5 अगस्त, 2019 को ‘लोकतांत्रिक’ देश भारत में एक बड़ा निर्णय लिया गया. जम्मू कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन लिया गया और इसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया. लद्दाख के पास कोई विधानसभा नहीं होगी.
इसके बाद ही देश के कई इलाकों में पटाखे फोड़े गए, ढोल-नगाड़े बजाकर नाच-नाचकर और मिठाईयां खा-खिलाकर ख़ुशियां मनाई गईं. टीवी पर ले डिबेट्स पर डिबेट्स झोंके गए. सोशल मीडिया साइट्स पर कश्मीर में ज़मीन ख़रीदने, घर बनाने, दुकान खोलने, रिटायरमेंट के बाद घर लेने जैसे Memes की बाढ़ आ गई. कश्मीर हमारा है टाइप पोस्ट भी भर-भर के शेयर किए जाने लगे.
इस सब के बीच जो सबसे ज़रूरी बात, जो देश के कई लोग ‘विकास और एक भारत’ के कहकहों की आड़ में भूल गए. वो ये थी कि वहां के स्कूल, कॉलेज बंद हैं. राज्य में इंटरनेट बंद है. एक राज्य के लोगों की क़िस्मत का फ़ैसला यूं ही कर दिया गया. उनसे पूछना मुनासिब तो नहीं ही समझा गया और उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया मानो उन्होंने उस राज्य में जन्म लेकर ग़लती की हो.
#KashmirHumaraHai के असंवेदनशील Memes बनाने वालों के बीच कुछ लोग ऐसे भी थे जिनका कहना था कि वे सिर्फ़ कश्मीर में तिरंगा लहराते देखना चाहते हैं. जो लोग कश्मीरियों के साथ खड़े होने की बात कर रहे थे उन्हें ट्रोल करने में भी लोग पीछे नहीं हटे. बहुत से लोगों को 370 का हटना इस प्रदेश के लोगों के विकास के लिए अहम दिख रहा है, पर अभी तक ये सिर्फ़ एक अनुमान ही है.
एक बार को ख़ुद को उस जगह रखकर सोचिए, स्कूल-कॉलेज, आने-जाने पर रोक-टोक सब बंद और देश के बाक़ी लोग आपका मज़ाक उड़ाने, आपकी बेबसी पर हंसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, कैसा लगेगा आपको?