सन 1962 के ‘भारत-चीन युद्ध’ एवं 1965 के ‘भारत-पाकिस्तान’ युद्ध के दौरान इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (IB) की नाकामयाबी के बाद भारत सरकार को एक ऐसी संस्था की ज़रूरत महसूस हुई जो स्वतंत्र और सक्षम रूप से ख़ुफ़िया जानकारियां हासिल कर सके. ऐसे में भारत सरकार ने 21 सितंबर, 1968 को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing) यानी RAW की स्थापना की. ये भारत की एक ऐसी ख़ुफ़िया एजेंसी है जिसका मुख्य काम विदेशों में देश के ख़िलाफ़ होने वाली साजिशों को नाकाम करना और आतंकवादी गतिविधियों पर नज़र रखना है. रॉ का मुख्यालय नई दिल्ली में है और वर्तमान में इसके निदेशक सामंत गोयल हैं, जो बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं.

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चलिए जानते हैं भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी RAW ने अब तक कौन कौन सी सफ़ल ऑपरेशनों को अंजाम दिया है-

1- ऑपरेशन कहूटा

‘ऑपरेशन कहूटा’ को ‘RAW’ के प्रमुख ऑपरेशनों में से एक माना जाता है. 70 के दशक के अंतिम सालों में ‘रॉ’ ने पाकिस्तान के भीतर अपना अच्छा नेटवर्क बना लिया था. इस दौरान रॉ के एजेंटों ने पाकिस्तान के ‘कहुटा परमाणु संयत्र’ के संबंध में मिली जानकारी को नाई की दुकान पर बाल कटवाने आए पाकिस्तानी वैज्ञानिकों के कटे हुए बालों के सैंपल के आधार पर इस अफवाह का पर्दाफ़ाश किया था. इस दौरान ‘रॉ’ एजेंटों को पता चल चुका था कि ‘कहुटा संयत्र’ परमाणु हथियार बनाने के लिए प्यूटोनियम संशोधन संयंत्र था और पाकिस्तान परमाणु हथियार का निर्माण कर रहा है. इसके बाद इजरायल सीधे तौर पर ‘कहुटा संयत्र’ को बम से उड़ाना चाहता था, लेकिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने ग़लती से उस समय के पाकिस्तानी जनरल जियाउल हक से फ़ोन पर बातचीत में भारत को पाकिस्तान के ख़ुफ़िया अभियान (कहुटा संयत्र) की जानकारी होने का ज़िक्र कर दिया था. इसके बाद पाकिस्तान ने फौरन सभी रॉ नेटवर्क को ख़त्म कर दिया था.

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2- ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा 

‘स्माइलिंग बुद्धा’ भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम का नाम था जिसे गुप्त रखने की ज़िम्मेदारी ‘RAW’ को दी गई थी. देश के अंदर किसी प्रॉजेक्ट में पहली बार रॉ को शामिल किया गया था. भारत 18 मई, 1974 को पोखरण में 15 किलोटन प्लुटोनियम का परीक्षण कर दुनिया के न्यूक्लियर क्लब में शामिल हो गया. इस दौरान अमेरिका, चीन और पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों को इस बात की भनक तक नहीं लगी. जब भारत का ये परीक्षण सफ़लतापूर्वक पूरा हुआ तब पूरी दुनिया हैरान रह गई थी. 

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3- ऑपरेशन लीच 

भारत हमेशा से ही दक्षिण एशिया में लोकतंत्र की बहाली और मित्र देश की सरकार की मदद करता रहा है. इस कड़ी में भारत का पड़ोसी देश बर्मा भी शामिल रहा है. बर्मा में पहले फ़ौजी शासन हुआ करता था. ‘RAW’ ने बर्मा में लोकतंत्र की स्थापना के लिए वहां के विद्रोही गुट ‘काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए) की मदद की. इस दौरान उन्हें हथियार तक उपलब्ध कराए, लेकिन बाद में केआईए से संबंध ख़राब हो गए और उसने पूर्वोत्तर के बागियों को हथियार एवं प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया. इसके बाद ‘रॉ’ ने बर्मा के इन बागी गुटों के सफाये के लिए ही ‘ऑपरेशन लीच’ चलाया था. सन 1998 में ‘रॉ’ ने 6 टॉप बागी लीडर्स को मार गिराया और 34 अराकानी गुरिल्ला को भी गिरफ़्तार किया.  

