‘भैया एक सिगरेट देना…’


‘लो भैया.’ 

‘भैया एक सिगरेट देना…’ 

15 जोड़ी नज़रें घूम जाती हैं. क्योंकि ये बात एक लड़की के गले से निकलती है.  

Best Toppers

ये घटना किसी छोटे शहर की हो ये ज़रूरी नहीं, बड़े-बड़े शहरों में भी सेम सीन मिल जाएगा.


पिछले दफ़्तर की बात है. लगभग हर दिन की तरह मैं पनवाड़ी के पास सिगरेट लेने गई. वो चचा मानते थे हमको. 1-2 रुपए छोड़ भी देते थे. ये भी कहते थे कि ‘बेटा जी, थोड़ा कम करने की कोशिश करो. देखो हमने भी बीड़ी कम कर दी है.’ कई बार हम आपस में सुख-दुख भी बांट लिया करते. मोटा-मोटी कहें तो काफ़ी अच्छा रिलेशन. 

उस दिन भी प्रणामपाती करके मैंने सिगरेट जलाई ही थी कि एक आवाज़ कानों में पड़ी, ‘मैडम, आप नॉर्थ-ईस्ट से हो क्या?’ 


मैंने घूम कर देखा तो एक 40-45 का आदमी मेरी ओर ही देख रहा था. मैंने नज़रअंदाज़ किया और नज़रें फेर ली, उसने फिर से कहा, ‘मैडम जी आप ही से पूछ रहा हूं.’ 

दिल ने तो पहली ही बार में तय कर लिया था कि सवाल मेरे से है पर दिमाग़ ने कहा कि एक चांस दिया जाए. मैंने जवाब दे दिया, ‘माफ़ कीजिए, हम समझे नहीं. क्या जानना चाहते हैं आप?’ 

‘अरे मैडम जी, नॉर्थ-ईस्ट की लड़कियां ही दारू-सुट्टा पीती हैं. पर आप शक़्ल से लगी नहीं, तो पूछ लिया.’ 

‘जी नहीं. नॉर्थ ईस्ट से नहीं. पश्चिम बंगला से हूं’ 

‘हां, आस-पास ही है. तभी तो…’ 

मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो आदमी फिर बोल पड़ा, 
‘आप अच्छे घर की लड़की लग रही हैं, इसीलिए बता रहा हूं. लड़कियों के लिए दारू-सिगरेट अच्छा नहीं है. बच्चे वगैरह पैदा करने में दिक्कत होती है. वैसे भी छिप-छिपाकर ही तो करती होंगी.’ 

‘जी आप भी तो पी रहे हैं सिगरेट, दारू भी पीते ही होंगे.’ 

‘अरे मैडम, हमारी बात अलग है. लड़कों को ये सब कम नुकसान पहुंचाता है. हम जो चाहे, जहां चाहे कर सकते हैं. किसी से छिपने की ज़रूरत नहीं.’  

Time

अब न रुका नहीं गया. ये आदमी इतने निजी स्तर पर पहुंच चुका था.

‘जनाब, आप नौकरी करते होंगे. आपके घर से निकलने के बाद आपकी पत्नी, पुत्री, बहन, मां क्या करती हैं ये आपको पता है क्या?’   

जवाब बेइज़्ज़ती वाला था और ग़लत था और ये मैं आज भी स्वीकार करती हूं. अपने को बचाने के लिए दूसरी महिलाओं को नीचा दिखाना ग़लत है. पर तब शायद उतनी अक़्ल नहीं थी. ख़ैर, वो आदमी तिलमिला गया और तू-तड़ाक पर उतर गया. मैं भी कहां मानने वाली थी मुंह-तोड़ जवाब दिए. पनवाड़ी वाले चचा कहीं फ़ोन पर लगे थे, शोर-शराबा सुनकर आए और बीच-बचाव किया. उस आदमी को जाने को कहा और मुझे बड़े चिंतित स्वर में कहा, ऐसे हज़ारों लोग मिल जाएंगे, बेटा जी कितनों से लड़ोगी? इस समाज की सोच बदलने में एक युग लग जाएगा.’ 

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मेरे जैसा अनुभव लगभग हर सिगरेट पीने वाली लड़की को हुआ ही होगा. गांव की औरतों का खैनी ठोकना, बीड़ी पीना, हुक्का गुड़गुड़ाना बुरा माना जाता हो या न हो, शहर की लड़कियों को सिगरेट पीने पर नज़रों से ही ऐसे जज किया जाता हो मानो किसी की हत्या कर दी हो.


आंखों ही आंखों में एक सवाल, एक बयान, एक जजमेंट पास कर दिया जाता है. चाहे साईकिल से चलना वाला व्यक्ति हो या लैंड रोवर से. एक बुरी आदत के लिए लड़कियों को बुरा समझा जाता है. कुछ महान लोगों को तो ये भी लगता है कि अगर कोई लड़की अकेले बार में बैठी है तो उसके साथ किसी भी तरह का व्यवहार किया जा सकता है. उस विषय पर फिर कभी बात करूंगी.  

The Health Site

आख़िर में एक बात, आप विज्ञान का कोई भी लॉजिक ले आइए, सिगरेट पीने किसी भी इंसान के लिए हानिकारक है.