द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान घोस्ट आर्मी (Ghost Army) अमेरिकी सेना की एक धोख़ा देने वाली यूनिट के तौर पर मशहूर थी. इसे आधिकारिक तौर पर 23rd Headquarters Special Troops के नाम से जाना जाता था. मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) की सेनाओं ने मिलकर 1100 सैनिकों वाली इस यूनिट को एक ख़ास मिशन दिया था. इसका मुख्य कार्य दुश्मन को धोखा या चकमा देना था जिसकी मदद से Allied Army आसानी से Axis Army पर आसानी से धावा बोल सके.

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घोस्ट आर्मी (Ghost Army) ने ‘द्वितीय विश्व युद्ध’ के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. इस दौरान इस यूनिट को केवल दुश्मन को भ्रमित करने का कार्य सौंपा गया था. घोस्ट आर्मी के पास दुश्मन को दिखाने और डराने के लिए सभी तरह के हथियार थे, लेकिन सभी के सभी नकली थे. इस यूनिट के पास जितने भी बड़े हथियार थे वो या तो वो लकड़ी के या फिर प्लास्टिक के बने हुए थे. इससे एक्सिस शक्तियां (Axis Powers) की सेना को लगता था कि मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) की सेना के पास कई तरह के पावरफ़ुल हथियार हैं.

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इस यूनिट ने अपनी कई तरह की तरकीबों और अनूठी रणनीतियों से दुश्मन को उलझाए रखा और Allied Army ने कई मौकों पर Axis Army के साथ खेल कर दिया. इतना ही नहीं इस यूनिट ने खूफ़िया तरीके से दुश्मन सेना की एकजुटता के प्रयासों को भी प्रभावी ढंग से विफ़ल किया था. ये यूनिट अपने काम में इतनी माहिर थी कि जर्मन सेना व अन्य खूफ़िया इकाइयों को कभी ये पता ही नहीं चला कि घोस्ट आर्मी के पास नकली हथियार हैं.

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क्या ख़ासियत थी घोस्ट आर्मी की? 

घोस्ट आर्मी (Ghost Army) की 4 प्रमुख बातें थी जिसकी वजह से दुश्मन सेना इनसे पंगा लेने से डरती थी. पहलाइस यूनिट के पास मुख्य सेना की तरह ही सभी हथियार थे, लेकिन सभी नकली थे. दूसरा जब भी जंग का ऐलान होता था ये यूनिट अपनी पूरी क्षमता (1100 सैनिकों) के साथ मार्च करती थी, जिससे विरोधी खेमे में दहशत का माहौल बन जाता था. तीसरा इस यूनिट के सैनिक ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ते हुए दुश्मन को ललकारते थे, जिससे सामने वाले के अंदर डर बैठना स्वाभाविक था. चौथाघोस्ट आर्मी रेडियो सैटेलाइट के ज़रिए हर वक़्त कुछ न कुछ करती रहती थी, जिससे दुश्मन अलर्ट हो जाते थे.

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घोस्ट आर्मी (Ghost Army) में केवल Allied Army के सैनिक ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन, अमेरिका, फ़्रांस और रूस विभिन्न आर्ट कॉलेजों के छात्रों को भी भर्ती किया गया था. इस दौरान इन आर्टिस्टों ने विस्फोटक वाहनों (टैंक, तोप, मशीन गन, वाहन) का निर्माण किया, लेकिन वास्तव में ये केवल गुब्बारे थे. नकली टैंकों को इधर-उधर ले जाना, ज़मीन पर नकली निशान छोड़ना, तोपों के हिलने की आवाज़ पैदा और रेडियो के माध्यम से नकली संवाद करना ‘घोस्ट आर्मी’ की ट्रेनिंग का मुख्य हिस्सा था. ये यूनिट अपने इन्हीं नकली हथियारों के दम पर दुश्मन को चौंकाने का काम करती थी.

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द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) की इस घोस्ट आर्मी (Ghost Army) ने 20 से अधिक लड़ाइयों में भाग लिया था. इस दौरान ये अपने मकसद में इतनी सफ़ल रही कि आज भी चीन और नॉर्थ कोरिया समेत कुछ देश इसी तरह की रणनीति अपनाते हुये आ रहे हैं.

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बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध के 50 साल बाद तक घोस्ट आर्मी गुप्त रखा गया था. साल 2013 में अमेरिकी Public Broadcasting Service (PBS) टेलिविज़न ने The Ghost Army नाम की एक डॉक्यूमेंट्री में इसका ख़ुलासा किया था.

The Ghost Army का वीडियो भी देख लीजिए:  

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