Pitru Paksha 2022: हिन्दू धर्म न सिर्फ़ अपने त्योहारों के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी परंपराओं और रीती-रिवाज़ों के लिए भी प्रसिद्ध है. हर वर्ष बड़े त्योहारों के साथ अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को भी श्रद्धापूर्वक किया जाता है. अतिथि देवो भव जैसे सिद्धांत और अहं ब्रह्मास्मि जैसे महावाक्य वाला ये धर्म मृत्युपरांत भी पूर्वजों का आभार व्यक्त करने की बात करता है, जिसे ‘श्राद्ध’ कहा जाता है, जिसे प्रतिवर्ष हिन्दू धर्म के लोग करते हैं. वहीं, इसके साथ एक शब्द ‘पितृपक्ष’ भी जुड़ा है. 

आइये, इसी क्रम में जानते हैं क्या है पितृपक्ष (Pitru Paksha in Hindi) और श्राद्ध और इससे ज़रूरी बातें. 

क्या है पितृपक्ष और क्या है श्राद? 

sharadh
Image Source: asianetnews

पितृ पक्ष हर वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आरंभ होता है और 15 दिनों तक चलता है. इस अवधी को ही पितृपक्ष (Pitru Paksha Meaning in Hindi) कहा जाता है. वहीं, इस दौरान जो हम अपने पितरों यानी पूर्वज़ों को श्रद्धापूर्वक पिंड दान करते हैं उसे ‘श्राद्ध’ कहा जाता है. श्राद्ध को हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि ये दिवंगत पूर्वजों के प्रति सम्मान, समर्पण और कृतज्ञता का भाव है.

क्यों किया जाता है श्राद्ध?

sharadh
Image Source: aajtak

What Is The Significance of Pitru Paksha in Hindi: नई पीढ़ी के लोगों के लिए ये एक सवाल हो सकता है कि आख़िर प्रतिवर्ष श्राद्ध क्यों किया जाता है. दरअसल, हिन्दू धर्म में श्राद्ध को एक महत्वपूर्ण कर्मकांड माना गया है. ये कर्मकांड पितरों के तर्पण और उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जाता है. वहीं, ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध करने से कुल को कोई दुख नहीं रहता और मनुष्य यश, धन, संतान, स्वर्ग व बल की प्राप्ति करता है. वहीं, मान्यता है कि ये सब दिवंगत पूर्वज श्राद्ध कर्ता को आशीर्वाद के रूप में प्रदान करते हैं.

पितरों किसे कहते हैं? What is Pitru Paksha in Hindi 

shradh
Image Source: herzindagi

Pitru Paksha Meaning In Hindi: पितृ पक्ष के दौरान पिता पक्ष और माता पक्ष के तीन पीढ़ियों तक पूर्वजों का तर्पण किया जाता है, इन्हीं को पितरों कहा जाता है.

ये भी पढ़ें: यदि श्राद्ध पक्ष में आपके साथ हों ये घटनाएं, तो समझिये कि आपके पूर्वज आपसे मिलने आए हैं

पितृपक्ष का इतिहास या कब से चला आ रहा है पितृपक्ष

 

Danveer karna
Image Source: Pinterest

History of Pitru Paksha in Hindi: श्राद्ध कोई नया कर्मकांड नहीं है, बल्कि इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब दानवीर कर्ण की मृत्यु हो गई थी, तब उन्हें स्वर्ग में आम भोजन के अलावा, खाने के लिए सोना और गहने दिये जाते थे. 

तब भगवान इंद्र ने कर्ण को बताया कि आपने अपने जीवन में दूसरों को सोना और गहना ही दान में दिया में, लेकिन कभी अपने दिवंगत पूर्वजों को भोजन दान में नहीं दिया. इस पर कर्ण ने कहा था कि उन्हें नहीं मालूम कि उनके पूर्वज कौन हैं. इसके बाद भगवान इंद्र ने उन्हें 15 दिनों के लिए धरती पर भेजा ताकि वो अपने पूर्वजों को भोजन दान कर सकें. इन्हीं 15 दिनों को पितृ पक्ष कहा गया है. 

कैसे करें श्राद्ध? (How To do Pitru Paksha in Hindi) 

shradh
Image Source: astroahead

श्राद्ध से जुड़ी इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान ज़रूर रखें: 

  • श्राद्ध कर्म यानी पिंड दान और तर्पण किसी ब्राह्मण से ही करवाना चाहिए. 
  • ब्राह्मण को दान देने के अलावा अगर किसी ग़रीब या ज़रूरतमंद की मदद करने से भी पुण्य प्राप्त होता है. 
  • साथ ही गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों को भी प्रेम पूर्वक भोजन ज़रूर कराएं.
  • अगर मुमकिन हो, तो गंगा नदी के किनारे श्राद्ध कर्म करवाएं.  
  • श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को प्रेम पूर्वक भोजन कराएं और अपनी इच्छा अनुसार दान दक्षिणा दें. 
  • श्राद्ध कर्म दोपहर से आरंभ करें और और ब्राह्मण द्वारा बताए गए मंत्रोच्चारण और विधियों को करें. 
  • पूजा करने के बाद जल से पितरों का तर्पण करें.
  • इसके बाद गाय, कुत्ते और कौवे के लिए भोग का हिस्सा अलग रख दें. 
  • ध्यान रहे जब इन जीवों को भोजन दे रहे हों, उस समय अपने पितरों को स्मरण करें और उनके प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करें. साथ ही मन ही मन उनसे निवेदन करें आप श्राद्ध ग्रहण करें और जो भी भूल-चूक हो गई हो उसे माफ करें. 

पितरों के लिए तर्पण विधी क्या है? 

shradh
Image Source: herzindagi

पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने का मतलब होता है उन्हें जल देना. इसके लिए तर्पण की सभी चीज़ों को लेकर दक्षिण की ओर मुख करके बैठ जाएं. 

इसके बाद में जल, पुष्प, अक्षत, कुशा और काले तिल लेकर हाथ जोड़ लें और पितरों का स्मरण करें और उन्हें आमंत्रित करें. अपने सभी पितरों जिनका आपको नाम पता हो उनका नाम लें और जिनका नाम न पता हो उनका मेरे सभी पितरों कहकर मन ही मन कहें कि मेरे द्वार दिए गए जल को ग्रहण करें.

इसके बाद धरती पर 5 या सात या 11 बार अंजलि से जल गिराएं. 

ये भी पढ़ें: असम में एक गांव ने पेश की अनोखी मिसाल, मृत गिद्धों का किया गया श्राद्ध

पितृ पक्ष में कौन-सी चीज़ें नहीं करनी चाहिए

Śrāddha
Image Source: bhaskar

Things to Know About Pitru Paksha in Hindi: हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष एक ज़रूर कर्मकांड माना जाता है और इसे पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. वहीं, माना जाता है कि इस दौरान की गई ग़लतियां पितृ दोष का कारण बन सकती है. इसलिये, भूल से भी निम्नलिखित पितृ पक्ष से जुड़ी बातों का ध्यान ज़रूर रखें.

पितृ पक्ष में भूल से भी मांस का न सेवन करें और न ही पकाएं.

इसके अलावा, इस दौरान लहसुन और प्याज़ का सेवन भी नहीं करना चाहिए.

पितृ पक्ष की अवधि यानी पूरे 15 दिनों तक न ही बाल कटवाएं और नहीं नाखून. पिंडदान करने वाला बाल और नाखून कटवा सकता है. 

घर में सात्विक माहौल बनाकर रखें.