ये कलयुग है. इसलिये आज के दौर में किसी से मदद की ज़्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती. हांलाकि, इस दुनिया में अभी भी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कलयुग में भी इंसानियत ज़िंदा रखी है. क्योंकि इनके लिये इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं है. दिल में दूसरों की मदद का ज़ज़्बा लेकर घर से बाहर निकले ये लोग हर दिन अपने कामों से दुनिया बदल रहे हैं.
1. वडोदरा की ये घटना आपका इंसानियत पर विश्वास और गहरा कर देगी.
जनवरी 2018 में मां की हत्या हो जाने के बाद 8 साल के भावेश का सहारा उसके पिता, भारत देवीपूजक ही थे. पर भावेश इस बात से अनजान था कि उसकी मां का हत्यारा और कोई नहीं, बल्कि ख़ुद उसका पिता है. वहीं जब पुलिस ने ये मर्डर मिस्ट्री सुलझा कर भारत को गिरफ़्तार किया, तो नन्हा भावेश बिलकुल अकेला हो गया था. इसके बाद पुलिस वालों ने उसे अपनी देख-रेख में रखने का फ़ैसला लिया. वो चाहते थे कि जब तक भावेश बड़ा न हो जाए, वो लोग उसकी देखभाल करें.
2. मुस्लिम युवकों ने किया हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार
हिंदुस्तान एक ऐसा देश है, जहां अकसर ही हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल दिखाई देती है. हाल ही में एक ऐसा ही किस्सा वाराणसी में भी देखने को मिला. जहां कुछ मुस्लिम युवकों ने सांप्रदायिकता की मिसाल पेश करते हुए एक हिंदू लड़की का अंतिम संस्कार कराया. सोनी कुछ समय से मलेरिया से ग्रसित थी, जिस वजह से उसे बचाया नहीं जा सका.
3. दो बच्चियों के लिये मसीहा बना सिपाही
देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं. केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान में बाढ़ के कहर की कई ख़बरें, वीडियोज़ आ रहे हैं. ऐसे में गुजरात के मोरबी में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान, पृथ्वीराज सिंह जडेजा नाम के सिपाही ने दो बच्चियों को अपने कंधे पर बिठा कर सैलाब पार कराया. कमर तक के पानी में पृथ्वीराज दो बच्चियों को कंधे पर बिठाकर बाढ़ के पानी से होते हुए सुरक्षित स्थान पर ले गये.
A man in uniform on duty…!!
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) August 10, 2019
Police constable Shri Pruthvirajsinh Jadeja is one of the many examples of Hard work , Determination and Dedication of Government official, executing duties in the adverse situation.
Do appreciate their commitment… pic.twitter.com/ksGIe0xDFk
4. ‘Animal Rahat’ नामक संस्था ने जानवरों को बचाया
कुछ समय पहले ही बारिश की वजह से महाराष्ट्र के हाल बेहाल थे. इस दौरान ‘Animal Rahat’ नामक एक संस्था महाराष्ट्र में बेज़ुबान जानवरों को बचाने के लिये सराहनीय काम किया.
5. गर्भवती महिला के लिये प्लेटफ़ॉर्म पर दौड़ाया ऑटो रिक्शा
वहीं दूसरी ओर मुंबई के रहने वाले सागर कमलाकर गावड़ ने वो किया, जो शायद ही कोई किसी अनजान के लिए करता हो. दरअसल, सागर ने एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर ऑटो रिक्शा दौड़ाकर इंसानियत की मिसाल पेश की है.
#WATCH Mumbai:Auto-rickshaw driver took rickshaw on platform at Virar Railway Station on Aug4 to pick a pregnant woman to take her to the hospital.RPF didn’t arrest him immediately as the “lady was in extreme labour pain,but he was later arrested&released with a warning by court” pic.twitter.com/eckppwGtr2
— ANI (@ANI) August 6, 2019
6. तेजस्वी पोदपती ने उठाया शहर की सफ़ाई का जिम्मा
आंध्र प्रदेश की रहने वाली तेजस्वी पोदपती जब बी-टेक कर रही थीं, तब उन्होंने अख़बार में एक ख़बर पढ़ी कि उनका गृहनगर ओंगोल राज्य का तीसरा सबसे पिछड़ा इलाका है. ये ख़बर पढ़ तेजस्वी को बहुत बुरा लगा, तभी उन्होंने ठान लिया कि वो अपने शहर के लिए कुछ करेंगी. इसके बाद उन्होंने सोचा क्यों न अपने शहर को पोस्टर मुक्त बनाकर स्वच्छ किया जाए. इरादा नेक था, लेकिन इसे यथार्थ बनाने में उन्हें काफ़ी मेहनत करनी पड़ी.
