कोलकाता की Presidency University के सामने बना इंडियन कॉफ़ी हाउस शहर का बेस्ट कैफ़े है. कॉलेज स्ट्रीट में बना ये इस कैफ़े दूर देश से घूमने आने वाले सैलानी और कॉलेज स्टूडेंट्स का ये हैंगिंग पॉइंट बन चुका है. इस कॉफ़ी हाउस का नाता भारत के स्वतंत्रता संग्राम से भी है. यहां सुभाष चंद्र बोस, सत्यजीत रे, नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन, फ़िल्म निर्देशक मृणाल सेन जैसी शख़्सियतें भी वक़्त बिता चुकी हैं.

इस कॉफ़ी हाउस का कोलकाता(Kolkata) की संस्कृति और इतिहास में बहुत बड़ा योगदान है. चलिए इसकी तस्वीरों के ज़रिये Indian Coffee House से जुड़े इतिहास से भी रूबरू हो जाते हैं. 

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1. Indian Coffee House की स्थापना 1876 में हुई थी, तब इसे Albert Hall कहा जाता था.  

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2. कॉलेज जाने वाले छात्रो के लिए मीटिंग अड्डा बन चुका है. इसका नाम ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के पति Prince Concert Albert के नाम पर रखा गया था. 

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3. इस कॉफ़ी हाउस के ओनर तब ब्रह्मो नेता केशब चंद्र सेन के दादा रामकमल सेन थे, वो हिंदू कॉलेज(Presidency University) के मैनेजर भी थे. 

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4. साहेबियाना की शैली में बना ये हॉल उस वक़्त ब्रिटश हुकूमत का विद्रोह करने का केंद्र बन चुका था.

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5. इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना करने की शुरुआत भी इसी कॉफ़ी हाउस में हुई थी. 

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6. उस वक़्त की प्रमुख राजनीतिक पार्टी भारत सभा के सदस्यों की यहां ख़ूब मीटिंग हुआ करती थीं. 

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7. ये हॉल धीरे-धीरे स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों और बुद्धिजीवियों का पता बन गया था. 

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8. यहीं पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की सलाह पर नेताजी ने भारत छोड़ो आंदोलन की कई योजनाएं बनाई थीं. 

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9. अल्बर्ट हॉल के बाहर ही भारत सभा की लखनऊ, मेरठ, लाहौर, अहमदाबाद, मद्रास आदि की शाखाएं बनी थीं. 

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10. 1912 में अल्बर्ट हॉल को चोरबागान के ज़मींदार अविराम मलिक ने ख़रीद लिया था. 

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11. अब यहां पर दो फ़्लोर किराए पर दिए जाने लगे थे. यहां राजनीतिक पार्टियों की छोटी-बड़ी सभाएं होती थी. 

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12. इसके एक हिस्से का नाम House Of Lords और दूसरे का नाम House Of Commons था. House Of Lords दूसरे से 25 फ़ीसदी महंगा था

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13. द्वितीय विश्व युद्ध में कोलकाता के आसमान में बमवर्षक विमान मंडराने लगे थे और कॉफ़ी हाउस को ब्रिटिश सेना ने बैरक में तब्दील कर दिया था. 

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14. विश्व युद्ध के बाद भारत आज़ाद हो गया था और इसे इंडियन कॉफ़ी हाउस के नाम से जाना जाने लगा था. 

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15. इस कॉफ़ी हाउस में काॉफ़ी का लुत्फ़ उठाते समय बहुत ही कम लोगों को ये पता होता है कि वो आज़ादी से जुड़ी एक ऐतिहासिक इमारत में बैठे हैं.

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कोलकाता के इस आइकॉनिक कॉफ़ी हाउस का इतिहास कैसा लगा?