द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से शुरू होकर 1945 में ख़त्म हुआ था. ये इतिहास की उन काली घटनाओं में गिना जाता है, जब चारों-तरफ़ तबाही का मंज़र नज़र आ रहा था. राष्ट्र गुट बनाकर (मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र) एक दूसरे से लड़ रहे थे. इसमें कई देश बुरी तरह प्रभावित हुए और असंख्य लोगों की जान गई. माना जाता है कि इसमें 12 मिलियन से ज़्यादा लोगों की जान गई थी. वहीं, इस बीच एक ऐसा सैन्य अभियान चलाया गया, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध को ख़त्म करने में अहम भूमिका निभाई. इसका नाम था D-Day. आइये, इस लेख में हम आपको इस सैन्य अभियान के विषय में पूरी जानकारी देते हैं.
सबसे बड़ा समुद्री सैन्य अभियान
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्थिति काफ़ी गंभीर बनी हुई थी. ख़ासकर, नाज़ियों के अत्याचार का सामना कर रहे यूरोपीय देशों की स्थिति बिगड़ती जा रही थी. वहीं, ऐसी तबाही को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सहित कई मित्र राष्ट्र विश्व युद्ध को रोकने के प्रयास में आगे आए. इन्होंने एक बड़े संयुक्त सैन्य अभियान की योजना बनाई, जिसमें मित्र राष्ट्रों के लगभग एक लाख 56 हज़ार सैनिकों को जर्मन सेना के खिलाफ लड़ाई की.
चुपचाप दाख़िल हुए सैनिक
तारीख़ थी 6 जून 1944, मित्र राष्ट्र के सैनिक उत्तरी फ्रांस के नॉरमैंडी शहर के तटीय इलाक़े वाले क्षेत्र में चुपचाप दाख़िल हुए थे. इसे इतिहास का सबसे बड़ा समुद्री सैन्य अभियान कहा जाता है. वहीं, इसे D-Day के नाम से भी जाना जाता है.
मक़सद था द्वितीय विश्व युद्ध को ख़त्म करना
बता दें कि इस सैन्य अभियान का मक़सद द्वितीय विश्व युद्ध को ख़त्म करना था. वहीं, यह नाज़ियों के कब्ज़े वाले यूरोप का पहला चरण माना जाता है. बता दें कि इसमें मित्र राष्ट्रों की थल सैना के साथ-साथ नेवी और वायु सेना ने भी भाग लिया था.
मारे गए थे कई सैनिक
बता दें कि इस सैन्य अभियान में जर्मन सेना के 9 हज़ार सैनिक व मित्र राष्ट्र के लगभग 4413 सैनिक मारे गए थे.
मिला एक बड़ा मोड़
बता दें कि यह सैन्य अभियान ने द्वितीय विश्व युद्ध को एक नया मोड़ देने का काम किया. इस सैन्य अभियान के बाद ही मित्र राष्ट्र की सेना जर्मनी के कब्ज़े वाले फ़्रांस में दाख़िल हो पाई थी. वहीं, पूर्व की ओर से सोवियत सेना ने हमला किया, इससे बर्लिन हिटलर के कब्ज़े से निकल पाने में सफल हो पाया. वहीं, अंत में नाज़ी जर्मनी हार गए.
अभियान के एक साल बाद ख़त्म हुआ द्वितीय विश्व युद्ध
बता दें कि डी-डे अभियान इतना कारगर साबित हुआ कि मित्र राष्ट्र, धुरी राष्ट्रों पर भारी पड़ने लगे. वहीं, धुरी राष्ट्रों के हाथों से कब्ज़े वाले क्षेत्र धीरे-धीरे जाने लगे. वहीं, फ़िलिपींस के लेटी भूभाग पर मित्र राष्ट्रों ने हमला किया, जिसमें जापान हार गया.