‘सिकंदर’ मकदूनिया का शासक था, जिसे ‘अलेक्ज़ेंडर द ग्रेट’ के नाम से भी जाना जाता है. ये दुनिया में एकमात्र ऐसा इंसान हुआ जिसने विश्व को जीतने का सपना देखा और इसके लिए इसने अभियान भी चलाया. ‘सिकंदर’ के बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी मृत्यु तक उन सभी ज़मीनों पर विजयी पताका फहराया दिया था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी. लेकिन, सवाल यह उठता है कि क्या सिकंदर सच में विश्व विजेता था? आइये, इस ख़ास लेख में हम आपको सिकंदर से जुड़ी उन सच्चाइयों के बारे में बताते हैं, जो ये साबित करती हैं कि वो कोई महान इंसान नहीं था और न ही कोई विश्व विजेता.
1. भाइयों का क़ातिल
सिकंदर के पिता का नाम फ़िलिप था, जो मकदूनिया का सम्राट था. कहा जाता है कि फ़िलिप की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद सिकंदर अपने चचेरे और सौतेले भाइयों का क़त्ल कर मकदूनिया का राजा बना.
2. अरस्तु थे सिकंदर के पीछे
यह शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि सिकंदर के गुरु अरस्तु थे. इन्होंने ही सिकंदर को विश्व विजय का सपना दिखाया था. अरस्तू एक महान दार्शनिक थे, जिनके विचारों का महत्व आज भी बना हुआ है. कहते हैं कि सिकंदर को निखारने का काम अरस्तू ने ही किया था. वहीं, कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि अगर सिकंदर के जीवन में अरस्तू न आते, तो उनकी उपलब्धि भी हासिल न कर पाता, जिसका दावा किया जाता है.
3. ख़ुद ही कहलवाया विश्व विजेता
कहते हैं कि फ़ारसी साम्राज्य के राजा को सिकंदर ने तीन बार हराया था और साम्राज्य को अपने क़ब्ज़ा में ले लिया था. इस काम में उसे 10 साल का वक़्त लग गया था. कहते हैं कि अपनी जीत के बाद उसने एक बड़ा जुलूस निकलवाया और ख़ुद को विश्व विजेता घोषित कर दिया.
4. भारी पड़ी चाणक्य की नीति
कहते हैं कि जब तक्षशिला के आचार्य विष्णुगुप्त यानी चाणक्य को भारत पर सिकंदर के हमले के बारे में पता चला, तो उन्होंने सभी राजाओं से आग्रह किया कि वो सभी सिकंदर के ख़िलाफ़ एक होकर लड़ें. लेकिन, कोई भी आगे न आया. चाणक्य ने मगध के राजा धनानंद से भी गुहार लगाई, लेकिन उसने चाणाक्य का अपमान किया. इसके बाद चाणक्य ने अपनी कूटनीति की मदद ली और चंद्रगुप्त को सिकंदर के सामने खड़ा कर दिया. सिकंदर की सेना आगे न बढ़ पाई और उनके मंसूबों पर पानी फिर गया.
5. सिकंदर और पोरस का युद्ध
सिकंदर और पोरस के बीच हुए युद्ध को दुनिया के चुनिंदा युद्धों में गिना जाता है. माना जाता है कि राजा पोरस या पुरुषोत्तम का राज्य पंजाब की झेलम से लेकर चिनाब नदी तक फैला हुआ था. कहा जाता है जब सिकंदर, राजा पोरस की सीमा में दाख़िल हुआ, तो उन्होंने अपनी सेना के साथ सिकंदर का डटकर सामना किया.
6. सिकंदर की सेना के हौसले हुए परस्त
कहा जाता है कि पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर की सेना के हौसले परस्त हो चुके थे. उसकी सेना इतनी थक चुकी थी कि उनमें आगे बढ़ने की हिम्मत न थी. इस वजह से सिकंदर को अपनी सेना के साथ व्यास नदी से ही वापस लौटना पड़ा.
7. क्रूर और अत्याचारी
सिकंदर के बारे में कहा जाता है कि वो काफ़ी क्रूर और अत्याचारी था. कई इतिहासकारों के अनुसार,सिकंदर ने कभी उदार भावना नहीं दिखाई. कहते हैं कि वो छोटी-छोटी ग़लतियों पर अपने सहयोगियों को तड़पा-तड़पा कर मार दिया करता था.
8. वो ख़ुद देवता बनना चाहता था
सिकंदर एक ग्रीक था और ग्रीक लोग कई देवता और मान्यताओं को मानते थे. लेकिन, माना जाता है कि सिकंदर लोगों को सामने ख़ुद को देवता बनना चाहता था. वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि सिकंदर ने अपने सैनिकों और सेनापतियों के सामने ख़ुद को देवता की तरह पेश किया. कई बार सिकंदर के सहयोगी पीठ पीछे सिकंदर का मज़ाक भी बनाते थे.
9. पीने लगा था शराब
कहते हैं कि अपने विश्व विजेता के सपने को टूटता देख सिकंदर को शराब की लत लग गई थी. वो दिन-रात शराब में डूबा रहता था और कई बार बीमार भी हुआ. साथ ही वो उदास भी रहने लग गया था.
10. मलेरिया से हुई मौत
कहते हैं कि जब सिकंदर बेबिलोन पहुंचा, तो 323 ईसा पूर्व में उसकी मौत हो गई थी. माना जाता है कि वो मलेरिया की वजह से मरा था. इन सभी तथ्यों को पढ़ने के बाद सिकंदर को महान या विश्व विजेता कहने का सवाल ही पैदा नहीं होता. आपकी क्या राय है हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं.