पहले कि हम कोई जजमेंट पास करते, क्या ये जानना हमारा कर्तव्य नहीं बनता था कि हम इस मामले को पूरी तरह समझ लेते?
हमारा मकसद उन सभी लोगों को इस पूरे घटनाक्रम के बारे में विस्तार से समझाना है, जो पूरी बात जाने बिना इस लड़ाई में कूद पड़े हैं. 21 फरवरी से लेकर कब, कैसे, क्या हुआ, उसकी जानकारी होनी ज़रूरी है.
इस Timeline को पढ़ने के बाद बस अपने आप से एक सवाल करिएगा, कहीं आप ग़लत साइड तो नहीं खड़े हैं?




























