Monuments Build By Women: ये बात हम सभी जानते हैं कि मुग़ल सम्राट शाहजहां (Shah Jahan) ने अपनी वाइफ़ मुमताज़ की याद में दुनिया के सात अजूबों में से एक ताज महल बनवाया था. जब बात इतिहास में बनी इमारतों की आती है, तो हम ख़ुद ही ये मान लेते हैं कि उन्हें किसी आदमी ने ही बनवाया होगा. लेकिन ऐसा लगता है कि शायद हमने इतिहास को अच्छे तरीक़े से खंगाला नहीं है. जब इतिहास लिखने की बात आती है, तो भारतीय दिग्गज महिलाएं इसमें पीछे नहीं हैं और उनकी उपलब्धियां इस बात को ख़ुद ही बयां करती हैं. 

भारत के कुछ ऐतिहासिक स्थलों का दौरा करने वाले कई पर्यटकों को इस बात का अंदाजा तक नहीं होगा कि शक्तिशाली महिलाओं ने प्यार का इजहार करने, श्रद्धांजलि देने या यहां तक ​​कि व्यापार करने के लिए स्मारकों के निर्माण का जिम्मा लिया था.

आइए आपको बताते हैं कुछ फ़ेमस स्मारकों के बारे में, जिन्हें महिलाओं ने बनवाया था.

Monuments Build By Women

1. विरुपक्षा मंदिर, पट्टदकल्लु

ये मंदिर भगवान शिव का है, जो 8वीं सदी में रानी लोकमहादेवी ने अपने पति विक्रमादित्य द्वितीय की पल्लवों के ख़िलाफ़ जीत की याद में करवाया था. ये कर्नाटक के बागलकोट जिले में स्थित है. इसे ‘लोकेश्वर मंदिर’ भी कहा जाता है. ये मंदिर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट ‘पट्टदकल्लु ग्रुप ऑफ़ मोन्यूमेंट्स‘ का भी हिस्सा है.

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2. लाल दरवाज़ा मस्ज़िद, जौनपुर

सुल्तान महमूद शर्की की रानी राजे बीबी ने इस मस्ज़िद को बनवाया था और इसे संत सय्यद अली दाउद क़ुतुबुद्दीन को डेडीकेट किया था. ये मस्ज़िद उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है. रानी बीबी राजे के रॉयल महल की एंट्रेस इस मस्ज़िद के बिल्कुल पास है. इसका दरवाज़ा सिन्दूरी रंग का है, जिस वजह से इसे लाल दरवाज़ा मस्ज़िद कहा जाता है. रानी को जौनपुर के लाल दरवाजे के पास एक धार्मिक स्कूल जामिया हुसैनिया की स्थापना के लिए भी मान्यता मिली थी, जो आज भी मौजूद है.

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3. मिरजान किला, कर्नाटक

पुर्तगालों ने गेरसोप्पा की रानी चेन्नाभैरदेवी का नाम काली मिर्च की रानी रख दिया था, क्योंकि उन्होंने उन जगहों पर राज किया था, जहां पर मसालों की काफ़ी खेती होती थी. कई कारीगरों ने अन्य क्षेत्रों में शत्रुता के चलते रानी के साथ अभयारण्य की मांग की. इसके बदले में उन्होंने 16वीं सदी में मिरजान में उनके किले के निर्माण में सहायता की थी. इस किले से पहाड़ों के शानदार नज़ारे दिखाई देते हैं.

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4. खैरुल मंज़िल, नई दिल्ली

मुग़ल सम्राट अकबर की दाई ने 1561 में खैरुल मंज़िल का नई दिल्ली में निर्माण किया था. अकबर के बचपन के दिनों में, वो दरबार में शक्तिशाली महिला के रूप में मुग़ल साम्राज्य पर हावी रहीं. विद्धानों का मानना है कि उस दौरान मस्ज़िद एक मदरसे के रूप में और डाल्टन कक्षाओं के रूप में कार्य करते थे.

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5. हुमायूं का मक़बरा, नई दिल्ली

ये मक़बरा 1565-72 में हमीदा बानो बेग़म ने बनवाया था, जिन्हें हाजी बेग़म भी कहा जाता था. ये मकबरा भारतीय थीम को शामिल करते हुए पारसी वास्तुकला के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक है. इस तथ्य के बावजूद कि सिकंदर लोदी का मक़बरा भारत का पहला उद्यान मक़बरा था, वो हुमायूं का मक़बरा था, जिसने लोगों में एक नया क्रेज़ स्थापित किया था.

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6. रानी की वाव, पाटण, गुजरात

साल 1063 में उदयमती ने सोलंकी वंश के अपने पति राजा भीमदेव प्रथम के लिए पानी का सम्मान करने के लिए इस उल्टे मंदिर का निर्माण किया था. सरस्वती नदी में बाढ़ के बाद गाद का ढेर लगने के बाद बावड़ी का कुआं खत्म हो गया. वर्षों बाद उत्खनन में पाया गया कि गाद ने नक्काशी के संरक्षण में सहायता की थी. साइट का उपयोग कई क्षेत्रीय फ़िल्मों में किया गया है, और इसे 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था.

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7. इतिमाद-उद-दौला, आगरा

ये मकबरा एक बेटी ने अपने पिता के लिए बनवाया था. साल 1622 और 1628 के बीच महारानी नूरजहां ने यमुना के तट पर अपने पिता मिर्जा गयास बेग को श्रद्धांजलि देने के लिए बनवाया था. नदी के किनारे बना ये मकबरा ताजमहल की मूल प्रेरणा है, जिसे नूरजहां की पत्नी मुमताज़ के लिए नूरजहां के बेटे शाहजहां ने बनवाया था.

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भारत के ये स्मारक आज के समय के टूरिस्ट स्पॉट हैं.