पाकिस्तान की आतंकी और राजनीतिक घटनाओं से अलग यहां कई दिलचस्प क़िस्से भी मौजूद हैं. एक ऐसा ही क़िस्सा हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं, जो न सिर्फ़ दिलचस्प है बल्कि काफ़ी फ़िल्मी भी है. लेकिन, इसके लिए हमें पाकिस्तानी इतिहास के पन्ने पलटने होंगे. माना जाता है कि पाकिस्तान में ऐसा ऐसा भी शख़्स हुआ, जिसके नाम से कभी पूरा लाहौर थर-थर कांपता था और इसके नाम से टैक्स वसूला जाता था. आइये, जानते हैं इस क्या थी पूरी कहानी.    

जग्गा गुर्जर  

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उस शख़्स का नाम था जग्गा गुर्जर. कहते हैं कि पाकिस्तान के इतिहास में एक समय ऐसा भी आया जब इस नाम का पाकिस्तान के अन्य इलाक़ों के साथ पूरे लाहौर में दबदबा था. वहां के व्यापारी और लोगों को डराने के लिए बस जग्गा का नाम ही काफ़ी होता था.     

मोहम्मद शरीफ़ से जग्गा गुर्जर   

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जग्गा गुर्जर का असली नाम मोहम्मद शरीफ़ बताया जाता है. कहते हैं उसके जीवन में ऐसी घटना घटी जिसने उसे बदमाश बनने के लिए मजबूर कर दिया था. पहले वो भी एक शराफ़त की ज़िंदगी बसर कर रहा था. जानकारी के अनुसार, कभी किसी मेले में जग्गा के भाई माखन गुर्जर का उस समय के कुख़्यात बदमाश ‘अच्छा शोकरवाला’ से झगड़ा हो गया था. जिसके बाद 1954 में माखन गुर्जर की हत्या कर दी गई थी. 

उस समय जग्गा मात्र 14 वर्ष का था. कहते हैं कि भाई की हत्या के ठीक 8 दिन बाद जग्गा ने अपने भाई के क़ातिल को मौत के घाट उतार दिया था.   

जाना पड़ा जेल    

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हत्या के आरोप में जग्गा को जेल जाना पड़ा. लेकिन, जेल में आने के बाद उसे एक बड़ी हक़ीक़त के बारे में बता चला कि उसके भाई माखन गुर्जर का असली क़ातिल ‘अच्छा शोकरवाला’ है. शोकरवाला ने ही किसी दूसरे बदमाश के हाथों उसके भाई को मरवाया था. 

जेल में हत्या की योजना   

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कहते हैं कि जैसे ही जग्गा को पता चला कि उसके भाई का असली हत्यारा ‘अच्छा शोकरवाला’ है, तो उसने जेल में ही उसकी हत्या की योजना बना डाली थी. जग्गा के आदमियों ने दो बार शोकरवाला पर हमले किये, जिसमें शोकरवाला गंभीर रूप से घायल हुआ और उसके दो आदमी मारे गए थे. हालांकि, वो जग्गा के हाथों मारा गया कि नहीं, इससे जुड़ी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है.    

जग्गा टैक्स   

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कहते हैं कि जेल से रिहा होने के बाद जग्गा ने अपना एक गिरोह बनाया और जबरन लाहौर के कसाई समुदाय से टैक्स वसूलना शुरू कर दिया. कहते हैं कि वो एक बकरे की ख़रीद पर एक रुपए वसूला करता था. लोगों में जग्गा के नाम का इतना खौफ़ था कि कोई भी उसे टैक्स देने से मना नहीं करता था. बाद में इस जबरन वसूली को ‘जग्गा टैक्स’ नाम दे दिया गया.   

बाकी गुंडों से थोड़ा अलग  

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जानकार कहते हैं कि उसकी कुछ बातें उसे बाकी बदमाशों से अलग बनाती थी. जैसे वो जो पैसा वसूला करता था उसमें एक हिस्सा वो ग़रीबों और विधवाओं में बांट दिया करता था.   

जग्गा की मौत   

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जग्गा गुर्जर 1968 में हुई एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. दरअसल, वो अपनी मां से मिलने गया था. इसी बीच पुलिस की एक टुकड़ी ने जग्गा और उसके एक साथी घेर लिया और जवाबी फ़ायरिंग में जग्गा और उसका साथी मारा गया. कहते हैं कि उसके शव को देखने के लिए काफ़ी भीड़ उमड़ गई थी और उसके जीवन पर कई फ़िल्में भी बनीं.