7. वायुसेना अधिकारी ने बचाई वृद्ध महिला की जान
हाल ही में नवसारी ज़िले में बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना की एक पूरी टीम भेजी गई. जो मसीहा बनकर बाढ़ पीड़ितों को बचा रहे हैं. इसी बीच एक ऑफ़िसर ने पानी में आधा डूबकर एक वृद्ध महिला की जान बचाई. उस ऑफ़िसर का नाम फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट करन देशमुख है.
8. शहीद के परिवार को सम्मान
मध्यप्रदेश के देपालपुर तहसील के बेतमा गांव के लोगों ने शहीद जवान मोहन सिंह की शहादत को सलाम करते हुए, एक बेहद नेक काम किया. शहीद मोहन सिंह सुनेर का परिवार 27 सालों से गांव में एक पुरानी और टूटी झोपड़ी में रह रहा था. इसकी सुध सरकार ने कभी नहीं ली, लेकिन आस-पास के लोगों ने शहीद के परिवार की मदद करने की सोची. इसके लिए ‘One Cheque-One Sign’ नाम का अभियान चलाकर 11 लाख रुपये इकट्ठा किए और उनको एक घर बनवाकर दिया. घर की क़ीमत की 10 लाख बचे हुए एक लाख से शहीद मोहन सिंह सुनेर का पुतला बनवाया जाएगा.
9. बेज़ुबान जानवरों के लिये ख़रीदी वैन
इंसानियत का एक अनोखा किस्सा पुणे का भी है. पुणे के रहने वाले बालू उजागरे पिछले 10 वर्षों से पाई-पाई जोड़ रहे थे. वो भी अपने लिये नहीं, बल्कि बेजु़बान और बेसराहा जानवरों की मदद के लिये. हाल ही में उजागरे ने जोड़े हुए पैसों से वैन ख़रीदी, जिसे उन्होंने एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है. ये वैन कुत्ते-बिल्लियों को अस्पताल पहुंचाने के लिये ख़रीदी है.
10. भारतीय सेना ने लौटाया पाकिस्तानी बच्चे का शव
भारतीय सेना ने इस बार इंसानियत की अनोख़ी मिसाल पेश की है. ADGPI के फ़ेसबुक पोस्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के 7 साल के बच्चे का शव बहकर लाइन ऑफ़ कन्ट्रोल के पास स्थित Acchura गांव के बहकर आ गया. ये गांव जम्मू कश्मीर के गुरेज़ घाटी में है. भारतीय सेना ने तुरंत एक्शन लिया और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के ज़रिए पता लगाया कि वो मृत देह 7 साल के आबिद अहमद शेख़ का है, जो लाइन ऑफ़ कन्ट्रोल के उस पार गिलगित क्षेत्र के Minimarg का रहने वाला है. सोशल मीडिया के रिपोर्ट्स के मुताबिक आबिद 8 जुलाई से लापता है और शायद Burzil Nala में फ़िसल गया था.
11. तीन सिखों ने 32 कश्मीरी लड़कियों को पहुंचाया घर
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई थीं. इसके चलते देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले कश्मीरियों का अपने परिवार वालों से संपर्क कर पाना मुश्किल हो गया था. पुणे में स्किल इंडिया के तहत नर्सिंग का कोर्स करने आईं 32 कश्मीरी लड़कियों को भी अपने परिवार की चिंता सता रही थी. उनकी मदद के लिए दिल्ली के रहने वाले 3 सिख फरिश्ता बनकर सामने आए और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाया.
जब तक इस धरती पर ऐसे लोग हैं, हमारे आस-पास इंसानियत बरकरार रहेगी.