अकेली कैसे रहोगी?
ये सब घरवाले बड़बड़ा रहे थे. क्योंकि उनका मानना था वही लड़कियां पूरी ज़िंदगी ख़ुश रह सकती हैं, जो शादी करती हैं. उनके अनुसार हर लड़की को एक लड़के के सपोर्ट की ज़रूरत होती है अपनी रक्षा के लिए. मैं मानती हूं कि सपोर्ट की ज़रूरत सबको होती है. मुझे भी है, लेकिन ये नियम किसने बनाया कि वो सपोर्ट सिर्फ़ शादी करने से मिलता है? या वो सुरक्षा आपको एक लड़का ही दे सकता है.

बड़े लोगों की इन बातों ने न जाने कितनी लड़कियों के सपनों को मार दिया, जिनके सपने कुछ बनना कुछ करना था, लेकिन उनके दबाव में वो शादी करके बैठी हैं. और उनके सपनों को वो भी नहीं पूछता जिसके सपोर्ट के लिए उसकी शादी कराई गई थी. मैं इन बातों से कभी सहमत नहीं हुई.

मैं बताती हूं कल की बात, शाम के 4 बज रहे थे, मैं कॉलेज से घर वापस आई तो देखा घर में बहुत शोर-शराबा हो रहा है. हर तरफ़ सब भाग रहे हैं. मम्मी छोटी बहन से कह रही थीं कि किचन से वो वाली नाश्ते की प्लेट भी उठा ला. मैं रोज़ की तरह ही चिल्लाते हुए अंदर आ रही थी, तभी छोटी बहन बोली दीदी धीरे बोलो सब बैठे हैं अच्छा नहीं लगता.

अरे, मैं रोज़ ऐसे बोलती हूं, हां तो रोज़ तुम्हारी शादी वाले लोग नहीं आते न. तब समझ आया कि क्यों मम्मी ने कहा था पीछे वाले दरवाज़े से आना? क्यों मेज पर दुनिया भर के पकवान रखे हैं. दरअसल, कुछ लोग मुझे देखने का एहसान जो करने आए थे. उनके लिए ये सारी तैयारी थी.

मैं साइंस से ग्रैजुएशन कर रही हूं और डॉक्टर बनना चाहती हूं. मगर जब मैंने इन लोगों को अपने घर में देखा तो मेरे आंसू आ गए. क्योंकि मुझे शादी नहीं करनी है. मुझे कुछ बनना है, लेकिन उस वक़्त तो मैं चुप रही उनके जाते ही मैंने सबको समझाया कि मुझे शादी नहीं करनी है. मैं ख़ुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हूं. ख़ुद अपना सहारा बन सकती हूं.

ये कैसी सोच है आपकी कि लड़की को पढ़ने भेजते हो मगर उसके लिए सहारा ढूंढते हो? कभी लड़के से नहीं कहते कि तुम्हें सहारे की ज़रूरत है? कभी उसकी नुमाइश नहीं लगाते आप लोग. केवल इसलिए न कि वो लड़का है वो कैसा भी हो मगर कंधा उसका ही मज़बूत होता है. इस सोच को बदलना बहुत ज़रूरी है.

शादी करना ज़रूरी हो सकता है जब दो लोग चाहें, जब दोनों को एक-दूसरे का सपोर्ट चाहिए हो. सिर्फ़ इसलिए कि वो लड़की है और उसे सपोर्ट की ज़रूरत है, तो बड़े लोगों से इतना कहूंगी कि एक बार खुलकर अपनी लड़की से पूछ लो उसे किसी लड़के का सपोर्ट चाहिए या अपने ख़ुद के पैरों का?