आज हम आपको भारत के सबसे हैरतअंगेज़ गांव के बारे में बताएंगे. एक ऐसा गांव जहां रहने वाले लोग थोड़े अलग हैं. क्योंकि यहां रहने वाला हर शख़्स छोटे कद का है. लोग इसे ‘बौनों का गांव’ (Dwarf Village) कहते हैं. 

amarujala

इस जगह का नाम ‘आमार गांव’ है. असम में भारत-भूटान सीमा पर स्थित इस गांव में 70 के क़रीब लोग रहते हैं. ये सभी बौने हैं. दरअसल, इस गांव में पैदा होने वाले लोग छोटे कद के नहीं हो्ते, बल्कि इस गांव को ही बौने लोगों के लिये बसाया गया है. यहां रहने वाले हर शख़्स का कद 4 फ़ीट से कम है.

ये भी पढ़ें: तमिलनाडु के इस गांव में है एक अनोखी परंपरा, यहां के लोग पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनते

‘आमार गांव’ का मतलब हमारा गांव है. इसे साल 2011 में एक कलाकार ने बसाया है. नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (NSD) से ग्रेजुएट पबित्र राभा ने ये गांव बसाया है. यहां रहने वाले उन्हें अपना सरदार मानते हैं. 

newstracklive

बता दें, इस गांव में कोई अपनी मर्ज़ी से आया है, तो किसी को उसके परिवार वाले छोड़ गये. असम के अलग-अलग जगहों से आए छोटे कद के ये लोग अब एक परिवार की तरह यहां रह रहे हैं.

इस गांव को बसाने के पीछे पबित्र राभा का कहना है कि दुनिया छोटे कद वालों का मज़ाक बनाती है. ऐसे में उन्होंने इस तरह का गांव बसाने की सोची. फिर पबित्र ने असम के अलग-अलग हिस्सों से छोटे कद के इन लोगों को यहां इकट्ठा किया है.

amarujala

ये सभी लोग एक थियेटर ग्रुप में काम करते हैं. असम समेत देशभर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर परफ़ॉर्म करते हैं. इसके पीछे पबित्र राभा की यही कोशिश है कि लोग इस बात को समझें कि ये लोग भी आम लोगों की ही तरह हैं. बस उनका कद हमसे छोटा है. लोग उन्हें बौना कहने के बजाय उनके नाम से बुलाएं.

आज इस गांव में रहने वाले छोटे कद के लोग बड़ी मस्ती के साथ ज़िंदगी बसर कर रहे हैं. ये लोग दिन में खेतीबाड़ी करते हैं और शाम होते ही रंगमंच के कलाकार के तौर पर नज़र आने लगते हैं. यहां क़रीब हर रात नाटक होते ही होते हैं. आसपास के लोग भी इस नाटक मंडली के नाटक देखने आते हैं.