ये कुछ ख़बरों की क्लिपिंग्स पर ग़ौर करिए- 

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हां तो लाल घेरे पर नज़र तो गई ही होगी? 


ये टुकड़े हैं नवभारत टाइम्स, द वायर हिंदी, News18 हिंदी, NDTVइंडिया, NDTV, आजतक और Hindustan Times के वेबसाइट्स की हैं. लिस्ट तो लंबी है पर उतने रेप के आर्टिकल्स खंगालकर मन को दुखी करने का इरादा नहीं है, सो नहीं किया. 

आप रोज़ाना किसी वेबसाइट, अख़बार, टीवी पर नज़र दौड़ाइए, आपको पता लग जाएगा कि शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब रेप की कोई ख़बर नहीं छापी जाती. कुछ हिन्दी अख़बार वाले तो भावशून्यता की सारी हदें पार कर देते हैं. 

अगर रेप के बाद हत्या कर दी गई तो मृतका की हंसती-खेलती तस्वीरें लगाकर टीवी पर बार-बार दिखाई जाती है. ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो दर्शकों की भावनाओं को आंखों से बहने पर मजबूर कर दें. वहीं अगर वेबसाइट या अख़बारों की बात करें तो बार-बार उसके लिए ‘पीड़िता’ या ‘Victim’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. 

Fiinovation

पत्रकारिता के धुरंधरों से मेरा सिर्फ़ एक छोटा सा सवाल है, ‘क्यों? Victim शब्द ही क्यों?’ जिस लड़की का रेप हुआ है अगर वो दरिंदे/दरिंदों द्वारा क्षत-विक्षत करने के बाद भी ज़िन्दा है तो वो पीड़िता कैसे हो गई? क्या उसके लिए ‘सर्वाइवर’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए? 


इतनी उम्मीद तो है कि ज़्यादातर लोग इस बात को समझते होंगे कि बलात्कार, लड़की की कसूर नहीं होता तो फिर उसके लिए ‘पीड़िता’ शब्द का प्रयोग भी सरासर ग़लत ही है, मेरी नज़रों में तो है. 

यही नहीं, सर्वाइवर के बार-बार इंटरव्यू लेने से भी मुझे बहुत आपत्ति है. क्या ये पत्रकारिता के एथिक्स को तार-तार करना नहीं है कि जिस पर इतना कुछ बीता हो उससे बार-बार वही सब याद करने पर मजबूर करना, समझ नहीं आता. अब इस पर लोग कहेंगे कि सर्वाइवर मीडिया से बात क्यों करती है? मेरी समझ से इसका जवाब आसान है, वो हर संभव दरवाज़ा खटाखटाती है जिसके ज़रिए न्याय मिल सके. इन इंटरव्यूज़ को पूरा देख पाना मेरे लिए असंभव हो जाता है, काम के सिलसिले में देखना पड़ जाता है. 

The Week

रेप के बारे में लिखते समय कई लेखक शायद मशीन बन जाते हैं क्योंकि उन कॉपीज़ में भावशून्यता साफ़ झलकती है. ‘क्या काटा, क्या फाड़ा’ ये सब लिखना ज़रूरी है? क्या बिना इसके रेप की ख़बर नहीं की जा सकती? जिस देश में कभी बलात्कार के सीन्स पर फ़िल्में चल जाती थीं उस देश के लोगों को ऐसे ‘रेप डिटेल्स कॉपी’ देना ज़रूरी है?


मैं इस बात की गारंटी नहीं देती कि मेरे किसी सहकर्मी ने रेप सर्वाइवर के लिए ‘पीड़िता’ या ‘विक्टिम’ शब्द का प्रयोग नहीं किया होगा. मुझे लगता है किया ही होगा पर मेरे हिसाब से नही करना चाहिए.  

इस विषय पर अपने विचार कमेंट बॉक्स में रखिए.