40 वर्षों तक पंजाब पर शासन करने वाले वीर सिख योद्धा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है. रणजीत सिंह जितने अच्छे शासक थे, उतने ही क़ाबिल सैन्य कमांडर भी थे. रणजीत सिंह ने अपनी ज़िंदगी में कई लड़ाईयां लड़ी और जीते. उनकी बनाई खालसा सेना को अंग्रेज़ भी भारत की सर्वश्रेष्ठ सेना मानते थे. रणजीत सिंह ने पंजाब को न केवल सशक्त सूबे के रूप में एकजुट किया, बल्कि अंग्रेज़ों को अपने साम्राज्य के आसपास भी नहीं फटकने दिया.

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मगर, हैरत होती है कि इतने शक्तिशाली शासक होने के बावजूद भी एक बार महाराजा रणजीत सिंह को 100 कोड़े मारने की सज़ा सुना दी गई थी. इतना ही नहीं, रणजीत सिंह भी कोड़े खाने को तैयार हो गए थे. तो आख़िर ऐसी कौन सी ग़लती रणजीत सिंह ने की थी, जो उन्हें इस तरह की सज़ा सुनाई गई. आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं.

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एक मुस्लिम नर्तकी से कर बैठे प्यार

रणजीत सिंह ने कुल बीस शादियां की थीं. इसके अलावा उनके हरम में 23 अन्य महिलाएं भी थीं. मगर कहते हैं कि लाहौर के शासक बनने के बाद रणजीत सिंह का दिल एक 13 साल की मुस्लिम नर्तकी मोहरान पर आ गया था. दरअसल, महाराजा रणजीत सिंह अक्सर अमृतसर और लाहौर के बीच यात्रा करते थे. यहां उन्होंने अपने लिए एक विश्राम गृह भी बनवाया था, जिसे बारादरी के नाम से जाना जाता था. महाराजा अक्सर बारादरी में ठहरते थे और अपनी पसंदीदा नर्तकी मोहरान को बुलाते थे, जो पास के माखनपुरा गांव में ही रहती थी. 

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ऐसे ही एक बार महाराजा ने मोहरान को बारादरी बुलवाया. उस वक़्त रास्ते में एक नहर थी, जिस पर पुल नहीं बना था. ऐसे में घोड़े पर सवार मोहरान की एक चांदी की चप्पल नहर में ही गिर गई. मोहरान को ये चप्पल महाराजा ने ही तोहफ़े में दी थी. मोहरान महाराज के आगे नंगे पांव ही पहुंची और कहा कि जब तक नहर पर पुल नहीं बन जाता, वो नृत्य नहीं करेगी. महाराजा रणजीत सिंह ने इसके बाद तुरंत ही उस पुल को बनवाने का आदेश दे दिया. रणजीत सिंह उसके प्यार में इस कदर पड़ गए कि उन्होंने उससे शादी करने का फ़ैसला भी कर लिया.

जब मोहरान के पिता ने रणजीत सिंंह के आगे रख दी अजीब सी शर्त

रणजीत सिंह तो मोहरान को अपना दिल दे चुके थे. उन्होंने शादी करने का भी फ़ैसला कर लिया था. मगर मोहरान के  पिता को ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था. ऐसे में उन्होंने एक अजीब सी शर्त रणजीत सिंह के सामने रख दी. उन्होंने बताया कि उनके परिवार में एक प्रथा है कि उसी लड़के को दामाद स्वीकार किया जाता है, जो ससुर के घर में चूल्हा जलाए. मोहरान के पिता को लगा था कि रणजीत सिंह एक महाराज होकर ऐसा कभी नहीं करेंगे. मगर रणजीत सिंह ने मोहरान को पाने के लिए शर्त मान ली. 

रणजीत सिंह की इस हरकत से नाराज़ हो गए सिख

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रणजीत सिंह को मोहरान तो मिल गई, लेकिन इस घटना ने रूढ़िवादी सिखों को नाराज़ कर दिया. इतना कि उन्हें अकाल तख़्त के सामने पेश होने का आदेश दिया गया. रणजीत सिंह ने अकाल तख़्त के आगे अपनी ग़लती स्वीकार कर ली. उन्होंने सभी से माफ़ी भी मांगी, लेकिन फिर भी उन्हें माफ़ नहीं किया गया. 

अकाल तख़्त ने महाराजा रणजीत सिंह को 100 कोड़े मारने की सज़ा सुनाई. इसके बाद सज़ा देने के लिए उनकी कमीज़ उतरवा कर एक इमली के पेड़ के तने से बांध दिया गया.

महाराजा की विनम्रता ने जीता लोगों का दिल

रणजीत सिंह महाराज थे. ऐसे में अगर वो चाहते, तो इस सज़ा को मानने से इन्कार कर देते. मगर उन्होंने अपनी ग़लती मानते हुए सज़ा का विरोध नहीं किया. वहां मौजूद जो लोग भी इस घटना को देख रहे थे, उनकी आंखों में आंसू आ गए. कोई नहीं चाहता था कि उनके लोकप्रिय महाराजा को इस तरह की दर्दनाक सज़ा दी जाए. 

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ऐसे में जैसे ही उन्हें 100 कोड़े मारने की सज़ा दी जाने वाली थी, अकाल तख़्त के जत्थेदार फूला सिंह ने खड़े होकर सज़ा को रोकने के लिए बोल दिया. उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने न सिर्फ़ अपनी ग़लती मानी है, बल्कि वो अकाल तख़्त के आदेश को मानने के लिए तैयार हो गए हैं. महाराजा होने के बाद भी उनका ऐसा करना तारीफ़ की बात है. वो महाराजा हैं, इसलिए हमें भी उनका सम्मान करना चाहिए. ऐसे में उन्हें 100 के बजाय महज़ एक कोड़ा ही मारा जाएगा.

बता दें, मोहरान से रणजीत सिंह की मोहब्बत ने काफ़ी सुर्खियां बटोरी थीं. रणजीत सिंह ने मोहरान के नाम पर एक मस्जिद बनवाई थी, जिसे मस्जिद-ए-मोहरान के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं, साल 1811 में उन्होंने मोहरान के नाम पर सिक्के भी ढ़लवाए थे.