The New York Times ने साल 2018 में दुनिया की 52 बेहतरीन जगहों की सूची जारी की थी. इस सूची में भारत की केवल एक जगह ‘हम्पी’ का नाम भी शामिल है. अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला की वजह से विश्वप्रसिद्ध और अमूल्य विरासत संजोए हुए हम्पी को इस सूची में दूसरा स्थान मिला. इसके अलावा UNESCO ने भी हम्पी को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में रखा है.

मगर कुछ दिनों पहले वायरल हुए एक वीडियो में तीन लड़के हम्पी के विष्णु मंदिर के एक प्राचीन खंभे को गिराते हुए दिख रहे हैं. कहा जा रहा था कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वो इंस्टाग्राम पर अपनी कुछ अलग स्टोरी डालना चाहते थे. मगर क्या ये सही है, सिर्फ़ अपने मज़े के लिए कुछ लोग दूसरों के सामने देश की छवि को बर्बाद करने में ज़रा भी वक़्त नहीं लगाते.
How can anyone destroy these priceless ancient structures? Someone sent me this video and this is just UNACCEPTABLE! How is this not on News media? Enough is enough, let us find these criminals, please retweet and tag anyone who can help. Attn @ASIGoI 😡😡
— ᏢᏒᎪᏉᎬᎬᏁ mᎾhᎪᏁ🔥 (@PraveenMohanET) February 1, 2019
#SaveAncientIndia pic.twitter.com/2J59PAHfEr
वहीं अगर बात की जाए दुनिया के दूसरे देशों की तो वहां के लोग अपनी संस्कृति, सभ्यता और ऐतिहासिक इमारतों को सहेजते और संरक्षित करते हैं. इसके लिए वो हर-नियम क़ानून का पालन करते हैं. वहीं हमारे देश में कुछ ऐसे “काबिल” लोग भी बसते हैं, जिन्हें बस मज़ा चाहिए, प्राचीन धरोहर, इतिहास-वितिहास गया चूल्हे में. ऐसे लोगों की वजह से देश का नाम पूरी दुनिया में ख़राब होता है.

मगर ये सिलसिला सिर्फ़ हमारी ऐतिहासिक धरोहरों तक ही सीमित नहीं है. गौर करिएगा पिछले कुछ सालों में देश में भारतीय रेल ने आधुनिक सुविधाओं से लैस कई नई ट्रेन्स चलाईं. लेकिन लोगों को उनको भी बर्बाद करने में वक़्त नहीं लगा. India Today की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ़ 2017-18 में ही भारतीय रेलवे से तक़रीबन 2 लाख तौलिए, 81 हज़ार चादर और 7000 कंबल चोरी हुए.

अगर आपको याद हो तो, जब तेजस एक्सप्रेस अपनी पहली यात्रा पर निकली थी, तो यात्री उसमें लगे इयरफ़ोन्स तक अपने साथ ले के चले गए थे. यहीं नहीं लोगों ने LCD स्क्रीन्स तक को नहीं छोड़ा उनको भी तोड़-ताड़ के रख दिया. यहां तक कि बाथरुम में लगे नल, मग्गे तक उखाड़ कर ले गए थे और किसी चीज़ की बात ही क्या की जाए?

वहीं पिछले साल ही दिल्ली में देश का पहला केबल ब्रिज ‘सिग्नेचर ब्रिज’ जनता की लिए खोला गया, मगर खुलने के साथ ही लोगों ने वहां पर गन्दगी का ढेर लगा दिया. इतना ही नहीं सेल्फ़ी लेने के चक्कर में सारे नियमों को ताक पर रख दिया. केवल सेल्फ़ी के लिए कई जानें भी गईं. इस कारण इस ब्रिज को सुसाइड ब्रिज की संज्ञा तक दे दी गई.

ये तो हुई हाल फ़िलहाल की बात, पर अगर ऐतिहासिक इमारतों की बात करें तो, लैला-मजनू की तरह अपने प्यार को अमर बनाने के लिए लोग इन इमारतों पर चिरे हुए दिल में अपने नाम लिख कर चले आते हैं.

पान-गुटखा थूकने में और दीवारों को लाल करने में तो हम भारतीय दुनिया में नंबर 1 हैं.

अगर यहां ये कहा जाए कि, ‘हमें साफ़-सफ़ाई तो चाहिए मगर हम सड़कों पर कूड़ा फैलाना बंद नहीं करेंगे, हम अच्छी ट्रेनों का रोना तो रोयेंगे लेकिन ट्रेन के तौलिया, चादर, कंबल, तकिया, मग, यहां तक कि बाथरुम में लगा आईना भी खोल के ले जायेंगे, और बिजली बर्बाद तो करेंगे, पर बिजली बिल कम चाहिए,’ तो ग़लत नहीं होगा.

ये सभी बातें सिर्फ़ एक सवाल उठाती हैं कि जब ये इमारतें हमारी हैं, ये सारी सुविधाएं हमारे लिए ही हैं तो फिर हम इनको बर्बाद करने पर क्यों आतुर रहते हैं? क्या हम भी दुनिया से सबक नहीं ले सकते कि कैसे हम अपनी विरासत को बचाएं और दुनिया में देश का नाम रौशन करें?