Ganesh Chaturthi 2021: हर साल पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है. महाराष्ट्र में भक्त इस पर्व की तैयारियां कई दिनों पहले से ही करने लगते हैं. ये त्यौहार पूरे 10 दिन चलता है. आइए जानते हैं कि इस बार ये पर्व कब है और क्यों इसे मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी से जुड़े सारे सवालों के जवाब हम ख़ास आपके लिए लेकर आए हैं.
कब है गणेश चतुर्थी?
गणेश चतुर्थी(Ganesh Chaturthi) हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता है और चतुर्दशी तक चलता है. इस बार गणेशोत्सव 10 सितंबर(शुक्रवार) से प्रारंभ होगा.
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गणेश स्थापना 2021 कब है?
गणपति की स्थापना 10 सितंबर को की जाएगी. पंचांग के अनुसार इसका शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से लेकर रात 10 बजे तक है. कहते हैं गणपति जी स्थापना घर में करने से सुख-समृद्धि आती है.
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गणेश चतुर्थी की क्या मान्यता है और क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार?
भगवान गणेश शिव-पार्वती के बेटे हैं. मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था. इसलिए हर इस तिथि को गणेश जी का जन्मदिन मनाया जाता है. भगवान गणेश को 108 नाम से जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, पार्वती ने इन्हें अपने शरीर के मैल से बनाया था. इसके बाद वो उसे द्वार पर रक्षा करने के छोड़ स्नान करने चली गई थीं. मगर गणेश जी से अंजान शिव-शंकर वहां आए और अंदर जाने को कहने लगे. गणेश ने उन्हें रोका, जिससे वो रुष्ट हो गए और उन्होंने त्रिशूल से नन्हे बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया.
जब माता पार्वती वहां आई तो वो विलाप करने लगी और पति(शिव) से अपने बेटे को वापस लाने को कहा. उनका वियोग देख भगवान शिव ने एक गज(हाथी) का सिर लाकर उनके शरीर से जोड़ दिया. इस तरह गजानन का फिर से जन्म हुआ. इस घटना के बाद भगवान ने गणेश को आशीर्वाद विघ्नहर्ता होने का आशीर्वाद दिया और घोषणा की कि कोई भी पूजा शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाएगी तो वो पूजा सफ़ल होगी.
तभी से ही गणेश चतुर्थी मनाई जाती है और हर पूजा से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेशोत्सव में लोग अपने घर पर गणेश जी की मूर्ती की स्थापना कर उन्हें 10 दिन तक अपने घर में रखते हैं. चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन कर अगले बरस फिर से आने और घर के दुख-दारिद्र को दूर करने की मंगल कामना करते हैं.
गणेश जी को मोदक क्यों प्रिय है?
गणेश जी को मोदक का भोग लगाया जाता है, ये उनका प्रिय मिष्ठान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव आराम कर रहे थे और गणेश जी बाहर द्वार पर पहरा दे रहे थे. तभी परशुराम उनसे मिलने आए, उन्होंने अंदर जाने कोशिश की मगर गणेश ने उन्हें रोक दिया. इस बात पर दोनों के बीच युद्ध हुआ और गणेश जी का एक दांत टूट गया.
इसके बाद से उन्हें खाना खाने में परेशानी होने लगी. तब उनके लिए एक ख़ास मिठाई बनाई गई जिसका नाम था मोदक. ये मोदक बहुत ही मुलायम होते और आसानी से मुंह में घुल जाते. इसलिए ये उनका प्रिय भोजन बन गए.
इसी बात पर बोलो- गणपति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरया.