क़ानून को बदलते समाज के साथ ही बदलते रहना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो तो ये नियम-क़ायदे हमारे लिए जी का जंजाल बन जाते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक जज के बारे में बताएंगे जो वक़्त के हिसाब से किसी केस का फ़ैसला देता था क़ानून के हिसाब से नहीं.

शायद यही वजह है कि उनकी गिनती दुनिया का बेस्ट जजेस में होती है. यही नहीं महिलाओं और ग़रीबों के हक़ के लिए भी लड़ने के लिए खड़े होने वाले इस जज को लोगों का न्यायधीश भी कहा जाता है.

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पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद शुरू की लॉ पढ़ाई

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बात हो रही इंग्लैंड के फ़ेमस जज Lord Alfred Denning की, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी कुछ ऐसे फ़ैसले सुनाए जो दुनिया के लिए नज़ीर बन गए. Lord Denning एक ब्रिटेन के एक सामान्य परिवार में जन्मे थे. उन्होंने गणित विषय से मास्टर की डिग्री हासिल की थी. मगर बाद में उनका रुझान लॉ की तरफ हो गया तो उन्होंने इसकी पढ़ाई कर प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया.

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 मुफ़्त में लोगों की शिकायतें टाइप करते थे

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वो मुफ़्त में लोगों की शिकायतें टाइप कर उन्हें देते थे. खाली समय में वो कोर्ट की प्रोसिडिंग को देखने जाते थे. यहां वो वक़ालत के सारे दांव पेंच बहुत ही बारीकी से समझते थे. उनका मानना था कि क़िताबों और प्रोफ़ेसर्स से बस आपको क़ानून की धुंधली तस्वीर मिलती है. असल में क़ानूनी प्रक्रिया क्या होती है ये तो असली केस की सुनवाई को देख कर ही समझा जा सकता है.

35 साल से अधिक समय तक किया काम

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धीरे-धीरे वो भी प्रैक्टिस करने लगे, पहले बहुत अच्छे वक़ील बने और बाद में जज. उन्होंने बतौर जज 35 साल से अधिक समय तक काम किया. इसमें Master of the Rolls और Court of Appeal दोनों के कार्यकाल शामिल हैं. उन्होंने नागरिकों के लिए क़ानूनों को सुलभ बनाने के लिए बहुत काम किया. Lord Denning निजी अधिकारों के सबसे बड़े पैरोकार थे.

अश्वेतों और महिलाओं के लिए खोले थे न्याय के द्वार    

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ब्रिटेन में बसे अश्वेत लोगों के लिए समान अधिकार की बात करने वाले वो पहले न्यायाधीश थे. उनका मानना था कि राजधर्म की आड़ में लोगों के मौलिक अधिकार छीनने का काम किया जाता है. महिलाओं के हक़ के लिए भी हमेशा खड़े होते थे. तलाक़शुदा महिलाओं को संपत्ति और अपने पूर्व पति के घर में रहने के अधिकार दिलाने के लिए भी Lord Denning को याद किया जाता है. उनके फ़ैसले भी पेचीदा नहीं होते थे. वो सरल भाषा में इस तरह लिखे जाते थे लोग उन्हें सुनते तो ऐसा लगता था कि वो कोई कहानी सुन रहे हैं.

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लोगों को उनका हक़ और न्याय दिलाने के लिए तत्पर रहने वाले इस न्यायाधीश ने मार्च 1999 में अंतिम सांस ली थी. जनता के जज के निधन पर पूरा ब्रिटेन ही नहीं, बल्कि विश्व भर के जज और वक़ीलों की आंखें नम हो गई थीं.