How to Become an Umpire In Cricket: भारत में क्रिकेट का क्रेज़ अलग ही लेवल का होता है. भारत में हर कोई ख़ुद को क्रिकेट एक्सपर्ट समझता है. विराट कोहली को कौन सी गेंद पर कौन सा शॉट खेलना चाहिए था इसकी राय देने वाले भी आपको गली मोहल्लों में भतेरे मिल जायेंगे. लेकिन जब बात क्रिकेट के नियमों की होती है तो ऐसे में फ़ोकट का ज्ञान बांटने वालीं की बोलती बंद हो जाती है. ख़ैर ये तो गली क्रिकेट की बात हो गई, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट में अंपायर ही वो शख़्स होता है जिसे आप क्रिकेट का पंडित कह सकते हैं.

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क्रिकेट के शब्दों में कहें तो अंपायर (Umpire) के बिना इस खेल की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. मैदान पर खिलाड़ियों को बैट्समैन के आउट की अपील से लेकर DRS की मांग तक हर निर्णय के लिए अंपायर पर ही निर्भर रहना पड़ता है. सही निर्णय देना ही एक अंपायर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है. ये शारीरिक रूप से भी बेहद मुश्किल काम माना जाता है. इसलिए अंपायरिंग को क्रिकेट की सबसे चैलेंजिंग जॉब भी कहा जाता है.

अगर आप भी क्रिकेटप्रेमी हैं तो अम्पायरिंग के बारे में बहुत कुछ जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते है कि क्रिकेट अंपायर कैसे बनते हैं और एक मैच में अंपायरिंग करने की वो कितनी फ़ीस लेते हैं. चलिए आज हम आपको अंपायर बनने की पूरी प्रक्रिया समझा देते हैं.

पहली बात तो ये कि अंपायर बनने के लिए ये ज़रूरी नहीं है कि आप क्रिकेट बैकग्राउंड से हों. लेकिन इस खेल के प्रति रुचि होना बेहद ज़रूरी है. अगर आप पहले क्रिकेट खेल चुके हैं या क्रिकेट की अच्छी समझ रखते हैं तो ये अंपायर बनने में काफ़ी मददगार साबित हो सकता है. लेकिन अंपायर बनने के लिए हर कैंडिडेट्स को एक ख़ास तरह की प्रक्रिया से गुजरना होता है और इंटरनेशनल मैच में अंपायरिंग करने के लिए कई तरह टेस्ट भी पास करने होते हैं.

कौन बन सकता है अंपायर?

भारत में अंपायर बनने के लिए किसी भी तरह की शैक्षिक योग्यता नहीं मांगी जाती हैं, लेकिन कैंडिडेट को क्रिकेट के सभी प्रमुख नियमों को सीखने, पढ़ने और लिखने में सक्षम होना बेहद ज़रूरी है. अंपायर बनने के लिए कैंडिडेट का शारीरिक रूप से फ़िट होना बेहद ज़रूरी है. इस दौरान कैंडिडेट की आईसाइट, फ़िटनेस, क्रिकेट के नियम आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है.

कैसे बनते हैं अंपायर?

अंपायर बनने के पहले चरण में कैंडिडेट्स को सबसे पहले ख़ुद को स्टेट एसोसिएशन में रजिस्टर कराना होता है. इस दौरान लोकल मैचों में अंपायरिंग करने से इसकी शुरुआत होती है. इसके बाद स्टेट एसोसिएशन केंडिडेट का नाम आगे बढ़ाता है और उसके बाद BCCI के अंपायर बनाए जाते हैं. लेकिन BCCI के पैनल में जगह बनाने से पहले अम्पायर्स को अपने अनुभव और टैलेंट के दम पर स्टेट एसोसिएशन में जगह बनानी पड़ती है. इसके बाद स्टेट एसोसिएशन द्वारा अम्पायर्स का नाम BCCI की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षा के लिए भेजा जाता है, जो लेवल वन की परीक्षा होती है.

बीसीसीआई हर साल इस परीक्षा का आयोजन करता है. इस दौरान BCCI की ओर से कोचिंग क्लास भी आयोजित की जाती है. पहले 3 दिन कोचिंग जबकि चौथे दिन लिखित परीक्षा होती है. इसमें प्रतिभागियों का चयन मेरिट के आधार पर किया जाता है. चयनित कैंडिडेट को इंडक्शन कोर्स करवाया जाता है और उसके बाद अंपायरिग के बारे में पढ़ाया जाता है. इसके बाद प्रेक्टिकल और ओरल एग्जाम भी होता है और वो लेवल-2 के लिए एलिजेबल हो जाता है. इस चरण के बाद कैंडिडेट्स का मेडिकल टेस्ट होता है और फिर BCCI के अंपायर बनते हैं.

कितनी होती है अंपायर की फ़ीस?

बीसीसीआई के पैनल अंपायर्स की सैलरी उनके लेवल और वरिष्ठता के आधार पर तय की जाती है. बीसीसीआई में कई ग्रेड के अंपायर होते हैं, जिसमें ग्रेड A से लेकर D तक शामिल हैं. हर ग्रेड के अंपायर की फ़ीस अलग-अलग होती है. बीसीसीआई के पास इस समय ग्रेड A में 20 अंपायर, ग्रेड B में 60 अंपायर, ग्रेड C में 46 अंपायर और ग्रेड D में 11 अंपायर हैं. ग्रेड A के अंपायर की सैलरी 40 हज़ार रुपये प्रतिदिन, ग्रेड B के अंपायर्स को 30 हज़ार रुपये की सैलरी दी जाती है.

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