भारतीय राजनीति में कुछ ही ऐसे नेता हुए जिन्हें राजनीति का दिग्गज कहा गया, जिनमें एक नाम भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी शामिल है. वायपेयी न सिर्फ़ एक अच्छे नेता थे बल्कि ख़ास व्यक्तित्व के भी धनी थे. उनके बारे में कहा जाता था कि उन्हें लोगों को प्रभावित करना अच्छे से आता था. यही वजह थी कि उनके भाषण को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते थे.
भाजपा को फ़र्श से अर्श तक पहुंचाने वाले

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भाजपा पार्टी को फ़र्श से अर्श तक पहुंचाने का काम किया. वहीं, कहा जाता है कि अपने कार्यकाल में उन्होंने जितना सम्मान इस पार्टी को दिलाया, आज तक कोई प्रधानमंत्री नहीं दिला पाया. वाजपेयी ने ही 2 दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों को मिलाकर एनडीए (National Democratic Alliance) के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई.
विपक्ष के नेता भी थे क़ायल

वाजपेयी जी के बारे में कहा जाता है कि वो एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के इंसान थे. साथ ही इरादों के पक्के. राजनीति में आकर उन्होंने अपने कुछ सिद्धांत बनाए, जिनका पालन उन्होंने हमेशा किया. इसके अलावा, राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच उन्होंने हमेशा संयम से काम लिया. यही वजह थी कि विपक्ष के कई नेता उनके क़ायल थे.
एक पत्रकार

बहुत कम लोगों को पता होगा कि राजनीति में आने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी एक पत्रकार थे. उन्होंने आरएसएस के विचारक दीनदयाल उपाध्याय पाञ्चजन्य, राष्ट्र धर्म और दैनिक अख़बार स्वदेश और वीर अर्जुन के लिए काम किया था.
नेहरू भी हुए थे प्रभावित

कहते हैं कि अटल जी की विदेशी मामलों में पकड़ अच्छी थी. इस वजह से जवाहर लाल नेहरू भी उनके दीवाने थे. कहते हैं कि जब अटल जी ने लोकसभा में भाषण व सदन की कार्यवाही पर अपना मत रखा, तो नेहरू काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हुए थे. वहीं, जब एक बार जब तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत की यात्रा पर आए थे, तो नेहरू ने अटल जी का परिचय बड़े ख़ास अंदाज़ में कराया था. उन्होंने कहा कि ये विपक्ष के उभरते हुए नेता हैं.
जब भड़क गए थे अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी 1977 में विदेश मंत्री बने. वहीं, कार्यभार संभालने के लिए जब वो अपने साउथ ब्लॉक स्थित दफ़्तर पहुंचे, तो उन्हें वहां जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर हटी हुई दिखी. यह देख वो काफ़ी ज़्यादा भड़क गए थे. फिर उन्होंने आदेश देते हुए कहा था कि यहां जल्द से जल्द नेहरू जी तस्वीर लगाई जाए.