मोहम्मद अली जिन्ना भले ही अपने लिए एक अलग मुल्क ‘पाकिस्तान’ बनाने में कामयाब रहे, लेकिन वो अपने साथ अपनी तीन बेशक़ीमती चीज़ों को पाकिस्तान न ले जा सके. क्या थीं वो तीन ख़ास चीज़ें? अगर नहीं पता, तो हम आपको बताते हैं, लेकिन ये जानने से पहले जिन्ना से जुड़ी कुछ बातों को जानना ज़रूरी हैं. मोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधी सौराष्ट्र के काठियावाड़ से संबंध रखते थे. माना जाता है कि उनकी शादी मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही करा दी गई थी, क्योंकि उनकी मां को डर था कि कहीं बेटा विदेश जाकर किसी स्त्री से शादी न कर ले.   

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जिन्ना की मां ने उनकी शादी अपने एक रिश्तेदार की बेटी से करा दी, जिनका नाम था अमीबाई, लेकिन दुर्भाग्य से अमीबाई की बहुत जल्द मृत्यु हो गई. अमीबाई की मृत्यु उस वक़्त हुई जब जिन्ना इंग्लैंड में पढ़ाई कर रहे थे. अब पढ़ें आगे.    

अपनी प्यारी पत्नी रत्तनबाई को खो दिया 

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जिन्ना इंग्लैंड से वापस मुंबई आ गए और यहीं वकालत करने लगे. यहां उनके मुवक्किलों यानी क्लाइंट्स में एक करोड़पति पारसी व्यापारी भी थे, जिनका नाम था दिनशॉ मानेकजी पेटिट. एक बार की बात है, जिन्ना किसी काम से दिनशॉ के घर गए और वहां उनकी मुलाक़ात दिनशॉ मानेकजी पेटिट की बेटी रत्तनबाई उर्फ़ रुटी से हुई और वो अपना दिल दे बैठे. वो एक दूसरे से प्यार करने लगे थे. जिन्ना ने शादी की बात रत्तनबाई के पिता से की, लेकिन वो यह सुनते ही आग बबूला हो गए, क्योंकि जिन्ना मुस्लिम थे.    

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उन्होंने अपनी बेटी से साफ़ कह दिया था कि वो जिन्ना से न मिले. बावजूद इसके दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ता रहा. इसके बाद 18 साल होते ही रत्तनबाई ने धर्म परिवर्तन कर जिन्ना से शादी कर ली और पारसी समाज से नाता तोड़ लिया. 15 अगस्त 1919 में रत्तनबाई ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम दीना रखा गया. लेकिन, कुछ सालों बाद (20 फ़रवरी 1929) रत्तनबाई की मृत्यु कैंसर से हो गई जिन्ना की प्यारी पत्नी हमेशा के लिए उन्हें अलविदा कहकर चली गई.   

प्यारी बेटी भी हो गई अलग   

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इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी दीना ने एक पारसी उद्योगपति नेविल वाडिया को पसंद किया. दीना का यह फ़ैसला जिन्ना को पसंद न था. जिन्ना चाहते थे कि उनकी बेटी किसी मुस्लिम से निकाह करे. उन्होंने अपनी बेटी दीना से यहां तक कह दिया था, “मुंबई शहर में लाखों मुस्लिम हैं, क्या तुम्हें यह पारसी ही मिला.” इस बात पर दीना ने अपने पिता को जवाब दिया था कि “क्या आपको भी शादी के लिए एक पारसी ही मिली थी.”   

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इस पर जिन्ना का जवाब था, “तुम्हारी मां पारसी से मुस्लिम बन गई थीं.” दीना ने अपने पिता की बात नहीं मानी और नेविल वाडिया से शादी कर ली. कुछ इस तरह जिन्ना की प्यारी बेटी उनसे अलग हो गई और वो भारत की होकर रह गई. माना जाता है कि सितंबर 1948 में जब जिन्ना की मृत्यु हुई, तो उनके अंतिम संस्कार में दीना वाडिया पहुंची थीं और शोक संदेश में लिखा था कि बड़ी ही दुख़द स्थिति में उनके पाकिस्तान बनाने का सपना साकार हुआ है. 

अपना प्यारा बंगला भी खो दिया 

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मुंबई के सबसे पॉश इलाक़े ‘मलाबार हिल्स’ पर मोहम्मद अली जिन्ना का बंगला था, जिसे ‘जिन्ना हाउस’ भी कहा जाता है. जिन्ना का यह बंगला महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आवास के पास है. जिन्ना ने इसे 1936 में बनवाया था और इसे बनाने में लगभग 2 लाख रुपए ख़र्च किए थे. यह बंगला ढाई एकड़ में फैला है. ख़ास बात यह है कि इसमें इंग्लैंड के संगमरमर और अखरोट की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया था. यहां अक्सर जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के साथ उनकी मुलाक़ातें होती रहती थीं. 


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जानकर हैरानी होगी कि जब भारत का विभाजन हुआ, तो जिन्ना ने नेहरू से कहा था कि वो इस बंगले को यूरोपीय दूतावास को सौंप दें, क्योंकि उन्हें लगता था कि भारतीय इस बंगले के लायक़ नहीं हैं. बाद में इस बंगले को ब्रिटिश हाई कमीशन को लीज़ पर दे दिया गया और 2003 में इसे ख़ाली करवाया गया. जिन्ना ने अपनी वसीयत में इस बंगले का ज़िक्र नहीं किया था और न ही क़ानूनी तौर पर अपनी बेटी दीना को इसे सौंपा. इस बंगले पर दीना वाडिया के साथ-साथ पाकिस्तान ने भी अपना हक़ जताया था, लेकिन वे असफल रहे.   

तो कुछ इस तरह जिन्ना की तीन बेशक़ीमती चीजें उनसे अलग हुईं. आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और अपनी राय रखें.