कोई पेड़ कितना ऊंचा क्यों न हो, जैसे ही उसमें फल लगते हैं वह झुकने लगता है. प्रकृति हमें प्रेरणा देती है. आज जब भारतीय जनता पार्टी के इस वट वृक्ष पर विजय रूपी फल लगे हैं, तो भारतीय जनता पार्टी का सबसे ज़्यादा झुकने का ज़िम्मा बनता है. अधिक नम्र बनने का ज़िम्मा बनता है. सत्ता, पद की शोभा का हिस्सा नहीं होती, सत्ता सेवा करने का एक अवसर होता है. इस बात को लेकर हमें चलना है.

ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस ऐतिहासिक भाषण का हिस्सा है, जो उन्होंने इस साल पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिया था. प्रधानमंत्री ने चुने हुए नेताओं को विनम्र होने की सीख दी. प्रधानमंत्री की बात सिर्फ़ बीजेपी के नेताओं को ही नहीं, बल्कि देश के सभी नेताओं को सिर्फ़ सुननी ही नहीं, समझनी भी चाहिए थी, लेकिन नेता सुनते कहां हैं!

हाल में ही एक विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें गोरखपुर के एक विधायक राधा मोहन, महिला आईपीएस को हड़काते हुए नजर आए. इस विडियो में आईपीएस अधिकारी रोने लगी, उसके बाद भी विधायक महोदय अपनी विधायकी झाड़ने से बाज़ आए.

भाजपा विधायक राधा मोहन सत्ता और शक्ति के नशे में चूर होकर संवेदनहीनता के उस निचले स्तर तक उतर आए कि उन्हें यह तक ध्यान नहीं रहा कि वो एक महिला अफ़सर से बात कर रहे हैं.

यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद, भाजपा कार्यकर्ताओं या विधायकों द्वारा की गई बदतमीज़ी की यह कोई पहली घटना नहीं है. बात सिर्फ़ भाजपा के विधायकों-सांसदों की नहीं, अन्य दलों के नेता भी समय-समय पर आम जनता और अधिकारियों से बदतमीज़ी करते हुए दिखाई देते हैं. हाल-फिलहाल में ऐसे कई मामले हमारे सामने आए हैं, जब नेताओं के न सिर्फ बोल बिगड़े, बल्कि उनका ऐसा रवैया सामने आया, जिसमें वह एक सेवक नहीं, बल्कि एक गुंडे की तरह व्यवहार करते हुए नज़र आए.

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शिवसेना के सांसद रविंद्र गायकवाड़ का उदाहरण हमारे सामने है, जब वह विमान में बिज़नेस क्लास की सीट न मिलने के कारण एयर इंडिया के अधिकारी के साथ बदतमीज़ी करते हुए नज़र आए. 

इससे पहले दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शिक्षिका को सिर्फ़ इसलिए डांट दिया, क्योंकि उन्होंने मनोज तिवारी से एक गाना सुनाने की फ़रमाइश की थी. इस पर मनोज तिवारी बिफर गए और भरी सभा में महिला टीचर को खरी-खोटी सुना दी. 

यूपी के सहारनपुर में अंबेडकर जयंती की शोभायात्रा के दौरान, दो पक्षों में झड़प हो गई. जबरन शोभायात्रा निकाले जाने पर पुलिस ने कार्रवाई की, इससे नाराज़ बीजेपी सांसद राघव लखनपाल ने अपने समर्थकों के साथ एसएसपी लव कुमार के सरकारी आवास को घेर लिया और वहां तोड़फोड़ की.

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नेताओं के ऐसे कई किस्से हैं, जिसमें वह आम लोगों से बदतमीज़ी करते हुए नज़र आते हैं. वह भूल जाते हैं कि जनता अपने लिए जनप्रतिनिधी चुनती है, कोई गुंडा नहीं. सत्ता का नशा संवेदनाओं की हत्या कर देता है. नेता भूल जाते हैं कि वह जिन लोगों से बदतमीज़ी कर रहे हैं, उन्हीं के पैसों और वोट से वे सत्ता में आते हैं. वो भूल जाते हैं कि वो नेता हैं किसी इलाके के दादा नहीं. अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जनता अपना नेता चुनती है न कि किसी पर धौंस जमाने के लिए. धौंस जमाने की आदत नेताओं का वीआईपी सिंड्रोम होता है. एमपी, एमएलए और पार्षद बन जाने के बाद वीआईपी ट्रीटमेंट पाने के लिए नेता अकसर ऐसा करते हैं ताकि अपने समर्थकों के बीच और लोकप्रिय हो सकें.

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सरकार ने भले ही वीआईपी ट्रीटमेंट कम करने के लिए मंत्रियों की सरकारी गाड़ी से लाल बत्ती हटवा ली हो, पर इससे नेताओं के मन में बसे वीआईपी सिंड्रोम को कम नहीं किया जा सकता है. नेताओं को जब खुद से इस बात का इल्म नहीं होगा कि वो भी जनता का हिस्सा हैं, वो ऐसा व्यवहार करते रहेंगे. सत्ता के नशे में वो इस तरह की असभ्य हरकतें कर रहे हैं, वो शायद लोकतंत्र की ताकत को पहचान नहीं पा रहे हैं. जो जनता उन्हें जिता सकती है, वही जनता हरा भी सकती है. इसलिये बेहतर होगा कि नेता अपने ग़ुरूर के रथ से नीचे उतरें और जनता का सम्मान करना सीखें.