देश में केवल यूपी का बुंदेलखंड ज़िला ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के बीड, उस्मानाबाद, जालना, जलगांव, औरंगाबाद, नांदेड़ और पालघर ज़िले भी सूखे की चपेट में हैं. ये सभी ज़िले पिछले कई सालों से पानी के संकट से जूझ रहे हैं. लेकिन इन दिनों पालघर ज़िले का एक गांव चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके पीछे की वजह हैं 14 साल के प्रणव सालकर. प्रणव अपने एक कारनामे की वजह से अपने गांव में ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांव में भी हीरो बन गया है.

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मुंबई से क़रीब 120 किलोमीटर दूर पालघर के केल्वे गांव में पानी की बेहद समस्या है. गांव में पानी के लिए नदी ही एक मात्र ज़रिया है. लेकिन सूखे की वजह से नदी का जलस्तर बेहद घट गया है. गांव की अन्य महिलाओं की तरह ही प्रणव की मां को भी हर रोज़ कई किलोमीटर पैदल चलकर नदी में पानी लेने जाना पड़ता था. गर्मियों में उनकी मुश्किलें और भी बढ़ जाती थीं. ऐसे में प्रणव, मां को हर रोज पानी के लिए इतनी दूर जाता देख परेशान हो जाता था.

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दरअसल, पालघर के केल्वे गांव की झोपड़ पट्टी में रहने वाले प्रणव ने पानी के लिए मां की जद्दोजहद को देख झोपड़ी के बगल में कुआं खोदने का फ़ैसला किया. इसके बाद उन्होंने अकेले ही इसकी खुदाई भी शुरू कर दी. शुरुआत में मां को लगा प्रणव मज़ाक कर रहा है, लेकिन जब उसने 5 फ़ीट गहरा कुआं खोद दिया तो मां को उसकी बात सच लगने लगे. इसके बाद जब ये बात गांववालों को पता लगी तो सभी प्रणव की हिम्मत देख हैरान रह गए.

14 वर्षीय प्रणव रमेश सालकर इस दौरान सुबह से लेकर रात तक कुंआ खोदने में लगा रहा. प्रणव ने लगातार 4 दिन तक बिना रुके क़रीब 15 फ़ीट गहरा कुंआ खोद डाला. आख़िरकार चौथे दिन कुएं में पानी आ गया और इसके साथ ही प्रणव का सपना भी साकार हो गया. प्रणव के माता-पिता दोनों मज़दूरी कर परिवार का पालन पोषण करते हैं.

ANI से बातचीत में प्रणव की मां दर्शाना ने बताया कि, ‘वो लंच के लिए मात्र 15 मिनट का ब्रेक लेता था. उसने अकेले ही 15 फ़ीट गहरा खोद दिखाया है. प्रणव इससे बेहद ख़ुश है कि उसने कुएं में पानी लाकर मां की परेशानी को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया है’.

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ANI से बातचीत में प्रणव के पिता विनायक ने कहा, ‘मैंने केवल खुदाई की प्रक्रिया के दौरान पत्थरों को हटाने में बेटे की मदद की. हम दोनों पति-पत्नी परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत मज़दूरी करते हैं ऐसे में कुएं का सारा काम प्रणव ने अकेले ही किया’.

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ANI से बातचीत में प्रणव ने बताया कि, ‘मुझे ख़ुशी है कि अब मां को हर दिन पानी के लिए नदी के पास नहीं जाना पड़ेगा. मां को हर रोज़ सुबह-सुबह कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी के लिए पास की नदी में जाना पड़ता था. उन्हें परेशान होता देख मुझे कुआं खोदने की प्रेरणा मिली‘.

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प्रणव आगे कहते हैं, आज मेरे स्कूल टीचर भी कुआं देखने के लिए हमारे घर आते हैं. मेरे दोस्तों ने एक बोर्ड बनाया और उसमें मेरी मेहनत का वर्णन करके उसे कुएं के किनारे खड़ा कर दिया है. इसके अलावा गांव की पंचायत समिति भी मेरी मदद के लिए आगे आई है.

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प्रणव गांव के ही आदर्श विद्या मंदिर में 9वीं कक्षा का छात्र है. लेकिन अब अपने इस कारनामे की वजह से सेलिब्रेटी बन गया है. प्रणव बेहद क्रिएटिव भी है. वो केवल कुआं बनाना ही नहीं, इससे पहले भी बाइक की बैटरी की मदद से अपने घर में लाइट लगा लगा चुका है.

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