Chaitra Navratri 2021: 13 अप्रैल यानि कल से चैत्र नवरात्र शुरू हो जायेंगे. इसी के साथ माता के भक्त 9 दिनों तक उनकी भक्ति में लीन रहेंगे. पिछली बार कोरोना की वजह से सभी मंदिरों के पट बंद कर दिये गये थे. कोरोना का कहर इस बार भी जारी है. इसलिये हम सभी भक्तों से यही अपील करेंगे कि मां के मंदिर न जाकर आप घर पर ही उनकी पूजा-अर्चना करें.
नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम मां के भक्तों के लिये हिंदुस्तान के सबसे पुराने दुर्गा मंदिर की जानकारी भी जुटा कर लाये हैं. नवरात्रि के मौक़े पर जानते हैं कि आखिर हिंदुस्तान का प्राचीन दुर्गा मंदिर कौन सा है और कहां स्थित है?
मुंडेश्वरी मंदिर
कहते हैं कि चंड और मुंड नामक दो राक्षसों ने काफ़ी कोहराम मचा रखा था. उनके उत्पात से परेशान को होकर मां मुंडेश्वरी प्रकट हुई और उनका वध कर डाला. कहते हैं कि इस मंदिर में मनोकामना पूर्ण करने के लिये लोग बकरे की बलि भी देते हैं, लेकिन हां बलि देने का भी अनोखा तरीक़ा है, जिससे बकरे का एक भी कतरा ख़ून नहीं बहता है.
दरअसल, मनोकामना पूर्ण होने के बाद जब भी कोई भक्त बकरे की बलि देने आता है, तो पुजारी जी बकरे पर चावल छिड़कते हैं. चावल छिड़कते ही बकरा बेहोश हो जाता है और होश में आने के बाद उसे आज़ाद कर दिया जाता है. इस तरह बकरे को आज़ाद करके उसकी बलि स्वीकार कर ली जाती है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 108 ईस्वीं में ‘शक’ शासन काल के दौरान किया गया था. मंदिर की दुर्लभ 97 मूर्तियों को पटना के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है. इसके अलावा तीन मूर्तियां कोलकाता के म्यूज़िम में सुरक्षित हैं.
एक बार कोरोना ख़त्म हो जाने दीजिये, फिर माता के दर्शन करने चले जाइयेगा. तब तक हम सब मिल तक यही कहेंगे, ‘जय माता दी’.