अंग्रेज़ों ने भारत पर कितने साल राज किया ये आज भी चर्चा का विषय है. भारत में अधिकतर लोग यही जानते हैं कि अंग्रेज़ों ने भारत पर 200 साल तक राज किया. इतिहासकारों की मानें तो अंग्रेज़ों ने भारत पर 190 साल तक राज किया था, लेकिन इतिहास की किताबों में बताया गया है कि भारत में ‘ब्रिटिश राज’ की शुरुआत असल में 1858 से शुरू हुई थी. इसके 89 साल बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को ‘ब्रिटिश राज’ से आज़ादी मिली थी.
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भारत की आज़ादी के बाद अधिकतर ब्रिटिश नागरिक अपने वतन वापस लौट चुके थे, लेकिन एक ‘ब्रिटिश रेजिमेंट’ ऐसी भी थी जो आज़ादी के बाद 6 महीने तक भारत में ही रही थी. इस बटालियन का नाम ‘समरसेट लाइट इन्फेंट्री’ था. ये 28 फ़रवरी, 1948 को भारत छोड़ने वाली अंतिम ‘ब्रिटिश रेजिमेंट’ थी.
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बता दें कि ‘समरसेट लाइट इन्फेंट्री’ ब्रिटिश सेना की वही रेजिमेंट थी जिसे भारत में पहली बार सन 1822 में पोस्ट की गई थी. इस रेजिमेंट ने प्रथम बर्मा युद्ध (1824-26), प्रथम अफ़गान युद्ध (1839-42) और 1857 के विद्रोह में हिस्सा लिया था.
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मुंबई में हुआ था विदाई समारोह
इस रेजिमेंट का विदाई समारोह 28 फ़रवरी, 1948 को मुंबई में आयोजित किया गया था. इस दौरान मुंबई के ‘ताज होटल’ वाली सड़क पर एक विशाल समारोह आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में हज़ारों लोगों ने शिरकत की थी. मुंबई के मशहूर ‘गेटवे ऑफ़ इंडिया’ पर मेजर जनरल लैश्मर व्हिसलर ने विदाई भाषण दिया था.
इस समारोह की तस्वीरों में आप ख़ुद देख सकते हैं कि उस दिन वास्तव में क्या कुछ हुआ था.
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इस कार्यक्रम के दौरान ‘ब्रिटिश रेजिमेंट’ के जवानों ने लोकप्रिय विदाई गीत Auld Lang Syne की धुन पर मार्च किया. इस दौरान भारतीय और ब्रिटिश सेना ने सलामी का आदान-प्रदान भी किया. इसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ और ‘जन गण मन’ भी गाए गए.
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कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना द्वारा ब्रिटिश सेना को उपहार भी दिए थे, जिसमें ‘ऑइल पेंटिंग’, ‘भारतीय तिरंगा’ और ‘गेटवे ऑफ़ इंडिया’ की तस्वीर वाला सिल्वर मेडल शामिल था. इस दौरान आज़ादी के बाद बॉम्बे (मुंबई) के पहले गवर्नर राजा महाराज सिंह ने गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन और भारत के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के विदाई संदेश पढ़े.
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भारत भले ही 15 अगस्त, 1947 को आज़ाद हुआ था, लेकिन देश को ब्रिटिश राज से असल आज़ादी 28 फ़रवरी, 1948 को मिली थी. ये वो दिन था जब भारत से हमेशा-हमेशा के लिए ब्रिटिश राज का नामो निशां मिट गया था.