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4- ऑपरेशन कैक्टस 

सन 1988 में ‘तमिल इलम के पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन’ तमिल उग्रवादियों ने मालदीव पर हमला कर दिया था. इस दौरान ‘RAW’ की मदद से भारतीय सशस्त्र बालों ने तमिल उग्रवादियों को खदेड़ने के लिए एक सैन्य अभियान की शुरुआत की थी जिसे ‘ऑपरेशन कैक्टस’ नाम दिया गया था. 3 नवंबर, 1988 की रात को ‘भारतीय वायुसेना’ की आगरा पैराशूट रेजिमेंट की छठी बटालियन ने मालदीव से 2000 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरकर हुलहुल में लैंड किया और माले में घंटे भर के भीतर तब के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को बहाल कर दिया. सेना की ओर से किए गए इस तीव्र अभियान और रॉ की सटीक ख़ुफ़िया जानकारी के जरिए उग्रवादियों का दमन किया जा सका. 

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5- ऑपरेशन चाणक्य 

कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई (ISI) द्वारा समर्थित कई अलगाववादी संगठनों और आतंकवाद के ख़ात्मे के लिए ‘RAW’ ने ‘ऑपरेशन चाणक्य’ नाम से एक ख़ुफ़िया ऑपरेशन चलाया था. ये ऑपरेशन कितना सफ़ल रहा इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिए कि आतंकवादी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के 2 धड़ों में बंटने के पीछे का कारण भी यही ऑपरेशन था. 

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6- ऑपरेशन मेघदूत 

सियाचिन ग्लेशियर में ‘भारतीय सशस्त्र बलों’ के ऑपरेशन को ‘मेघदूत’ कोड नाम था, जो सियाचिन संघर्ष से जुड़ा था. 13 अप्रैल 1984 को शुरू किया गया ये सैन्य अभियान अनोखा था क्योंकि दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित युद्धक्षेत्र में पहली बार हमला शुरू किया गया था. इस दौरान ‘RAW’ ने पता लगा लिया था कि पाकिस्तान ‘सियाचिन ग्लेशियर’ में हमला करने की योजना बना रहा है. इसके बाद भारतीय सेना की कार्रवाई के परिणामस्वरूप सेना ने पूरे ‘सियाचिन ग्लेशियर’ को अपने कब्ज़े में कर लिया था. इस सफ़ल अभियान में ‘रॉ’ ने अहम भूमिका निभाई थी.  

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7- ऑपरेशन ख़ालिस्तान 

भारत के लिए 80 का दशक बेहद संकट भरा रहा. इस दौरान ISI के समर्थन से ‘ख़ालिस्तानी चरमपंथी’ अपने शबाब पर थे. ऐसे में ‘रॉ’ ने पाकिस्तान और ख़ालिस्तानी चरमपंथियों से निपटने के लिए दो टास्क फ़ोर्स बनाई. एक के ज़िम्मे पाकिस्तान को निशाना बनाना था तो दूसरे के ज़िम्मे ख़ालिस्तानी गुटों का सफ़ाया करना था. इस दौरान ‘रॉ’ ने न सिर्फ़ पंजाब की गलियों से ख़ालिस्तानी का सफ़ाया किया, बल्कि पाकिस्तान के कई बड़े शहरों को भी अस्थिर कर दिया जिससे ISI को मजबूर होकर ख़ालिस्तानियों का समर्थन बंद करना पड़ा. 

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8- स्नैच ऑपरेशंस 

इसके अलावा ‘रॉ’ पिछले कई सालों से ‘स्नैच ऑपरेशंस‘ को भी अंजाम देता आ रहा है. स्नैच ऑपरेशन में रॉ के अधिकारी विदेश में किसी संदिग्ध को पकड़ते हैं और देश के अज्ञात स्थान पर पूछताछ के लिए लाते हैं. प्रत्यर्पण की लंबी प्रक्रिया से बचने के लिए ऐसा किया जाता है. पिछले दशक में ‘रॉ’ नेपाल, बांग्लादेश एवं अन्य देशों में 400 सफ़ल ‘स्नैच ऑपरेशनों’ को अंजाम दे चुका है. स्नैच ऑपरेशनों को समझने के लिए अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘बेबी’ अच्छा उदाहरण है.

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इसके अलावा भी RAW ने कई सफ़ल ऑपरेशन्स को अंजाम दिया है.

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