मैडम इधर आइए, कितना दे रही हैं आप वसंतकुंज का, ये लाइन ऑटोवाले से सुनते ही ऐसा लगता है कि हम जो दे देंगे वो रख लेगा. और जैसे ही आप अपना बताती हैं वैसे ही ऑटोवाले की मेमोरी पावर चार्ज होती है और वो अपना किराया मुंह फाड़ कर बताता है. ग़ुस्सा तो बहुत आता है, लेकिन ये युद्ध तो रोज़मर्रा का है, जो अक्सर दिल्ली में मेट्रो के बाहर और हर जगह के बस स्टैंड और मार्केट के आस-पास देखने को मिलता है. जब ऑटोरिक्शा ड्राइवर अजीब-अजीब कारण देकर इरीटेट करते हैं, ताकि उन्हें किराया ज़्यादा मिले.   

ऑटोवालों क बातें सुनकर तो लगता है कि ज़बान में हड्डी नहीं होती है तो कुछ भी बोलोगे . उसी बिना हड्डी वाली ज़बान से ऑटोरिक्शा ड्राइवर इसके अलावा भी बहुत कुछ बोलते हैं, जो हम अब आपको बताने जा रहे हैं:

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1. मीटर से एक्स्ट्रा

इनका ये लॉजिक आज तक समझ नहीं आया क्योंकि मीटर से जाएं या बिना मीटर जाना तो एक ही आदमी है तो 20 रुपये एक्स्ट्रा क्यों, सांस लेने का भी पैसे लेते हो क्या भइया?

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2. खुले पैसे दो

अरे भाई ऑटो तुम चला रहे हो सुबह से खुले पैसे तुम्हारे पास होने चाहिए तो आप लोग सवारियों से मांगते हो.

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3. कम दूरी पर नहीं जाएंगे

अब बताओ ज़रा ये क्या लॉजिक हुआ कि अगर आपको पास में कहीं जाना है तो जहां पनाह नहीं जाएंगे, आपको अपना घर अमेरिका में ख़रीदना पड़ेगा तब उनकी शाही सवारी आगे बढ़ेगी.


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4. सामान का अलग से लगेगा

ये सुनकर ग़ुस्सा नहीं खिसियाट आती है. कौन से मुंह से ऐसी बातें बोलते हैं ये लोग. अगर कोई दूर से आया है तो वो एक झोला लेकर आए क्योंकि सामान देखकर तो ऑटोवाले भइया काटने को सोचेंगे.

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5. वापस आना पड़ता है

इस पर हाथ टूटने तक तालियां बजनी चाहिए क्योंकि ऑटोवाले भइया को हमें छोड़कर वापस जो आना पड़ता है, जिसका रोना रोकर वो हमसे डबल किराये की मांग करते हैं. अब लगता है जो भी ऑटोवाले छोड़ने आएंगे उन्हें अपने ही घर में रखना पड़ेगा.

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6. मीटर या Prepaid

अगर किराया ज़्यादा आया तो मीटर से इतना ही आता है सबसे सीधा और साधारण सा झूठ. वैसे ही हम जाएं जैसे भी किराया तो तुम अपनी ही मर्ज़ी का लोगे.

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7. जो पड़ता हो वो दे देना

ये तो कई बार ऑटोवालों से सुना होगा, लेकिन जैसे ही अपना किराया बताओ की भइया इतना देते हैं वैसे ही उनकी कोई छठी इंद्री जाग जाती है और वो बोलते हैं नहीं ये तो कम है. अब समझ नहीं आता कि ये ख़ुद को होशियार समझ रहे हैं या हमें बेवकूफ़.

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वैसे कुछ भी इस लड़ाई से जो अनर्जी मिलती है न वो सारा दिन के काम करने में काम आती है.